लहसुनिया रत्न क्या है? (फायदे, नुकसान, कीमत और धारण करने की विधि)

Lehsunia Stone Kya Hai Fayde Aur Nuksan : ज्योतिष शास्त्र में बताया गया है कि इस दुनिया में प्रत्येक व्यक्ति के जीवन पर ग्रहों का प्रभाव होता है। ग्रहों के प्रभाव के कारण ही व्यक्ति के जीवन में खुशियां एवं दुख आते हैं।

ग्रहों के नकारात्मक प्रभाव को नियंत्रित करके कोई भी मानव अपने जीवन में आने वाली बाधाओं को रोक सकता है और खुशहाल जीवन जी सकता है। ग्रहों के नकारात्मक प्रभाव को दूर करने के लिए रत्न धारण किए जाते हैं। प्रत्येक ग्रहों के लिए निश्चित रत्न बने हुए हैं।

Lehsunia Stone Ke Fayde Aur Nuksan
Image: Lehsunia Stone Ke Fayde Aur Nuksan

रत्न शास्त्र में 9 प्रमुख रत्न है उनमें से एक रत्न लहसुनिया रत्न है जिसका संबंध केतु ग्रह से है। आज के इस लेख में हम इसी रत्न के बारे में विस्तार पूर्वक जानेंगे। इस लेख के जरिए आपको लहसुनिया रत्न के फायदे , नुकसान एवं उसे पहचानने के तरीको के बारे में जानने को मिलेगा।

लहसुनिया रत्न क्या होता है? (Lehsunia Ratna Kya Hai)

लहसुनिया रत्न काफी ज्यादा कठोर एवं टिकाऊ होता है और दिखने में भी काफी आकर्षक होता है जिस कारण आभूषण के रूप में भी इसका प्रयोग किया जाता है। लहसुनिया को संस्कृत भाषा में वैद्युर्या कहते हैं। रासायनिक रूप से यह क्रिस्सबेरिल परिवार का हिस्सा माना जाता है।

यह रत्न आमतौर पर बेरिलियम का एल्यूमिनेट होता है जिसका वैज्ञानिक रासायनिक सूत्र AI2Be04 है। यह सभी रत्नों में सबसे ज्यादा चमकीला रत्न है। यह बिल्कुल बिल्ली की आंख की तरह दिखता है।

जब इसको कैबोकाॅन के रूप में काटा जाता है तो इसके ऊपर पड़ने वाले प्रकाश के कारण एक लंबी रेखा के रूप में प्रकाश दिखाई देता है जो कि कैबोकाॅन की ऊपरी सतह पर दिखाई देता है।

इस रेखा के कारण ही इसे कैट्स आई भी कहते हैं यानी कि बिल्ली की आंख। अंधेरे में बिल्कुल यह बिल्ली की आंख की तरह ही चमकता है। दुनिया में जितने भी रत्न पाए जाते हैं वे विभिन्न रंगों में पाए जाते हैं उसी तरह लहसुनिया के भी कई तरह के रंग है। यह विभिन्न रंगों में भी पाया जाता है हल्का नीला, भूरा, पीला तथा हरा।

वैसे यह रत्न भारत सहित अन्य देशों में भी पाए जाते हैं लेकिन श्रीलंका में पाए जाने वाले लहसुनिया रत्न को अच्छी क्वालिटी का माना जाता है। बात करें इस रत्न की कीमत की तो इस रत्न की कीमत उसकी क्वालिटी पर निर्भर करती है जितनी अच्छी क्वालिटी होती है इसकी कीमत भी उतनी ज्यादा होती है। वैसे भारत में लहसिनया रत्न की कीमत आमतौर पर 1300-1400 रत्ती है।

लहसुनिया रत्न का उपरत्‍न

इस दुनिया में जितने भी तरह के रत्न पाए जाते हैं उनमें से ज्यादातर रत्नों के उपरत्न होते हैं और यह उपरत्न भी उनकी तरह समान लाभ देते हैं। हालांकि उपरत्नों की कीमत मूल रत्नों की कीमत से काफी कम होता है। इसीलिए जो लोग मूल रत्नों को खरीदने में सक्षम नहीं हो पाते वे उपरत्नों का प्रयोग करते हैं।

बात करें लहसुनिया रत्न के उपरत्न की तो, वैसे तो लहसुनिया रत्न का ज्यादा कीमत नहीं है परंतु जो लोग इसे धारण कर पाने में सक्षम नहीं है तो वे इसके उपरत्नो को भी धारण कर सकते हैं।

