Purano ki Sankhya Kitni Hai: जैसा कि आप सभी जानते हैं कि हिंदू धर्म में अनेकों तरह के ग्रंथ देखने को मिलते हैं, जोकि लोगों को धर्म और अधर्म का पाठ पढ़ाते हैं। हिंदू धर्म में ग्रंथ और पुराणों की काफी महत्वता होती है। भारत में कई सारे पुराणों की स्थापना की गई है। भारत में प्राचीन पुराणों का इतिहास काफी बड़ा है।

परंतु क्या आप जानते हैं कि भारत में कुल कितने पुराणों की स्थापना की गई है और उनके रचयिता कौन हैं? यदि आप नहीं जानते हैं तो हमारे इस आर्टिकल को पूरा जरूर पढ़ें क्योंकि आज हम आपको अपने इस आर्टिकल के जरिए पुराणों की संख्या कितनी है? रचयिता तथा सभी के नाम के बारे में बताएंगे। तो आइए जानते हैं।
पुराणों की संख्या कितनी है? (सभी नाम तथा रचयिता) | Purano ki Sankhya Kitni Hai
पुराण क्या होता है?
पुराण का शाब्दिक अर्थ “पुराना” होता है। जिसे प्राचीन भी कहा जाता है। भारत में प्राचीन पुराणों का इतिहास काफी बड़ा है। भारत में भक्ति ग्रंथों के रूप में बहुत सारे पुराणों की स्थापना की गई है, जिसमें से अधिकतर पुराणों की रचना संस्कृत भाषा में की गई है। पुराणों के अंतर्गत किसी भी देव देवताओं के जन्म से लेकर उनकी वीरगाथा तक की कहानी विस्तार में लिखी गई होती है।
भारत में अनेकों तरह के पुराण और ग्रंथ लिखे गए हैं, जिसमें सभी युगों के बारे में विस्तार पूर्वक बताया गया है। भारत में मौजूद सभी पुराणों में से कुछ पुराणों में प्राचीन काल के इतिहास के बारे में बताया गया है, तो कुछ पुराणों में वर्तमान समय के बारे में बताया गया है।
इसके साथ ही साथ प्राचीन पुराण लोगों के लिए काफी महत्वपूर्ण होता है और यह लोगों को ज्ञान प्रदान करने में भी सक्षम होता है क्योंकि इसके अंतर्गत देव-देवताओं की वीर गाथा और युग के अलावा और अन्य चीजों की भी जानकारियां लिखी गई होती है जैसे कि- राजाओं, ऋषि-मुनियों, खगोल शास्त्र, खनिज, विद्न्यान, और प्रेम कथाओं कैसे इत्यादि जानकारियों का वर्णन किया गया।
पुराणों की संख्या कितने हैं और उनके नाम
जैसा कि हमने आपको उपर बताया कि भारत में प्राचीन पुराणों का इतिहास काफी बड़ा और महत्वपूर्ण है। यदि बात करें कि भारत में पुराणों की कुल संख्या कितनी है? और उनके नाम क्या क्या है?
तो आपको बता दें कि भारत में प्राचीन पुराणों की कुल संख्या 18 है और इसके अंतर्गत कुछ प्राचीन उप पुराण भी देखने को मिलते हैं, जिसकी संख्या कुल 24 है और उन सभी पुराणों के नाम निम्नलिखित है।
भारत के प्राचीन पुराण
- ब्रह्म पुराण
- वायु पुराण
- पद्म पुराण
- विष्णु पुराण
- मत्स्य पुराण
- भागवत पुराण
- नारद पुराण
- अग्नि पुराण
- गरुड पुराण
- कूर्म पुराण
- भविष्य पुराण
- ब्रह्माण्ड पुराण
- ब्रह्मवैवर्त पुराण
- लिङ्ग पुराण
- स्कन्द पुराण
- वाराह पुराण
- वामन पुराण
- मार्कण्डेय पुराण
भारत के प्राचीन उप पुराण
- आश्चर्य पुराण
- नारदीय पुराण
- विष्णुधर्म पुराण
- कपिल पुराण
- गणेश पुराण
- कालिका पुराण
- मानव पुराण
- उशना पुराण
- मारीच पुराण
- पाराशर पुराण
- एकाम्र पुराण
- भार्गव पुराण
- सौर पुराण
- आदि पुराण
- बृहद्धर्म पुराण
- मुद्गल पुराण
- नरसिंह पुराण
- ब्रह्माण्ड पुराण
- वरुण पुराण
- नन्दिपुराण
- दत्त पुराण
- शिवधर्म पुराण
- माहेश्वर पुराण
- साम्ब पुराण
सबसे पुराना पुराण कौन सा है?
