Firoza Ratna ke fayde aur nuksan: कहते हैं इस दुनिया में जितने भी व्यक्ति हैं प्रत्येक व्यक्ति के जीवन पर ग्रहों का प्रभाव पड़ता है। कुल नौ ग्रह है, जो मनुष्य के जीवन को प्रभावित करते हैं और उन ग्रहों का सकारात्मक एवं नकारात्मक दोनों ही प्रभाव व्यक्ति के जीवन में पड़ता है।
ग्रहों के हिसाब से रत्न बनाए गए हैं जिन पर अलग-अलग ग्रहों का आधिपत्य होता है। कहते हैं किसी भी व्यक्ति की कुंडली में जो ग्रह कमजोर होता है यदि उससे संबंधित रत्न धारण किया जाए तो उस ग्रह से उस व्यक्ति के जीवन में होने वाले नकारात्मक प्रभाव दूर हो जाते हैं।
रत्नों का प्रयोग प्राचीन काल से होते आ रहा है और कई ग्रंथों एवं प्राचीन पुस्तकों में रत्नों के बारे में उल्लेख मिलता है। रत्न शास्त्र के अनुसार कुल नौ प्रमुख रत्न एवं चोरियासी उपरत्न के बारे में जिक्र किया गया है और उन्हीं रत्नों में से एक रत्न फिरोजा रत्न है।

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार फिरोजा रत्न का संबंध बृहस्पति ग्रह से है। इसीलिए बृहस्पति को प्रसन्न करने के लिए एवं जिसके कुंडली में बृहस्पति ग्रह कमजोर होते हैं वैसे लोग इसे धारण करते हैं।
हालांकि श्रृंगार के रूप में भी लोग इसका प्रयोग करते हैं क्योंकि माना जाता है प्राचीन काल से ही फिरोजा रत्न का प्रयोग गहने बनाने में किए जाते आ रहे हैं। इस लेख में हम जानेंगे कि फिरोजा रत्न को धारण करने से कौन-कौन से लाभ मिलते हैं (Firoza Ratna Ke Fayde aur Nuksan) एवं फिरोजा रत्न को किस तरीके से धारण किया जाता है? तो चलिए इस लेख में आगे बढ़ते हैं।
फिरोजा रत्न क्या होता है?
फिरोजा रत्न हल्के नीले रंग से गहरे हरे नीले रंग का एक सेमी प्रेशियस स्टोन होता है जो कि फास्फेट मिनरल फैमिली से ताल्लुक रखता है। इस रत्न को टरक्वाइज स्टोन भी कहा जाता है। काफी ज्यादा आकर्षक होता है। इसे संस्कृत में पेरोज अथवा हरिताश्म भी कहते है।
बृहस्पति ग्रह से संबंध होने के कारण इस वक्त को पहना जाता है हालांकि इसे दिसंबर महीने में जन्मे लोग भी बर्थ स्टोन की तरह पहनते हैं। वैसे तो फिरोजा रत्न आसमानी होता है लेकिन अलग-अलग रंगों को मिश्रित करके आकर्षक बनाया जाता है।
वैसे गहरे रंग के फिरोज की मांग काफी ज्यादा रहती है और इस तरह का फिरोजा रत्न ईरान में ज्यादा पाया जाता है। वैसे माना जाता है हजारों वर्ष पहले मिस्र के निवासी भी फिरोजा रत्न का प्रयोग गहने बनाने में करते थे। हालांकि आज भी इस रत्न को सुंदर दिखने के लिए धारण करते हैं और ज्योतिष की सलाह पर भी धारण करते हैं।
फिरोजा रत्न किन लोगों को धारण करना चाहिए?
