शीलम परम भूषणम का हिंदी अर्थ क्या है?

Sheelam Param Bhushanam ka Hindi Arth: श्लोक भारत की संस्कृति का एक अहम हिस्सा है। प्राचीन काल से ही श्लोक और संस्कृत भाषा हमारे जीवन के एक हिस्सा रहे है, जो वर्तमान समय में अपने अंतिम पड़ाव पर है।

हालांकि अनेक सारे संस्कृत विश्वविद्यालय और संस्कृत के शिक्षण संस्थान है। फिर भी लोगों की रूचि संस्कृत को लेकर कम होती जा रही हैं। संस्कृत के श्लोक सनातन धर्म और भारतीय संस्कृति का रंग रूप बयां करते हैं। अनेक सारे ऐसे श्लोक हैं जो हमारी पुस्तकों में लिखे हुए होते हैं या किसी कार्यालय पर लिखे हुए होते हैं, जिनका अर्थ हमें पता नहीं होता है, तो उस समय हमें शर्मिंदगी महसूस हो सकती हैं।

IAS का नाम तो आपने सुना ही होगा। हिंदी में इसे सिविल सेवा कहते हैं। यह भारत की सबसे बड़ी सेवा है, जिसे पास करना अत्यंत कठिन होता है। प्रत्येक युवा अपने जीवन में आईएएस बनना चाहता है। आईएएस ट्रेनिंग सेंटर के संस्थान के प्रवेश द्वार पर ‘शीलं परमं भूषणम्’ यह श्लोक लिखा हुआ है।

Sheelam Param Bhushanam ka Hindi Arth
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शीलं परमं भूषणम् का हिन्दी अर्थ क्या है? इस विषय में हम आपको पूरी जानकारी विस्तार से इस आर्टिकल में बताने वाले हैं। जिससे आपको पता चल जाएगा कि शीलं परमं भूषणम्’ का अर्थ क्या होता है।

शीलम परम भूषणम का हिंदी अर्थ क्या है? | Sheelam Param Bhushanam ka Hindi Arth

शीलं परमं भूषणम् का हिन्दी अर्थ क्या है?

शीलं परमं भूषणम्’ यह एकमात्र संस्कृत का श्लोक ही नहीं बल्कि भारत की संस्कृति और भारत की परंपरागत रूप से एक महत्वपूर्ण शिक्षा रह चुकी है, जो व्यक्ति को जीवन जीने की नई राह प्रदान करवाता है। इससे एक सज्जन पुरुष का निर्माण होता है। शीलम परमं भूषणम का अर्थ एक चरित्रवान पुरुष का निर्माण करना होता है।

“शीलं” का अर्थ चरित्र, परम का अर्थ सर्वोत्तम या उच्चतम और भूषणम का अर्थ आभूषण होता है। इस तरह से इसका अर्थ इस तरह होता है कि चरित्र ही सर्वोच्च गुण है। चरित्र ही मनुष्य का आभूषण है। चरित्र को विशेष रूप से महत्व देने वाला यह श्लोक प्रत्येक व्यक्ति को जानना चाहिए। इसका अर्थ पता करना चाहिए तथा इसे अपने जीवन में धारण करना चाहिए, जिससे व्यक्ति को जीवन में सफलता मिले।

यह संस्कृत का श्लोक प्राचीनतम भारत की संस्कृति और भारत की शिक्षा पद्धति का वर्णन करता है। इससे पता चलता है कि भारत की शिक्षा पद्धति प्राचीन समय में कैसी थी? कितनी कठोर और सुनियोजित तरीके की शिक्षा पद्धति करती थी? जिससे व्यक्ति को जीवन में किस तरह का ज्ञान मिलता और किस तरह से व्यक्ति जीवन में सफलता प्राप्त करते थे।

प्राचीन समय में संस्कृत भारत की भाषा हुआ करती थी तथा सभी प्रकार की शिक्षा भी संस्कृत भाषा में ही होती थी। संस्कृत को भारत की संस्कृति तथा देवताओं की भाषा कहा जाता है। वर्तमान समय में संस्कृति के तौर पर संस्कृत का उपयोग किया जाता है तथा संस्कृत भाषा को बचाने के हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं।

शीलं परमं भूषणम्  का शाब्दिक अर्थ

शीलं परमं भूषणम् यह केवल 3 शब्द ही नहीं है, यह भारत की संस्कृति है।‌ 3 शब्दों का यह श्लोक व्यक्ति को जीवन जीने की राह सिखाता है। व्यक्ति को यह बताता है कि व्यक्ति का परम कर्तव्य क्या है? व्यक्ति का धर्म क्या है? व्यक्ति का आभूषण क्या है? व्यक्ति को जीवन में क्या हासिल करना चाहिए? किस तरह से हासिल करना चाहिए तथा किस तरह से जीवन में संघर्ष और सफलता प्राप्त करनी चाहिए?

