Pukhraj Stone Benefits in Hindi: ज्योतिष शास्त्र में नौ ग्रहों का उल्लेख मिलता है और हर व्यक्ति के जीवन में इन ग्रहों के चाल के अनुसार उनके प्रभाव पड़ते हैं। इन नौ ग्रहों के हिसाब से ही नवरत्न भी बनाए गए हैं और प्रत्येक रत्नों पर किसी न किसी ग्रह का आधिपत्य होता है।
यदि सही राशि और सही ग्रहों के हिसाब से रत्न को धारण किया जाए तो उस ग्रह को प्रसन्न एवं अनुकूल किया जा सकता है जिससे उस ग्रह के सकारात्मक प्रभाव अपने जीवन में प्राप्त कर सकते हैं। रत्न शास्त्र के प्रमुख नौ रत्नों में से एक रत्न पुखराज रत्न भी है जिसे बृहस्पति ग्रह का प्रतिनिधि माना जाता है।

कहते हैं बृहस्पति ग्रह किसी भी व्यक्ति के पिछले जन्म के कर्म ,ज्ञान ,धर्म, संतान सुख का कारक होता है। यदि इसके सकारात्मक प्रभाव जीवन पर पड़े तो व्यक्ति के जीवन में धन संपत्ति बढ़ती है, उसे मान सम्मान प्राप्त होता है। इसीलिए बृहस्पति ग्रह को प्रसन्न करने के लिए पुखराज रत्न को धारण करने की सलाह ज्योतिष के द्वारा दी जाती है।
इसके अतिरिक्त जिसके कुंडली में बृहस्पति ग्रह कमजोर होता है ऐसे लोगों को भी पुखराज रत्न धारण करने की सलाह दी जाती है। ऐसे पुखराज रत्न को धारण करने के अन्य कई स्वास्थ्य संबंधित लाभ भी हैं। इसके साथ ही इसको धारण करने के कुछ नियम भी होते हैं जिसके बारे में आगे हम इस लेख में विस्तारपूर्वक जानेंगे तो चलिए इस लेख में आगे बढ़ते हैं।
पुखराज रत्न क्या होता है?
ज्योतिषशास्त्र में पुखराज रत्न बहुत ही महत्वपूर्ण रत्न माना जाता है जिसे बृहस्पति ग्रह का प्रतीक माना जाता है जो पिछले जन्म के कर्म ज्ञान, धर्म एवं संतान सुख का कारक मान होता है।
वैसे रासायनिक रूप से पुखराज रत्न यैलो सैफायर एल्युमनीयिम ऑक्साइड होता है। यह चमकदार, पारदर्शी और कठोर खनिज होता है। इसे हीरे के बाद सबसे कठोर खनिज माना जाता है। पुखराज रत्न को अन्य कई सारे नाम से भी जाना जाता है जैसे कि गुरु रत्न, पुष्कराज रत्न, पुष्परागम रत्न, कनकपुष्यरागम रत्न और पीतामणि आदि।
वैसे तो प्रकृति में यह रत्न पारदर्शी रूप में पाया जाता है लेकिन कुछ अशुद्धि की मौजूदगी के कारण यह हल्का नारंगी या भूरे रंग का भी होता है। वैसे इसमें विकिरण को प्रसारित करके इसे सफेद, पीला ,आसमानी, नीला एवं गुलाबी रंग में भी बनाया जाता है।
पुखराज रत्न भारत सहित ऑस्ट्रेलिया, थाईलैंड, पाकिस्तान, मोंटाना, बर्मा, अफगानिस्तान, तंजानिया और केन्या जैसे देशों में भी पाया जाता है। लेकिन सबसे अच्छी क्वालिटी का पुखराज रत्न श्रीलंका के सेलॉन का माना जाता है।
बात करे पुखराज रत्न के कीमत की तो बाजार में इसकी क्वालिटी के हिसाब से अलग-अलग दाम पर पुखराज रत्न बेचे जाते हैं। क्वालिटी के अनुसार ₹25000 प्रति कैरेट से लेकर 40000 प्रति कैरेट तक यह बिकता है।
वैसे यदि किसी कारणवश पुखराज रत्न को धारण नहीं कर सकता तो ऐसी स्थिति में पुखराज का उपरत्न भी आते हैं जिसकी कीमत पुखराज रत्न से थोड़ी कम होती है लेकिन पुखराज रत्न की तरह ही इससे भी सभी प्रकार के लाभ मिलते हैं घीया, केसरी,सुनैहला, केरू, और पीला हकीक को भी पुखराज के जगह धारण कर सकते हैं।