लहसुनिया का उपरत्न कैट्स आई क्वार्ट्ज़ और एलेग्जण्ड्राइट है।  इसे संगी और गोदंत भी कहते हैं। यह उपरत्न भी लहसुनिया की तरह ही समान प्रभाव देते हैं।

लहसुनिया रत्न से होने वाले फायदे

  • लहसुनिया रत्न का संबंध केतु ग्रह से है जिसे छाया ग्रह के नाम से भी जाना जाता है। इस रत्न को धारण करने से जातक केतु के नकारात्मक प्रभाव से दूर रहता है।
  • बड़े-बड़े व्यापारियों के लिए लहसुनिया रत्न बहुत फायदेमंद होता है। जो अपने व्यापार में बहुत ज्यादा पैसा लगाते हैं यदि ऐसे लोग इस रत्न को धारण करते हैं तो उन्हें लाभ मिलने की ज्यादा संभावना रहती है और व्यापार में आने वाली दिक्कतें भी खत्म हो जाती हैं।
  • यह रत्ना नजरौटा का भी कार्य करता है। जिन लोगों को जल्दी नजर लगने की समस्या रहती है वह लोग इस रत्न को धारण कर सकते हैं।
  • केतु एक छाया ग्रह है जिसके नकारात्मक प्रभाव से व्यक्ति को बहुत ज्यादा दुख एवं पीड़ा मिलता है। यहां तक कि मानसिक और भावनात्मक रूप से भी वह परेशान रहता है। ऐसे में यदि वह लहसुनिया रत्न धारण करता है तो इन सभी तकलीफों से दूर रहता है।
  • केतु ग्रह को आध्यात्मिकता, कर्म का संतुलन एवं धार्मिकता का स्वामी माना जाता है। इस रत्न को धारण करने से व्यक्ति की कल्पना शक्ति बढ़ जाती हैं।
  • लहसुनिया रत्न को धारण करने से मानव आत्मा और परमात्मा से मिलन हो जाता है और धर्म की राह पर चलने लगता है उसके विचार भी शुद्ध हो जाते हैं।
  • लहसुनिया रत्न का केतु ग्रह से संबंध होने के कारण इस रत्न को धारण करने से किसी भी व्यक्ति को उसके जीवन में आई चुनौतियों से लड़ने की शक्ति देता है। साथ ही सुख का अनुभव भी कराता है।
  • लहसुनिया रत्न धारण करने से कई प्रकार की बीमारी जैसे कि सुस्ती , कैंसर लकवा  आदि से भी छुटकारा मिलता है ।

लहसुनिया रत्न के नकारात्मक प्रभाव

लहसुनिया रत्न दिखने में बहुत सुंदर होता है। यह बिल्कुल बिल्ली की आंख के समान चमकता है लेकिन इस रत्न को तभी धारण करने की सलाह दी जाती है जब किसी जातक के जीवन में केतु का अशुभ प्रभाव हो या उनके कुंडली में केतु का स्थान बहुत प्रबल हो तो उसके नकारात्मक प्रभाव से बचने के लिए यह रतन धारण किया जाता है।

लेकिन बहुत से लोग इसकी सुंदरता के कारण इस रत्न को शौक से भी पहनते हैं जिस कारण इसका नकारात्मक प्रभाव उनके जीवन पर पड़ता है। इसीलिए किसी भी रत्न को धारण करने से पहले एक बार अच्छे ज्योतिषी से अपनी कुंडली दिखाकर सलाह जरूर लें लेनी चाहिए।

यह लहसुनिया रत्न जातक की कुंडली में स्थित ग्रहों के साथ में मेल नहीं खा रहा है और वह अपने मर्जी से रत्न को धारण किया है तो ऐसे में वह मस्तिष्क से जुड़ी कई तरह की बीमारियों से ग्रसित हो सकता है।

लहसुनिया रत्न मर्जी से पहनने से दुर्घटना या शारीरिक चोट जैसी अचानक कोई भी घटना जातक के जीवन में आ सकती हैं।

रत्न के नकारात्मक प्रभाव से जातक गुप्त रोग का भी शिकार हो सकता है। थकान कमजोरी और तनाव महसूस हो सकता है।

लहसुनिया रत्न का संबंध केतु ग्रह से होता है और केतु का चंद्रमा के साथ विपरीत स्वभाव होने के कारण वह व्यक्ति पागल भी हो जाता है जिस कारण व्यक्ति को डिप्रेशन, चिंता या बुरे सपने आने लगते हैं। इसीलिए ज्योतिषी से एक बार परामर्श ले ले लेनी चाहिए।

लहसुनिया रत्न कितने रत्ती का पहनना चाहिए

किसी भी रत्न को कितने रत्ती का पहनना चाहिए इसके बारे में ज्यादातर जातक को पता नहीं होता है। ज्योतिषी से दिखाने के बाद उन्हें पता चल जाता है कि केतु उनके कुंडली में कौन कौन से भाव में स्थित है और उन्हें लहसुनिया रत्न पहनना चाहिए कि नहीं?