फिरोजा रत्न को बहुत कम राशि के ही लोग पहनते हैं। वैसे धनु और मीन राशि के लोगों के लिए फिरोजा रत्न ज्यादा शुभ माना जाता है क्योंकि फिरोजा रत्न का संबंध बृहस्पति ग्रह से है और धनु और मीन राशि के स्वामी बृहस्पति ही होते हैं।
इसीलिए उनके लिए फिरोजा रत्न पहनना फलदायक होता है। अन्य राशि के जातक जैसे कि मेष,सिंह,कर्क और वृश्चिक भी धारण कर सकते हैं।
वैसे जिनकी कुंडली में बृहस्पति ग्रह कमजोर होते हैं या नकारात्मक प्रभाव दे रहे हैं तो ऐसे में बृहस्पति ग्रह को प्रसन्न करने और उनके सकारात्मक प्रभाव को पाने के लिए फिरोजा रत्न धारण कर सकते हैं। हालांकि ध्यान रखना चाहिए कि फिरोजा रत्न को हिरे के साथ धारण ना करें।
फिरोज रत्न पहनने के फायदे (Firoza Ratna Ke Fayde)
माना जाता है फिरोजा रत्न का संबंध बृहस्पति ग्रह से होता है। ऐसे में बृहस्पति ग्रह के सकारात्मक प्रभाव को पाने के लिए फिरोजा रत्न पहनना बहुत ही फायदेमंद होता है।
फिरोजा रत्न धारण करने से व्यक्ति के जीवन में राहु और केतु के दुष्प्रभाव को भी कम करता है।
कहा जाता है जो भी व्यक्ति फिरोजा रत्न धारण किया होता है उसे होने वाली बुरी घटना का भी आभास हो जाता है। यदि रत्न धारण किए हुए व्यक्ति के साथ आगे कुछ बहुत बुरा घटित होने वाला है तो, ऐसे में रत्न चटक जाता है या फिर उसका रंग बदल जाता है। ऐसी स्थिति में रत्न को बदल कर दूसरा रत्न पहन लेना चाहिए।
फिरोजा रत्न धारण करने से व्यक्ति के जीवन में धन समृद्धि और ज्ञान की बढ़ोतरी होती हैं।
जो व्यक्ति फिरोजा रत्न धारण किया होता है उसके आत्मविश्वास में बढ़ोतरी होती हैं। साथ उसके स्वभाव भी लोगों को आकर्षित करते हैं।
फिरोजा रत्न पहनने से प्रेम संबंध एवं दांपत्य जीवन में आने वाली बाधाएं दूर रहती हैं।
फिरोजा रत्न धारण करने से व्यक्ति की समझ बढ़ती है जिस कारण वह सही समय पर सही निर्णय लेने में सक्षम होता है उसके सोचने की क्षमता में भी सुधार आता है।
फिरोजा रत्न पहनने से व्यक्ति की आर्थिक स्थिति भी संतुलित होती है जिससे उसे कभी भी आर्थिक समस्या का सामना नहीं करना पड़ता।
फिरोजा रत्न धारण करने से व्यक्ति की सामाजिक स्थिति और जीवनशैली बेहतर बनती है।
फिरोजा रत्न स्वास्थ्य की दृष्टि से भी बहुत ही फायदेमंद है। इसे धारण करने से किसी भी व्यक्ति के लिवर ,किडनी या ह्यूमन सिस्टम से संबंधित कई तरह की बीमारियों से निजात मिलता है।
जिस व्यक्ति के बोलने में घमंड या क्रोध का भाव प्रकट होता है। यदि ऐसे व्यक्ति फिरोजा रत्न को धारण करते हैं तो उसके बोली में मिठास आती हैं।
जिस व्यक्ति को लगता है कि उसका मूड बार-बार बदलते रहता है, उसे मानसिक रूप से शांति नहीं मिलती ,अक्सर वह डिप्रेशन में चला जाता है तो ऐसे लोगों के लिए भी फिरोजा रत्न धारण करना काफी फायदेमंद होता है।
फिरोजा रत्न पहनने से धन के प्रवाह पर भी संतुलन एवं नियंत्रण लगता है। जिन लोगों से पैसे की बचत नहीं हो पाती उन लोगों को फिरोजा रत्न धारण करना चाहिए।
फिरोजा रत्न के नुकसान