पुखराज रत्न का इतिहास भी काफी प्राचीन है माना जाता है प्राचीन समय में स्त्री अपने सतीत्व को बचाने के लिए इस रत्न को अपने पास रखा करती थी ।
पुखराज धारण करने के फायदे (Pukhraj Stone Benefits in Hindi)
- पुखराज रत्न पर बृहस्पति ग्रह का आधिपत्य होता है और बृहस्पति ग्रह इंसान का कर्म ,ज्ञान, बुद्धि जैसे कारक का स्वामी होता है। इसे धारण करने से व्यक्ति को शिक्षा, बुद्धि और व्यापार में लाभ प्राप्त होते हैं ,धन और समृद्धि एवं मान सम्मान प्राप्त होता है।
- सीने का दर्द, श्वास रोग, गला रोग, वायु विकार, टीबी, हृदय रोग, जैसे समस्याओं से ग्रसित मरीजों के लिए पुखराज धारण करना लाभकारी साबित होता है।
- पुखराज रत्न गर्मी उत्सर्जित करता है, जो भी पुखराज रत्न को धारण करता है उसे ऊर्जा मिलती है।
- पुखराज रत्न को धारण करने से खून की खराबी जैसी समस्या दूर होती है, यहां तक कि पुखराज रत्न जहर को भी काटने की क्षमता रखता है।
- नीला पुखराज प्रेम एवं स्नेह का प्रतीक होता है। इस रंग के पुखराज को धारण करने से लोगों के जीवन में प्यार बढ़ता है। विवाह योग्य कन्याओं के लिए जल्दी एवं शुभ विवाह होने के लिए पुखराज रत्न धारण करना चाहिए।
- नीले रंग का पुखराज कोई धारण करता है तो इससे व्यक्ति का क्रोध कम हो जाता है उसके अंदर दयालु पन की भावना बढ़ती है।
- पेट में अल्सर, मल पतला आना, या पीलिया जैसी समस्याएं भी पुखराज रत्न को धारण करने से ठीक हो जाते हैं।
- पुखराज रत्न धारण करने से व्यक्ति के मानसिक स्थिरता बढ़ती है और मस्तिष्क पर सकारात्मक प्रभाव पड़ते हैं और उसकी ज्ञान की वृद्धि होती हैं।
- अस्थमा, ब्रोंकाइटिस, साइनस, बवासीर,फेफड़ों से जुड़ी बीमारियां,दुख, चिंता, तनाव, डर जैसी समस्याएं दूर हो जाती है।
- पुखराज रत्न धारण करने से व्यक्ति की यौन इच्छा बढ़ती है और किसी की नपुसंकता की समस्या भी दूर हो जाती हैं।
- पुखराज रत्न को धारण करने से व्यक्ति का पाचन तंत्र और प्रतिरक्षा तंत्र नियंत्रित रहता है। क्योंकि पुखराज रत्न शरीर के सात चक्र में से मणिपुर चक्र का स्वामी होता है यह चक्र को पुखराज रत्न संतुलन प्रदान करता है।
- पुखराज रत्न धारण करने से हड्डियों से जुड़ी तमाम प्रकार की परेशानियां जैसे की सूजन या गाठिया जैसी समस्याएं से राहत मिलती है।
पुखराज रत्न पहनने के नुकसान
पुखराज रत्न का वैसे तो कुछ खास नुकसान नहीं है लेकिन इसका नकारात्मक प्रभाव तभी पड़ता है जब गलत राशि का व्यक्ति पुखराज रत्न धारण कर ले क्योंकि कन्या, तुला, मकर, मिथुन, कुंभ, वृषभ जैसे राशि वाले लोगों को ज्योतिषी की सलाह पर उनके कुंडली में बृहस्पति ग्रह के खास स्थिति में ही इस रत्न को पहनना शुभ होता है।
वरना इससे उनके जीवन पर अशुभ प्रभाव दिखते हैं। इसके अतिरिक्त पुखराज रत्न को नीलम हीरा, लहसुनियां, पन्ना जैसे अन्य रत्नों के साथ नहीं पहनना चाहिए। यदि कोई ऐसा करता है तो इससे पुखराज रत्न के नकारात्मक प्रभाव जीवन पर पड़ते हैं।
पुखराज पहनने के नियम व विधि
पुखराज रत्न को सोने के धातु में गढ़वा कर उसकी अंगूठी बनाकर पहनी जाती है। जब इसकी अंगूठी बनाई जाती है तो इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए कि निचला हिस्सा थोड़ा खुला रहे ताकि यह रत्न व्यक्ति की उंगली को स्पर्श करें।
