Shukl Paksh me Putra ki Prapti Ke Upay : किसी भी दंपति की सबसे बड़ी तमन्ना संतान प्राप्ति की होती है क्योंकि हर दंपति के लिए संतान प्राप्ति का सुख उनके जीवन का सबसे बड़ा सुख होता है। लेकिन सभी दंपति को संतान प्राप्ति का सुख नहीं मिल पाता है। कई दंपती संतान प्राप्ति के सुख से वंचित रह जाती है।
हालांकि कुछ दंपत्ति ऐसे भी होते हैं, जो पुत्र की प्राप्ति करना चाहते हैं और कुछ दंपति ऐसे भी होते हैं जिन्हें बार-बार पुत्री ही होती है। ऐसे में पुत्र प्राप्ति के लिए भी बहुत पूजा पाठ करवाते हैं फिर भी उन्हें पुत्र की प्राप्ति नहीं होती है।

ऐसे बहुत से दंपति शुक्ल पक्ष में गर्भधारण करने की इच्छा रखती है क्योंकि बुजुर्गों के द्वारा कहा गया है कि शुक्ल पक्ष में गर्भधारण करने से स्त्री को पुत्र की प्राप्ति होती है। ऐसे में शुक्ल पक्ष में पुत्र प्राप्ति के कौन से उपाय हैं? इसके बारे में आज के इस लेख में हम आपको बताने वाले हैं।
शुक्ल पक्ष में पुत्र प्राप्ति के उपाय क्या है? | Shukl Paksh Me Putra ki Prapti Ke Upay
शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष क्या है ?
वैसे यह जानना जरूरी है कि शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष में क्या अंतर है? जिसे इसके बारे में नहीं पता तो बता दे कि हर महीने को दो पक्षों में बांटा गया है शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष। दोनों ही 15 दिनों का समय अंतराल होता है।
अमावस्या से लेकर पूर्णिमा तक का जो 15 दिन होता है उसे शुक्ल पक्ष कहा जाता है। वही पूर्णिमा से लेकर अमावस्य तक के 15 दिन को कृष्ण पक्ष कहा जाता है।
वैसे बात करें शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष के शुरुआत की तो इससे जुड़ी एक पौराणिक कथा भी है कि एक बार प्रजापति दक्ष ने चंद्रदेव को क्षय रोग का श्राप दे दिया था जिससे वह रोग से पीड़ित होकर चंद्रदेव धीरे-धीरे अपने तेज को खोने लगे थे और उनका अंत होने लगा था। जिससे कृष्ण पक्ष का निर्माण हुआ।
इस रोग से बचने के लिए चंद्रदेव ने भगवान शिव की आराधना की और उन्हें प्रसन्न किया। भगवान शिव ने चंद्र देव को अपने जटा में धारण कर लिया जिससे चंद्र देव की तेज धीरे-धीरे फिर वापस आने लगी और इस तरह पूर्णिमा के दिन उनका पूरा तेज वापस आ गया जिस दिन को शुक्ल पक्ष कहा जाता है।
वैसे प्रजापति दक्ष के श्राप को पूरी तरह खत्म नहीं किया जा सकता था हालांकि उस में थोड़ा बदलाव किया जा सकता था। जिस कारण चंद्र देव को दो पक्षों में विभाजित कर दिया गया जिससे चंद्रदेव को बारी-बारी से दोनों पक्षों से गुजारना पड़ता है और इस तरीके से शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष का निर्माण हो गया।
शुक्ल पक्ष में पुत्र प्राप्ति के उपाय