लेकिन बात करें कि लहसुनिया रत्न कितने रत्ती का पहनना चाहिए तो, ज्यादातर ज्योतिषी के द्वारा यही सलाह दी जाती है कि जातक अपने वजन के अनुसार संबंध बनाकर उतने रत्ती का लहसुनिया धारण कर सकता है।

उदाहरण के लिए भी किसी का वजन 60 किलोग्राम है तो वह 6 कैरेट का लहसुनिया रत्न धारण कर सकता है या फिर बहुत बार ऐसा भी होता है कि जातक की कुंडली में केतु कितना शुभ और कितना अशुभ है उस आधार पर भी रत्ती को पहनने की सलाह दी जाती है। सामान्य तौर पर 2.25 कैरेट से लेकर 10 कैरेट तक का धारण किया जाता है।

लहसुनिया रत्न का पहचान करने का तरीका

आज के समय में ऐसी कोई चीज नहीं है जो शुद्ध तरीके से बेची जा रही हो। हर चीज में मिलावट या फिर उसके नकली स्वरूप को बेचा जाता है। ऐसे में ग्राहक असली चीज को तभी खरीद सकते हैं जब उन्हें उस चीज का सही जानकारी और पहचान होता है।

लहसुनिया रत्न जो होता है वह बहुत गहरा एवं सुंदर रंग का होता है बिल्कुल आंख के समान। लेकिन कई ऐसे प्राकृतिक रत्न भी है जो काफी हद तक लहसुनिया रत्न की तरह ही दिखने में लगते हैं और उनकी कीमत कम होने के कारण कई दुकानदार ग्राहकों को उसे लहसुनिया रत्न बताकर ऊंचे दामों पर बेच लेते हैं।

इसलिए कोई भी ग्राहक सही रत्न को खरीद सके इसके कुछ पहचान करने के तरीके हमने यहां पर बताए हैं।

लहसुनिया रत्न को पहचानने का एक यह भी तरीका है कि लहसुनिया रत्न को किसी भी एक कपड़े पर रखकर उसे रगड़े। अगर कुछ देर के बाद आप देखते हैं कि लहसुनियां की चमक पहले से और भी ज्यादा बढ़ गई है तो इसका मतलब है कि वह असली है।

लहसुनिया रत्न के धारियों की संख्या से भी आप असली और नकली लहसुनिया की पहचान कर सकते हैं। दरअसल लहसुनिया रत्न में सफेद धारियां पाई जाती है जिनकी संख्या आमतौर पर दो ,तीन या फिर चार होती है और जो लहसुनिया उत्तम कोटि का होता है उसमें ढाई धारिया पाई जाती है।

जैसे हमने आपको पहले ही बताया कि लहसुनिया रत्न बिल्कुल बिल्ली के आंख के समान दिखता है ऐसे में यदि आप किसी अंधेरे कमरे में लहसुनिया रत्न को रखते हैं तो यह आंख बिल्कुल बिल्ली की आंख की तरह चमकती है। अंधेरे में ऐसा कुछ भी चमक नहीं आता है तो समझ जाईएगा कि यह रत्न असली नहीं है।

कुछ लोगों का यह भी मानना है कि लहसुनिया रत्न की आंख के रंग को भी देखकर असली लहसुनिया की पहचान कर सकते हैं। माना जाता है कि जो लहसुनिया रत्न असली होता है उसमें आंख का रंग हल्का सा निला होता है।

लेकिन बाजार में नकली मिलने वाले लहसुनिया की आंख का रंग सफेद होता है। हालांकि इसे हम पूरी तरीके से सही नहीं कह सकते हैं जब तक कोई रत्न विशेषज्ञ या रत्न प्रयोगशाला में परीक्षण यंत्र के द्वारा पहचान ना करें।

लहसुनिया का बारह राशियों पर प्रभाव

मेष राशि

मेष राशि के लोगों को लहसुनिया रत्न पहनने से पहले एक बार अपनी कुंडली किसी ज्योतिषी से दिखा लेनी चाहिए। यदि उनके कुंडली में पंचम, छठे, आठवें या बारहवें भाव में केतु बैठा हो तो, ऐसे जातक लहसुनिया पहन सकते हैं।

