ब्रह्मचर्य के नुकसान, फायदे और नियम

Brahmacharya ke Fayde Aur Nuksan: वेदों का अध्ययन करके ब्रह्म की प्राप्ति करना ही ब्रह्मचर्य कहलाता है। धर्म शास्त्रों के अनुसार ब्रह्मचर्य का अर्थ वीर्य की रक्षा करना होता है, जो व्यक्ति वीर्य की रक्षा करता है। वीर्य का नाश नहीं करता है, वह ब्रह्मचर्य पालन कहलाता है।

वीर्य की रक्षा करना शारीरिक शक्ति तथा मानसिक शक्ति को बढ़ावा देना होता है तथा यह शरीर के लिए अत्यंत फायदेमंद होता है। भारत में कई सदियों से संत महात्मा, धार्मिक पुरुषों तथा योग गुरुओं द्वारा ब्रह्मचर्य का पालन किया जाता आ रहा है।

हमारे भारत में प्राचीनतम काल से साधु, संत, महात्मा इत्यादि धर्मगुरु अपने जीवन में वीर्य की रक्षा करते हैं। वीर्य का नाश नहीं करके ब्रह्मचर्य का पालन करते हैं। लेकिन आज के समय में बहुत सारे लोग ऐसे हैं, जो ब्रह्मचर्य का पालन तो शुरू करते हैं लेकिन वे कुछ समय बाद ही छोड़ देते हैं।

Brahmacharya ke Fayde Aur Nuksan
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तो ऐसी स्थिति में उन्हें जान लेना चाहिए कि ब्रह्मचर्य का नियम क्या है? (Brahmacharya Rules in Hindi), ब्रह्मचर्य के फायदे और नुकसान क्या है? तो आइए इस आर्टिकल में हम पूरी जानकारी विस्तारपूर्वक जानते है।

ब्रह्मचर्य के नुकसान, और नियम | Brahmacharya ke Fayde Aur Nuksan

ब्रह्मचर्य के फायदे क्या हैं? (Brahmacharya ke Fayde)

ब्रह्म की प्राप्ति के लिए ब्रह्मचर्य किया जाता है। इसका अर्थ है वीर्य का नाश होने से रोकना। इसे आसान भाषा में बताए तो वह लोग जीवन भर शादी नहीं करते हैं, वे वीर्य का बचाव करते हैं। जबकि जो लोग शादी करते हैं, वे वीर्य का नाश करते हैं। विर्य के नाश करने से अनेक सारे नुकसान होते हैं।

जो लोग जीवन भर ब्रह्मचर्य का पालन करते हैं, उसे अखंड ब्रह्मचर्य कहते हैं। अखंड ब्रह्मचर्य करने वाले लोग अत्यंत बुद्धिमान होते हैं, उसका दिमाग काफी सशक्त होता है। वह छोटी से छोटी चीज को परखने और समझने में माहिर होते हैं।

ब्रह्मचर्य के अनेक सारे लाभ हैं जैसे वीर्य का नाश नहीं करने से इंसान की उम्र लंबी होती है, थकान नहीं होती है, विशालकाय शरीर होता है, आंखें कमजोर नहीं होती है, हड्डियां कमजोर नहीं होती हैं, सांस नहीं फूलती है, लंबे समय तक चल सकते हैं, शारीरिक रूप से मजबूत होते हैं, मानसिक रूप से सशक्त होते हैं, घबराते नहीं है, डर नहीं लगता है, आसानी से कोई भी बीमारी नहीं होती है, इस तरह की अनेक सारी परेशानियां और तकलीफ है, उन्हें ही होती हैं, जो विर्य का नाश करते हैं। अब तक आप समझ गए होंगे कि विर्य का नाश नहीं करने से तथा ब्रह्मचर्य का पालन करने से कौन-कौन से लाभ होते हैं।

ब्रह्मचर्य पालन के नियम (Brahmacharya ke Niyam)

यदि कोई व्यक्ति ब्रह्मचर्य का पालन करता है तो उन्हें सबसे पहले ब्रह्मचर्य के पालन हेतु कुछ नियम पता कर लेना चाहिए, जिससे उनका ब्रह्मचर्य बना रहें।

  • ब्रह्मचर्य का पालन करने वाले को सुबह जल्दी उठकर खुली हवा में पैदल घूमना चाहिए, शाम के समय भी खुली हवा में कुछ समय पैदल घूमना चाहिए, ब्रह्मचर्य का पालन करने वालों को ज्यादा मसालेदार खाना नहीं खाना चाहिए, गर्म चीजें नहीं खानी चाहिए, गलत फिल्में नहीं देखनी, गलत पुस्तके नहीं पढ़नी चाहिए, गलत व्यक्ति के साथ नहीं रहना, गलत कार्य नहीं करना इत्यादि।
  • ब्रह्मचर्य का पालन करने वालों को नियमित रूप से व्यायाम और कसरत करनी चाहिए, ब्रह्मचर्य का पालन करने वालों को हर रोज सुबह के समय और शाम के समय पूजा पाठ करना चाहिए, ईश्वर का स्मरण करना चाहिएष मंत्रों का उच्चारण करना चाहिए, जाप करना चाहिए तथा उपवास भी करना चाहिए।
  • ब्रह्मचर्य का पालन करने वालों को लड़का-लड़की या स्त्री-पुरुष से मित्रता नहीं करनी चाहिए, किसी भी स्त्री-पुरुष या लड़का-लड़की को अकेले साथ में नहीं रहना चाहिए।
  • ब्रह्मचर्य की पालना करने वालों को गाय के देसी घी का ही सेवन करना चाहिए तथा लहसुन, प्याज, मिर्ची इत्यादि इस तरह के कोई भी आहार नहीं खाना चाहिए, बांसी चीजें नहीं खानी चाहिए, फ्रिज का खाना नहीं खाना चाहिए, ज्यादा गर्म खाना भी नहीं खाना चाहिए इत्यादि अनेक प्रकार की रोक-टोक और नियमों का पालन करना चाहिए, तभी उनका ब्रह्मचर्य सफल रहेगा।