कोई स्त्री शुक्ल पक्ष में पुत्र की प्राप्ति करना चाहती है तो उसे पुराणिक कथा के हिसाब से सावन के महीने के शुक्ल पक्ष में अनुष्ठान रखना चाहिए। अनुष्ठान रखने के लिए एक पीतल की परात लेना होगा जिसमें एक बछियां के गोबर से छोटा सा शिवलिंग का निर्माण करना होगा।
उस शिवलिंग पर थोड़ा सा कच्चा, गाय का दूध और दही ,शहद इत्यादि को मिलाकर पंचामृत बनाना होगा और ओम नमः शिवाय के साथ दंपति को शिवलिंग की पूजा करनी होगी। पूजा के समय मन में गोत्र का उच्चारण करते हुए मंत्र का जाप करना चाहिए। इससे कुछ ही महीने में संतान प्राप्ति होती है।
जो स्त्री शुक्ल पक्ष में गर्भधारण करना चाहती है उसे भगवान शिव का प्रतिदिन पूजा अनुष्ठान करना चाहिए, उनका अभिषेक करना चाहिए। भगवान की कृपा से शीघ्र ही पुत्र प्राप्ति का अच्छा समाचार सुनने को मिलता है। इस दौरान अच्छे व्यवहार भी रखनी चाहिए और शांत मन से लोगों से बातचीत करनी चाहिए।
पुत्र की प्राप्ति के लिए स्त्री को हर दिन चंद्र देव भगवान की पूजा करनी चाहिए। स्त्री को भगवान नारायण की भी पूजा करनी चाहिए उनके अच्छे से सेवा करनी चाहिए। श्रद्धा मन से भगवान की पूजा करने से अवश्य पुत्र की प्राप्ति होती है।
शुक्ल पक्ष में गर्भधारण करने वाली स्त्री को उचित आहार का पालन करना चाहिए जैसे कि दूध, चावल, खीर ,फल आदि। प्रातकाल मक्खन, मिश्री और थोड़ी सी पिसी हुई कालीमिर्च डालकर कच्चा नारियल या सौंफ के साथ खाना चाहिए। मांस मछली जैसे अपवित्र भोजन नहीं खाना चाहिए।
शुक्ल पक्ष में गर्भधारण करने वाली स्त्री को आचार विचार शुभ एवं पवित्र रखना चाहिए। हर घड़ी हर्षोल्लास के साथ रहना चाहिए।
गर्भ धारण कर चुकी स्त्री को रात्रि में दूध के साथ शतावरी का चूर्ण जरूर लेना चाहिए और यह कार्य उसे 9 महीने तक ही करना चाहिए। ऐसा करने से उस स्त्री को गौरवर्ण, सुडौल तथा स्वास्थ्य संतान की प्राप्ति होती है।
जो स्त्री शुक्ल पक्ष में संतान प्राप्ति की इच्छा रखती है उसे मासिक धर्म के चौथे दिन जिसे सहवास कहा जाता है उस दिन रात्रि में चावल का पानी जिसे माड भी कहा जाता है उसमें कागजी नींबू का रस मिलाकर पीना चाहिए।
यदि स्त्री अपने रजोधर्म से मुक्ति पाकर 3 दिन इस तरह नींबू और माड का सेवन करें और खुशी से पति के साथ सहवास करें तो उसे निश्चित ही पुत्र की प्राप्ति होती हैं।
यदि किसी भी स्त्री को शुक्ल पक्ष में गर्भ ना ठहरे तो हर शुक्ल पक्ष में 3 दिनों तक इसका सेवन लगातार करते रहना चाहिए। एक बार गर्भ ठहर जाने के बाद इसका प्रयोग बंद कर देना चाहिए।
निष्कर्ष
उपरोक्त लेख में हमने आपको शुक्ल पक्ष में पुत्र प्राप्ति के उपाय क्या है? ( Shukl Paksh Me Putra ki Prapti Ke Upay) के कई सारे उपाय बताएं। यदि कोई स्त्री जिन्हें बार-बार पुत्री होती है या फिर जिन्हें अभी तक कोई संतान नहीं हुआ है तो वे भी पुत्र प्राप्ति के लिए शुक्ल पक्ष में इन उपायों को अपना सकती है।
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