यदि बात करें कि भारत का सबसे पुराना पुराण कौन सा है? तो आपको बता दें कि वैसे तो भारत का सबसे पुराना पुराण लुप्त हो चुका है।
परंतु जो भी पुराण ज्ञात हैं उनमें से सबसे पुराना मत्स्य पुराण, ब्रह्म पुराण और विष्णु पुराण को माना जाता है। इन पुराणों के अंतर्गत बहुत सारी चीजें लिखे हुए हैं, जिससे हमें बहुत कुछ सीखने को मिलेगा।
इन सभी पुराणों के अंतर्गत यानी कि मत्स्य पुराण, ब्रह्म पुराण, विष्णु पुराण, वायु पुराण, भागवत पुराण इत्यादि में देव-देवताओं के जन्म और उनके इतिहास के बारे में वर्णन किया गया है। इसके साथ ही साथ किसी पुराणों के अंतर्गत राजा- राजाओ और उनकी वंशवली के बारे में भी देखने को मिलता है।
पुराणों के रचयिता कौन है?
भारत में पुराणों की महत्वता काफी अधिक है और पुराणों का इतिहास भी काफी बड़ा है। जैसा कि हमने आपको ऊपर भारत में मौजूद पुराण और उप पुराण के नाम के बारे में बताया है। तो आपको यह बता दें कि इन सभी पुराणों के रचयिता के रूप में भगवान वेदव्यास जी को जाना जाता है। कहा जाता है कि इनके द्वारा ही सभी पुराणों की रचना की गई है।
भगवान वेदव्यास जी को साक्षात भगवान श्री हरि विष्णु के अवतार के रूप में भी जाना जाता है और उनके पिता का नाम पराशर था। पराशर के पुत्र होने के साथ-साथ इन्हें अन्य कई तरह के नामों से भी जाना जाता है, जैसे कि- बादरायण, कृष्ण द्वैपायन इत्यादि।
भगवान वेदव्यास जी एक बहुत ही महान और विद्यमान व्यक्ति थे। जब भी पुराणों की रचना की बात आती है, तो मुख्य रूप से वेदव्यास जी को हि पुराणों के रचयिता के नाम से जाना जाता है। भारत में मौजूद 18 पुराणों की रचना का श्रेय भगवान वेदव्यास जी को ही जाता है।
इसके साथ ही साथ जैसा कि हमने आपको ऊपर कुछ पुराणों के नाम के बारे में बताया है, तो आपको बता दें कि उन पुराणों के अंतर्गत भी कुछ उप पुराण आते हैं और उन उप पुराणों के अंतर्गत भी कुछ अन्य पुराण शामिल है, जिनकी रचना भी वेदव्यास जी द्वारा ही किया गया है।
इसी प्रकार पुराणों की संख्या निरंतर बढ़ने लगी, परंतु जब भी मूल रूप से पुराणों के रचयिता के बारे में बात की जाती है तो सभी पुराणों के रचयिता के रूप में भगवान वेदव्यास जी को ही माना जाता है।
निष्कर्ष
भारत का इतिहास काफी प्राचीन है। इस आर्टिकल में हमने आपको पुराणों की संख्या कितनी है? (सभी नाम तथा रचयिता) (Purano ki Sankhya Kitni Hai) के बारे में बताया है। आर्टिकल पसंद आये तो उसे लाइक और शेयर जरुर करें। साथ ही साथ आज के इस लेख से संबंधित किसी भी प्रकार के सवाल या फिर किसी भी प्रकार के जानकारी के लिए नीचे दिए गए कमेंट बॉक्स का भी इस्तेमाल करना ना भूलें।
यह भी पढ़ें:
कलयुग क्या है और कलयुग कितना बाकी है?