शीलं परमं भूषणम् एक अत्यंत जटिल संस्कृत का श्लोक है जिसका अनुवाद हर कोई नहीं कर सकता। इस श्लोक का अर्थ एक लाइन में इस तरह से हैं कि चरित्र ही मनुष्य का असली गहना है। चरित्र ही मनुष्य का असली आभूषण है।

इसलिए मनुष्य को अपने चरित्र को साफ सुथरा रखना चाहिए तथा अपने चरित्र पर किसी भी तरह का किचड नहीं उछलने देना चाहिए। चरित्र से ही व्यक्ति की पहचान की जाती है और चरित्र से ही व्यक्ति को उत्तम, सर्वोत्तम तथा गुणवान कहा जाता है।

इस तरह के संस्कृत श्लोक अनेक सारी परीक्षाओं में इंटरव्यू के दौरान पूछा जा सकता है। आमतौर पर भारत की सबसे बड़ी सेवा सिविल सेवा यानी आईएएस के इंटरव्यू के दौरान इस तरह के कठिन प्रश्न पूछे जाते हैं। बता दें कि आईएएस का इंटरव्यू संपूर्ण देश भर में ज्यादा प्रचलित है क्योंकि ऐसे सवाल पूछे जाते हैं, जिससे लोग हैरान हो जाते हैं।

इन सवालों को सुनकर लोगों का सर चकरा जाता है।‌ सिविल सेवा ट्रेनिंग के दौरान लिए जाने वाले इंटरव्यू में पूछे गए सवाल इंटरनेट पर और सोशल मीडिया पर काफी ज्यादा वायरल होते हैं। लोग उन प्रश्नों का उत्तर ढूंढते हैं, ताकि उन्हें भी जीवन में कभी काम आ सकें।

धर्म शास्त्रों के अनुसार अध्यात्मिक गुरु ने व्यक्ति को जीवन जीने हेतु राह दिखाने के लिए इस श्लोक का निर्माण किया था। इस श्लोक का अर्थ तथा सहारा सिर्फ 3 शब्दों में ही मनुष्य का जीवन टिका हुआ है। मनुष्य को ज्ञान जीवन में सफलता तथा चरित्रवान बनाने के लिए धर्म गुरुओं द्वारा शास्त्रों का अध्ययन करके इस तरह के संस्कृत के श्लोक तैयार किए जाते हैं।

शीलम परम भूषणम का धार्मिक अर्थ

सनातन धर्म के अनुसार शीलम परम भूषणम का अर्थ आध्यात्मिक गुरु बताते हैं, कि व्यक्ति को सहनशीलता बनाए रखनी चाहिए। शालीनता से बात करनी चाहिए। जीवन में धैर्य रखना चाहिए। सहनशीलता रखनी चाहिए। खुशी से तथा सहनशीलता के साथ बात करनी चाहिए। जीवन में धैर्य बनाये रखना चाहिए। इस तरह की बातें इस श्लोक के आधार पर कही जाती है।

बौद्ध धर्म के अनुसार शीलम परम भूषणम का अर्थ अहिंसा का पालन करना। भगवान बुध की विचारधारा का ध्यान रखना। मनुष्य को जीवन धारा का प्रभुत्व करना। जीवों की रक्षा करना। पुण्य करना, सत्य वचन बोलना, हमेशा मेहनत करके कमाना, ब्रह्मचर्य का पालन करना, यौन दुराचारो से दूर रहना, मादक पदार्थों से दूरी बनाए रखना, अपने चरित्र का विशेष ध्यान रखना, सफलतापूर्वक तथा मेहनत करके जीवन में सफल होना, इत्यादि इस तरह का अर्थ बौद्ध धर्म द्वारा इस श्लोक से निकलता है।

निष्कर्ष

शीलम परम भूषणम यह एक संस्कृत का श्लोक हैं। इसका हिंदी में अर्थ आज के इस आर्टिकल में हमने आपको विस्तार से बता दिया है। यह संस्कृत का श्लोक भारतीय संस्कृति और प्राचीन शिक्षा पद्धति को दर्शाता है। हमारे सभी धर्म ग्रंथ संस्कृत के श्लोक द्वारा ही लिखे गए हैं।

हमने आपको शीलम परम भूषणम का हिंदी अर्थ क्या है?( Sheelam Param Bhushanam ka Hindi Arth) इस विषय में पूरी जानकारी विस्तार के साथ बताया है। यदि आप इस आर्टिकल को शुरुआत से लेकर अंत तक ध्यान पूर्वक पड़ेंगे, तो आपको इस श्लोक का हिंदी अर्थ पता चल जाएगा।

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