हालांकि फिरोजा रत्न के कोई खास नुकसान नहीं है लेकिन किसी की कुंडली में बृहस्पति ग्रह पहले से ही बलवान है तो उसे फिरोजा रत्न को धारण करने की कोई आवश्यकता नहीं होती है।
लेकिन ध्यान रखना जरूरी है कि कोई यदि फिरोजा रत्न धारण करता है तो वह शराब का सेवन ना करें।
फिरोजा रत्न को मानसिक रूप से कमजोर व्यक्ति भी पहन सकता है या जिसको बहुत ही अहंकार है वह भी इसे धारण कर अपने अंदर की बुराई को कम कर सकता है लेकिन मानसिक रूप से विकलांग लोगों को फिरोजा रत्न धारण नहीं करना चाहिए।
फिरोजा रत्न पहनने से व्यक्ति को मन की शांति मिलती है लेकिन इस रत्न को पहनने के बाद इसे सम्मान देना भी जरूरी है यदि आप इसे सम्मान की नजर में नहीं देखते तब इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
वैसे तो फिरोजा रत्न धनु राशि के लोगों के लिए विशेष रूप से फायदेमंद होता है परंतु यदि कोई अन्य राशि के लोग भी पहनते हैं तो इसका कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ता लेकिन सकारात्मक प्रभाव भी नहीं पड़ता है।
मीन राशि के लोग यदि इसे धारण करते हैं तो उन्हें सोमवार के दिन ही इसे धारण करना चाहिए।
फिरोजा रत्न धारण करने की विधि
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार फिरोजा रत्न को सोने-चांदी या तांबे के धातु के साथ पहनना शुभ होता है। इनमें से किसी भी धातु की पेंडल या अंगूठी में इसे जड़वा कर तर्जनी या अनामिका उंगली में पहन सकते हैं।
फिरोजा रत्न को धारण करने के लिए गुरुवार, शुक्रवार और शनिवार का दिन ज्यादा शुभ माना जाता है और सुबह 6:00 बजे से लेकर 8:00 बजे के बीच इसे धारण करना ज्यादा लाभकारी होता है।
इनमें से जिस दिन भी आप फिरोजा रत्न को धारण करते हैं उसके 1 दिन पहले एक बर्तन में दूध ,शहद, मिश्री और गंगाजल का घोल डालकर उसमें फिरोजा स्टोन को रख दें।
दूसरे दिन सुबह सर्वप्रथम स्नान करें उसके बाद अपने घर के पूजा स्थल पर बैठ जाए और फिर एक तांबे की कटोरी ले। उसमें गंगाजल ,तुलसी की कुछ पत्तियां, गाय का कच्चा दूध, घी और शहद डालें और उसके बाद उसमें फिरोजा स्टोन को डालें।
अब 108 बार ‘ऊं ग्रां ग्रीं ग्रूं सा: गुरुवे नम:’ का जाप करके इसे धारण कर लें।
फिरोजा रत्न को पहचानने का तरीका
बाजार में जिन चीजों की उपलब्धता कम होती है उन्हीं चीजों कि नकली स्वरूप को बेचना ज्यादा संभावना होती है। परंतु फिरोजा रत्न बाजार में काफी आसानी से मिल जाता है। ऐसे में फिरोजा रत्न के मामले में दुकानदार के द्वारा ठगी जाने की संभावना काफी कम होती है।
लेकिन बस अंतर यह होता है कि फिरोजा रत्न की क्वालिटी कई प्रकार की होती है। जो अच्छी क्वालिटी का फिरोजा रत्न होता है वह गहरे नीले रंग का होता है एवं आसमानी और कई बार हरे रंग का भी होता है। ऐसा फिरोजा रत्न खास करके ईरान में बहुत ज्यादा मिलता है।
अमेरिकन, तिब्बत और भारत से भी प्राप्त होने वाले फिरोजा रत्न अच्छे होते हैं। यदि तभी आपको शंका है कि फिरोजा रत्न असली है या नकली तो दुकानदार आपको फिरोजा रत्न खरीदने के बाद सर्टिफिकेट भी दे रहा है तो उसका मतलब है कि स्टोन असली है। इसीलिए जब भी आप रत्न खरीदे तो उसके साथ प्रमाण पत्र भी जरूर मांगे।