सभी रत्नों को पहनने के लिए खास दिन निश्चित किए गए हैं। पुखराज रत्न के लिए गुरुवार का दिन शुभ माना गया है। क्योंकि पुखराज रत्न पर बृहस्पति ग्रह का आधिपत्य होता है और बृहस्पति के लिए गुरुवार का ही दिन समर्पित है। इसीलिए पुखराज रत्न को गुरुवार के दिन धारण करना चाहिए।
जब पुखराज रत्न को सोने की अंगूठी में जड़वाया जाता है तो कम से कम चार रत्ती के वजन का पुखराज जरूर होना चाहिए। वैसे यदि व्यक्ति अपने वजन के अनुसार पुखराज रत्न की रत्ती को धारण करता है तो ज्यादा लाभकारी होता है और इसे जानने का बहुत ही आसान तरीका होता है।
कोई भी व्यक्ति अपने वजन को ज्ञात करके पता लगा सकता है कि उसे पुखराज रत्न कितने रत्ती का पहनना चाहिए। उदाहरण के लिए यदि किसी का वजन 70 किलोग्राम है तो उसे 7 रत्ती का पुखराज पहनने से ज्यादा लाभ प्राप्त होता है।
अंगूठी में जड़वाए गए पुखराज रत्न को गुरुवार के दिन स्नान करने के पश्चात पहनना चाहिए। लेकिन उससे पहले अंगूठी को पंचामृत यानी कि दूध, शहद, शक्कर ,गंगाजल और घी से शुद्ध करना चाहिए।
उसके बाद हल्दी या पीले पुष्प अर्पित करके “ॐ ब्रह्म बृहस्पतए नमः ” मंत्र का 108 बार जाप करके तर्जनी उंगली में पहनना चाहिए।
पुखराज का बारह राशियों पर प्रभाव
वृषभ राशि
वृषभ राशि के जातक के कुंडली में जब गुरु की महादशा और अंतर्दशा चल रही हो और जब गुरु स्वयं की राशि कर्क, धनु या मीन में बैठा हो तो ऐसे राशि वाले जातकों के लिए पुखराज रत्न लाभकारी साबित होता है।
इस रत्न को धारण करने के पश्चात उन्हें आय के नए नए स्त्रोत मिलते हैं, उनके करियर में सफलता मिलती है साथ ही उनकी आयु भी बढ़ती है।
मेष राशि
मेष राशि वाले जातकों के लिए पुखराज रत्न बहुत ही लाभकारी साबित होता है। इस राशि के नौवें एवं 12वे भाव का स्वामी होता है बृहस्पति ग्रह।
ऐसे में यदि मेष राशि का जातक पुखराज रत्न को धारण करता है तो उसे सफलता एवं सम्मान मिलता है, उसके पिता के साथ अच्छा संबंध रहता है। इसके साथ ही अध्यात्म के क्षेत्र में भी उसकी रुचि बढ़ती है।
कर्क राशि
कर्क राशि वाले जातकों की कुंडली में गुरु सबसे शक्तिशाली भाव नवम भाव का स्वामी होता है और नवम भाव भाग्य, सफलता, सम्मान, सामाजिक संबंध, पिता, नाम एवं शोहरत यादी का स्वामी होता है। इस रत्न को धारण करने से उन्हें इन सभी क्षेत्रों में सफलता मिलती है।
ऐसे राशि वाले लोग जब पुखराज रतन पहनते हैं तो उनके कुंडली से बृहस्पति के नकारात्मक प्रभाव दूर होते हैं। वैसे जब कुंडली में गुरु की अंतर्दशा और महादशा चल रही हो तो इसके दौरान पुखराज रत्न पहनना ज्यादा फायदेमंद साबित होता है।
मिथुन राशि
जब मिथुन राशि के जातकों की कुंडली में गुरु की महादशा या अंतर्दशा चल रही होती है या फिर गुरु स्वयं की राशि कर्क, धनु और मीन में बैठा होता है तो मिथुन राशि वाले जातक पुखराज रत्न को धारण कर सकते हैं।
जिससे उनके व्यापार में सफलता मिलती है ,ऊंचे पद पर बैठे लोगों के साथ उनका संपर्क बढ़ता है, ज्ञान में वृद्धि होती है।
सिंह राशि