ब्रह्मचर्य के नुकसान क्या है? (Brahmacharya ke Nuksan)

बता दें कि ब्रह्मचर्य का पालन करना अर्थात वीर्य की रक्षा करने से कोई भी प्रकार का नुकसान तो नहीं होता है, लेकिन यदि कोई व्यक्ति ब्रह्मचर्य का पालन करते हुए अचानक से ब्रह्मचर्य को त्याग कर देता है तब उन्हें कुछ नुकसान झेलने पड़ सकते हैं।

ब्रह्मचर्य का त्याग करने से जो नुकसान होते हैं, उनमें मनुष्य का स्वभाव चिड़चिड़ापन हो जाता है, याद रखने की शक्ति कमजोर हो जाती है, मानसिक रूप से कमजोर हो जाते हैं, हर समय तनाव और थकान महसूस होती हैं, ज्यादा समय काम नहीं कर पाते हैं, हर समय आलस आता है, शरीर रुखा सुखा सा लगता है, आत्मविश्वास की कमी हो जाती है।

दिन भर थका हुआ महसूस करते हैं, सोचने की शक्ति कम हो जाती है, दुर्बलता भी कम हो जाते हैं, वृद्धावस्था में बीमारियां घेर देती हैं, घबराहट होने लगती है, बुद्धि मंद पड़ जाती है, सोचने की शक्ति कम हो जाती है इत्यादि इस तरह की अनगिनत परेशानियां उत्पन्न हो जाती हैं।

ब्रह्मचर्य का पालन करना इतना आसान नहीं होता है। ब्रह्मचर्य का पालन करने के लिए बहुत कुछ त्याग करना पड़ता है और मेहनत भी करनी होती है। ब्रह्मचर्य का पालन करना यानी कि वीर्य की रक्षा करने होती है। मनुष्य शरीर में वीर्य जीवन की तरह होता है, जितना वीर्य का नाश होगा, उतना ही जीवन का नाश होता जाएगा। जितना वीर्य की रक्षा होगी, उतना ही मनुष्य जीवन की रक्षा होगी।

इसीलिए प्राचीनतम काल से ही हमारे भारत के साधु-संत, फकीर, महात्मा, योगी, गुरु, धर्म गुरु, ज्ञानी बाबा, जानकार, धर्म रक्षक, इत्यादि अनेक सारे लोग अपने जीवन में अखंड ब्रह्मचर्य का पालन करते थें, ब्रह्मचर्य रखते थे। जिससे उनके शरीर का नाश ना हो और वे स्वस्थ जीवन जी सकें।

FAQ

ब्रह्मचर्य क्या है?

अपने वीर्य की रक्षा करना ब्रह्मचर्य कहलाता है। इसके लिए वीर्य का नाश नहीं करना अर्थात शादी नहीं करना, वीर्य को बचा कर रखना ब्रह्मचर्य की परिभाषा है।

ब्रह्मचर्य कौन कर सकता है?

ब्रह्मचर्य का पालन कोई भी व्यक्ति कर सकता है।

ब्रह्मचर्य के नुकसान क्या है?

ब्रह्मचर्य के सीधे नुकसान तो कुछ भी नहीं है, लेकिन कर्मचारियों को बीच में छोड़ देने के अनेक कार्य नुकसान है, जो हमने ऊपर आर्टिकल में विस्तार से बता दिया है।

ब्रह्मचर्य नहीं करें तो क्या होता है?

ब्रह्मचर्य नहीं करने से शरीर का नाश होता है, कमजोर महसूस होती है, थकान लगती है, आंखें कमजोर हो जाती है, घबराहट होने लगती हैं, डर लगता है।

निष्कर्ष

ब्रह्मचर्य क्या है?, ब्रह्मचर्य के नियम क्या है?, ब्रह्मचर्य के लाभ क्या है?, ब्रह्मचर्य के नुकसान क्या है? इत्यादि ब्रह्मचर्य से संबंधित पूरी जानकारी विस्तार से इस लेख में हमने आपको बता दी है।

हम उम्मीद करते हैं कि यह लेख आपको अत्यंत पसंद आया होगा। यदि आपका इस लेख के संदर्भ में कोई प्रश्न है तो आप नीचे कमेंट करके पूछ सकते हैं। हम पूरी कोशिश करेंगे कि जल्द से जल्द आपके प्रश्न का उत्तर दे सकें।

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