फिरोजा रत्न की कीमत
जैसे हमने आपको पहले ही बताया कि फिरोजा रत्न की अलग-अलग क्वालिटी होती है और क्वालिटी के हिसाब से इसके कीमत में भी बढ़ोतरी होती है। इसके वजन, इसकी उत्पत्ति, कट, शेप, रंग और स्पष्टता के आधार पर फिरोजा रत्न की कीमत तय की जाती है।
वैसे बात करें भारत में तो आम तौर पर यहां पर फिरोजा रत्न की कीमत 300 से ₹400 प्रति शुरू होती है। जितनी अच्छी क्वालिटी का फिरोजा रत्न होगा उसकी कीमत उतनी ही ज्यादा होगी।
FAQ
कहते हैं बृहस्पति देव फिरोज रत्न के स्वामी हैं इसीलिए गुरुवार का दिन जो बृहस्पति देव को समर्पित है। इस दिन फिरोज रत्न धारण करना ज्यादा शुभ माना जाता है हालांकि इसके अतिरिक्त शनिवार और शुक्रवार के भी दिन फिरोज रत्न को धारण कर सकते हैं।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कहा जाता है फिरोज रत्न पर बृहस्पति ग्रह का आधिपत्य रहता है। ऐसे में जिसके कुंडली में बृहस्पति ग्रह कमजोर होता है उनके लिए फिरोजा रत्न धारण करना बहुत ही लाभदायक माना जाता है। इससे उस व्यक्ति के जीवन में मान सम्मान बढ़ता है, उसके कार्य में भी सफलता मिलती है एवं उसका एकाग्रता भी बढ़ता है।
यदि किसी की कुंडली में बृहस्पति ग्रह कमजोर है या उसकी नकारात्मक प्रभाव पड़ रहे हैं तो फिरोजा रत्न को विधिपूर्वक धारण करने के पश्चात 30 दिनों के अंदर ही इस रत्न के प्रभाव दिखने लगते हैं।
फिरोजा रत्न को कम से कम 3 से 4 रत्ती का पहनना चाहिए। हालांकि कहते हैं फिरोजा रत्न के रत्ती एवं धारण करता के वजन के बीच संबंध होना चाहिए। इसीलिए व्यक्ति का जितना वजन होता है, उसके अंक के बराबर ही रत्ती धारण करना अच्छा है जैसे किसी का वजन 30 किलोग्राम है तो 3 रत्ती का फिरोजा रत्न उसके लिए धारण करना ज्यादा शुभ माना जाता है।
फिरोजा रत्न को सोने, चांदी या तांबे के धातु की अंगूठी में जड़वाकर अनामिका या तर्जनी उंगली में धारण कर सकते हैं।
निष्कर्ष
आज के इस लेख में हमने आपको रत्न शास्त्र के 9 प्रमुख रत्नो में से एक फिरोजा रत्न के बारे में बताया जो बृहस्पति ग्रह से संबंधित है और बृहस्पति ग्रह के नकारात्मक प्रभाव को दूर करता है।
इस लेख के जरिए आपको जानने को मिला कि फिरोजा रत्न पहनने से व्यक्ति को कौन-कौन से लाभ मिलते हैं और फिरोजा रत्न के क्या नुकसान हैं। इसके साथ ही फिरोजा रत्न को धारण करने की सही विधि के बारे में भी आपने जाना।
हमें उम्मीद है कि आज का यह लेख फिरोजा रत्न के फायदे, नुकसान, कीमत एवं धारण करने की विधि ( Firoza Ratna ke fayde aur nuksan) आपके लिए जानकारी पूर्ण रहा होगा। इस लेख को अपनी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के जरिए अन्य लोगों के साथ जरूर शेयर करें ताकि कोई भी व्यक्ति अपने जीवन मेंबृहस्पति ग्रह के नकारात्मक प्रभाव को दूर करने के लिए फिरोजा रत्न के बारे में जान सकें।
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