सिंह राशि वाले जातकों की कुंडली में पांचवे एवं अष्टम भाव का स्वामी होता है बृहस्पति ग्रह। इसलिए सिंह राशि वालों के लिए पुखराज रत्न बहुत लाभकारी होता है वे जीवन भर पुखराज रत्न को धारण कर सकते हैं।
वृश्चिक राशि
वृश्चिक राशि वाले लोगों के लिए जीवन पर्यंत पुखराज रत्न लाभकारी साबित होता है इस वतन को पहनने से उनकी बौद्धिक क्षमता बढ़ती है। उनकी एकाग्रता भी बढ़ती है और शिक्षा में उन्नति होता है उनके जीवन में धन एवं समृद्धि आती है।
कन्या राशि
कन्या राशि वाले लोगों के लिए यदि उनके कुंडली में गुरु की महादशा और अंतर्दशा चल रही हो और बृहस्पति ग्रह अपने ही राशि कर्क, धनु या मीन में स्थित हो तो वे इस रत्न को धारण कर के जीवन में सुख शांति प्राप्त कर सकते हैं। इसे धारण करने से उन्हें दोस्तों का भी सहयोग मिलता है।
तुला राशि
जब गुरु कर्क, मीन और धनु जैसे अपने स्वयं के राशि में स्थित होते हैं तो ऐसी स्थिति में तुला राशि वाले लोग पुखराज रत्न को धारण कर सकते हैं।
इसके अतिरिक्त गुरु की महादशा और अंतर्दशा में भी इस रत्न को धारण कर सकते हैं। इसे पहनने के पश्चात उन्हें साहस मिलता है उनका अपने भाई-बहनों के साथ संबंध भी अच्छा बनता है।
कुंभ राशि
कुंभ राशि के जातक यदि गुरु की महादशा के दौरान पुखराज धारण करें तो उन्हें बहुत ज्यादा लाभ मिलने की संभावना होती है हालांकि यदि उनके कुंडली में गुरु अपने स्वराशि और उच्च राशि में स्थित हो तभी इसे धारण कर सकते हैं।
मीन राशि
मीन राशि वाले लोगों के कुंडली में बृहस्पति ग्रह उनके लग्न और दशम भाव का स्वामी होता है, जो योगकारक ग्रह है ऐसे में वे जीवन पर्यंत पुखराज रतन को पहन सकते हैं।
धनु राशि
धनु राशि वाले लोगों के लिए भी पुखराज रत्न बहुत ही लाभकारी होता है। जब उनके कुंडली में मंगल,शनि, केतु, सूर्य कमजोर होते हैं या नकारात्मक प्रभाव दे रहे होते हैं तो ऐसे में पुखराज रत्न धारण करना उनके लिए बहुत ही फायदेमंद साबित होता है।
मकर राशि
मकर राशि के जातक गुरु की महादशा और अंतर्दशा में पुखराज को धारण कर सकते हैं।
पुखराज रत्न की पहचान करने के तरीके
पुखराज रत्न की कीमत काफी ज्यादा होती है और इसका महत्व भी बहुत ज्यादा होता है ऐसे में बाजार में कई तरह के पुखराज रत्न मिलते हैं और इसमें ठगे जाने की भी संभावना काफी ज्यादा होती है। इसलिए जब कोई भी पुखराज रत्न खरीदने जाता है तो उसे असली पुखराज रत्न की जानकारी होनी चाहिए।
जो पुखराज रत्न असली होता है वह चिकना होता है, दिखने में चमकदार होता है, पानीदार या फिर पारदर्शी और अच्छे पीले रंग का होता है। यह बिल्कुल हीरे की तरह मजबूत होता है और इस पर कोई भी स्क्रैच नहीं पड़ता।
यदि आप असली पुखराज रत्न की पहचान करना चाहते हैं, तो इसका पहला तरीका यह है कि आप पुखराज रत्न को अपने हथेली में रखकर कुछ देर तक हिला सकते हैं। अगर इसके पश्चात आपको यह थोड़ा भारी लग रहा है तो इसका मतलब यह असली है।
इसके अतिरिक्त असली पुखराज रत्न गर्मी को उत्सर्जित करता है ऐसे में इतनी देर तक हाथ में पुखराज रत्न को रखने के पश्चात आपकी हथेली थोड़ी गरम महसूस होती है।
