Kaal Sarp Yog ke Dosh aur Mahatva: कुंडली में ग्रहों की स्थिति का विशेष महत्व होता है जिसे कई दशाओं में नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। कई बार लोग अपने जीवन में बहुत परेशान होते हैं और बार-बार असफलताओं का सामना करते हैं। कड़ी मेहनत करने के बावजूद भी सफलता उनके हाथ नहीं लगती। तब लोग इसे भाग्य का दोष या पिछले जन्म के बुरे कर्म मानते हैं और बाद में हताश और निराश हो जाते हैं।
कई बार तो लोग इस कदर निराश हो जाते हैं और उन्हें अपने जीवन से मोह नहीं रह जाता। कुंडली में बहुत सारे ऐसे योग होते हैं जो या तो बहुत अच्छे होते हैं या बहुत बुरे। यदि वे बेहद अच्छे हैं तो जीवन में निरंतर सफलता मिलती रहती है और यदि भी योग बुरे होते हैं तो व्यक्ति जीवन में असफलताओं का सामना करता है। हालांकि इन सारे बुरे लोगों का भी कोई ना कोई निवारण अवश्य होता है।
आज हम आपको अपने इस आर्टिकल में ऐसे ही एक योग के बारे में बताने जा रहे हैं जिसका नाम है कालसर्प योग। यदि आपकी कुंडली में भी यह योग है, तो आज का यह आर्टिकल आपके बेहद काम आने वाला है। तो आइए बिना समय गवाएं इस आर्टिकल को पढ़ते हैं और कालसर्प योग से जुड़ी हुई सारी जानकारी एकत्रित करते हैं।
कालसर्प योग के दोष, लाभ और महत्व | Kaal Sarp Yog ke Dosh aur Mahatva
कालसर्प योग
आइए सबसे पहले हम यह जानते हैं कि कालसर्प योग बनता कैसे हैं? ज्योतिष विज्ञान के अनुसार जब जन्म कुंडली के सारे ग्रह राहु और केतु के बीच विराजमान होते हैं तब कालसर्प योग की स्थिति बनती है। ऐसी स्थिति में राहु और केतु और विभिन्न ग्रहों की स्थिति तय करती है कि कालसर्प योग व्यक्ति विशेष के लिए लाभकारी है या दोषपूर्ण है।
कालसर्प योग के दोष या दोषपूर्ण प्रभाव
जन्म कुंडली में कालसर्प योग व्यक्ति विशेष के जीवन में काफी सारे दुष्प्रभाव डालता है। आइए अब कालसर्प योग के दोष या इसके द्वारा क्या गलत प्रभाव पड़ सकते हैं उनके विषय में जान लेते हैं।
- व्यक्ति को लगातार कड़ी मेहनत करने के बावजूद भी अपने जीवन में या किसी क्षेत्र विशेष में सफलता नहीं मिलती। यह किसी व्यक्ति की जन्म कुंडली में कालसर्प योग होने का सबसे बड़ा दुष्प्रभाव होता है।
- घर में क्लेश का वातावरण बना रहता है।
- व्यक्ति को नौकरी, पेशा, विवाह, धन प्राप्ति और कैरियर जैसे अलग-अलग क्षेत्रों में बाधाओं या फिर रुकावट का सामना करना पड़ता है।
- इन सभी समस्याओं से घिरे होने के कारण व्यक्ति तनावग्रस्त हो जाता है।
- व्यक्ति को लगातार निराशा का सामना करना पड़ता है।
कालसर्प योग के लाभ
यद्यपि कालसर्प योग के बहुत सारे दुष्प्रभाव हैं किंतु इसके बाद भी इस योग से कई लाभ भी होते हैं। आइए अब हम कालसर्प योग से होने वाले लाभ के बारे में जान लेते है।
- जन्म कुंडली में कालसर्प योग से होने वाले लाभ के परिणाम स्वरूप जातक कड़ी मेहनत करने वाला होता है।
- जातक या व्यक्ति विशेष जिसे कालसर्प योग है वह साहसी होता है। अतः किसी भी क्षेत्र में जोखिम उठाने से नहीं डरता।
- यदि जन्म कुंडली में ग्रहों की स्थिति अच्छी है, तो इस योग के होने के बावजूद भी व्यक्ति सफलता की ऊंचाइयों को छु पाता है।
- जातक या व्यक्ति विशेष के जीवन में सफलताएं ही सफलताएं होती हैं।
- इस योग के लाभकारी परिणाम स्वरूप जातक किसी क्षेत्र विशेष में अपार समृद्धि यश और कीर्ति अर्जित कर लेता है।
काल सर्प योग का महत्व
किसी व्यक्ति विशेष की कुंडली में यदि कालसर्प योग है, तो उसका विशेष महत्व होता है। यह योग लाभ और दोष दोनों की दशा में अत्यधिक प्रभावी होता है। कालसर्प योग अलग-अलग प्रकार का भी होता है। यह ग्रहों की स्थिति पर निर्भर करता है।
यदि ग्रहों की स्थिति अच्छी है तो जातक को अत्यधिक लाभ प्राप्त होता है। यदि ग्रहों की स्थिति अच्छी नहीं है तो जातक को असफलताओं का सामना करना पड़ता है।
इस योग का प्रभाव कई बार काफी कम समय, कई बार अधिक समय, और कभी-कभी जीवन भर के लिए भी होता है। यदि जन्म कुंडली में राहु तीसरे छठे और ग्यारहवें स्थान पर हो तो इस योग से होने वाले दुष्प्रभाव काफी कम समय के लिए होते हैं।
यदि राहु का स्थान पांचवे, आठवें और बारहवें स्थान पर हो तो इस योग से होने वाले दुष्प्रभाव काफी गंभीर और लंबे समय तक चलने वाले होते हैं। किसी विद्वान पंडित या ज्योतिष से कुंडली दिखाकर इस योग से होने वाले दोषों का निवारण आसानी से किया जा सकता है।
FAQ
जब जन्म कुंडली में राहु और केतु के बीच में सारे ग्रह आ जाते हैं तब यह योग बनता है।
जातक को कड़ी मेहनत करने के बाद भी असफलताओं का सामना करना पड़ता है जिस वजह से वह हमेशा तनावग्रस्त रहता है।
निष्कर्ष
आज के आर्टिकल में हमने आपको कालसर्प योग के दोष, लाभ और महत्व ( Kaal Sarp Yog ke Dosh aur Mahatva) के बारे में डिटेल में जानकारी दी है। हमें उम्मीद है, कि हमारे द्वारा दी गई जानकारी आपको पसंद आई होगी।
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