असली पुखराज रत्न की पहचान करने का दूसरा तरीका यह है कि जब पुखराज रत्न को खरीद कर लाते हैं तो उसे कांच की गिलास में गाय का दूध डालकर उसके अंदर पुखराज को डाले। जब एक या डेढ़ घंटे के अंदर पुखराज रत्न की किरने दूध के ऊपर छिटकती हुई दिखने लगे तो इसका मतलब समझ जाइएगा कि यह पुखराज असली है।
इसके अतिरिक्त आप तीसरा उपाय यह कर सकते हैं कि पुखराज को एक सफेद कपड़े पर सूरज के किरणों के विपरीत दिशा में रख सकते हैं। यदि पुखराज असली होगा तो कुछ देर के बाद रुमाल के पीछे आपको गहरे पीले रंग की रोशनी दिखाई देगी। बता दे कि यदि पुखराज नकली हुआ तो यह रोशनी काफी हल्की दिखेगी या तो नहीं दिखेगी।
FAQ
पुखराज की कीमत लगभग एक हजार प्रति कैरट है लेकिन इसके गुणवत्ता के अनुसार इसकी कीमत और भी ज्यादा बढ़ जाती है।
पुखराज रत्न पर बृहस्पति ग्रह का आधिपत्य होता है और इस रत्न को धारण करने के 30 दिनों के अंदर ही जातक की कुंडली में बृहस्पति ग्रह मजबूत होने लगते हैं और उसके सकारात्मक प्रभाव दिखने लगते हैं।
पुखराज रत्न ज्योतिष शास्त्र के अनुसार मीन राशि, धनु राशि एवं मेष राशि वाले लोगों के लिए लाभकारी होता है। वैसे पुखराज रत्न पर बृहस्पति ग्रह का अधिपति होने के कारण जिसकी कुंडली में बृहस्पति की स्थिति सामान्य नहीं होती है वैसे लोग भी इस रत्न को धारण कर सकते हैं।
वैसे प्राकृतिक अवस्था में तो पुखराज रंगहीन होता है लेकिन सूक्ष्म तत्व की अशुद्धियों के कारण कुछ हद तक नीला या भूरा या पीले रंग का बन जाता है। लेकिन रासायनिक प्रक्रिया जिसमें गर्मी या विकिरण के द्वारा इसको लाल, नारंगी, हल्का हरा, गुलाबी और बैंगनी जैसे अन्य रंगों में भी बनाया जाता।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार पुखराज रत्न पर बृहस्पति ग्रह का आधिपत्य होता है और जिसके कुंडली में बृहस्पति ग्रह मजबूत होता है उसके जीवन में सभी प्रकार की परेशानियां दूर हो जाती है। क्योंकि यह गुरु, ज्ञान ,धन, मान-सम्मान का प्रतीक होता है। इसीलिए इस ग्रह को मजबूत करने एवं इसके नकारात्मक प्रभाव को दूर करने के लिए पुखराज रत्न को धारण किया जाता है।
निष्कर्ष
आज के इस लेख में हमने आपको रत्न शास्त्र के प्रमुख नवरत्नों में से एक रत्न पुखराज रत्न के बारे में बताया। बृहस्पति ग्रह इस रतन का प्रतिनिधित्व करता है। इसलिए बृहस्पति ग्रह के सकारात्मक प्रभाव प्राप्त करने के लिए इस रत्न को पहना जाता है।
हमें उम्मीद है कि आज के इस लेख पुखराज रत्न के फायदे, नुकसान, नियम व विधि और सरल पहचान ( Pukhraj Stone Benefits in Hindi) के जरिए आपको इस रत्न से संबंधित सभी प्रकार की जानकारी मिल गई होगी। आज के इस लेख में आपने पुखराज रत्न को धारण करने के फायदे,नुकसान, इसे धारण करने की विधि के बारे में जाना। इसके साथ ही असली पुखराज रत्न को पहचानने के तरीके भी जाने।
हमें उम्मीद है कि आज का यह आपके लिए जानकारी पुन रहा होगा। यदि यह लेख आपको पसंद आए हो तो इसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म व्हाट्सएप ,इंस्टाग्राम , फेसबुक आदि के जरिए लोगों के साथ जरूर शेयर करें। इस लेख से संबंधित कोई भी प्रश्न या सुझाव आपके मन में हो तो हमें कमेंट में लिखकर बता सकते हैं।
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