कुंभ राशि

कुंभ राशि के लोग भी लहसुनिया रत्न धारण कर सकते हैं। बस ध्यान रहे कि केतु उनके जन्म कुंडली के दूसरे, दसवें या ग्यारहवें भाव में स्थित हों या फिर केतु उनके कुंडली में प्रभावशाली स्थिति में हो। इसके लिए भी किसी ज्योतिषी से अपनी कुंडली को पहले दिखा सकते हैं।

मीन राशि

जो जातक मीन राशि में आते हैं लहसुनिया रत्न को तभी पहन सकते हैं जब उनके कुंडली में पहले, दूसरे नौवें या दसवें भाव में केतु प्रबल तरीके से विराजमान है। ऐसी स्थिति में वे लहसुनिया को अंगूठी में जड़वा कर या लॉकेट स्वरूप पहन सकते हैं।

वृषभ राशि

वृषभ राशि के जातकों के लिए लहसुनिया रत्न पहनना तभी लाभकारी होता है, जब उनके कुंडली के नौवें या दसवें भाव में केतु बैठा हो। यदि वे इस रत्न को धारण करने के दो-तीन दिन पश्चात उसका नकारात्मक प्रभाव के जीवन पर पड़ रहा है ऐसे में इस रत्न को उतार देना चाहिए।

सिंह राशि

सिंह राशि वाले जातकों के लिए लहसुनिया रत्न पहनना तब ज्यादा लाभकारी होता है जब केतु उनके जन्म कुंडली के अष्टम, नवम या ग्यारहवें भाव में बैठा हो। इसके अतिरिक्त केतु के निर्णायक स्थिति में होने पर भी यह रत्न पहनना उनके लिए लाभकारी हो सकता है।

कन्या राशि

कन्या राशि वाले लोग लहसुनियां रत्न को पहननने से पहले अपनी कुंडली किसी अच्छे ज्योतिषी से दिखाएं। यदि ज्योतिषी उन्हें बताते हैं कि केतु उनके कुंडली के चौथे, नौवें या तीसरे भाव में प्रबल स्थिति में बैठा है तो इस रत्न को धारण कर सकता है।

मिथुन राशि

जो जातक मिथुन राशि में आते हैं ऐसे लोगों के लिए लहसुनिया रतन पहनना तभी प्रभावकारी हो सकता है, जब उनके कुंडली के नौवें, दसवें या ग्यारहवें भाव में केतु विराजमान हो।

कर्क राशि

जब कर्क राशि के जातक की कुंडली में छठे, नौवें, ग्यारहवें भाव में केतु स्थित हो तब उन्हें लहसुनियां रत्न को पहनना चाहिए क्योंकि यह स्थान जन्म कुंडली में प्रबल स्थान होते हैं।

तुला राशि

तुला राशि वाले जातक लहसुनिया रत्न तब पहन सकते हैं जब उनके कुंडली में केतु प्रबल स्थिति में हो या फिर दूसरे ,तीसरे और ग्यारहवें भाव में स्थित हो।

वृश्चिक राशि

जब वृश्चिक राशि के किसी जातक की कुंडली में केतु उनके दूसरे, दसवें या ग्यारहवें घर में प्रबल स्थिति में है तब उसे शांत करने के लिए इस रत्न को धारण कर सकते हैं।

धनु राशि

केतु के निर्णायक स्थिति में होने पर या कुंडली के दूसरे, चौथे, नौवें और 12वे भाव में प्रबल तरीके से स्थित होने पर धनु राशि वाले लोगों के लिए लहसुनिया रत्न पहनना लाभकारी होता है।

मकर राशि

मकर राशि वाले लोगों में उनके कुंडली के दूसरे, चौथे, नौवें या बारहवें भाव में केतु स्थित होने पर वह भी लहसुनिया धारण कर सकते हैं।

लहसुनिया रत्‍न की धारण विधि

रत्न शास्त्र में जितने भी रत्नों का जिक्र मिलता है, प्रत्येक रत्नों पर किसी ना किसी ग्रह का आधिपत्य होता है और प्रत्येक ग्रहों के लिए अलग-अलग दिन निश्चित होते हैं।

जिस कारण प्रत्येक रत्नों को धारण करने के लिए भी अलग-अलग दिन होते हैं और प्रत्येक रत्न को धारण करने के लिए अलग-अलग विधि भी बनाए गए हैं। यदि उन नियमों के अनुसार रत्न को धारण करें तभी उसका प्रभाव जातक के जीवन पर पड़ता है वरना फिर उसका नकारात्मक प्रभाव जातक को झेलना पड़ता है।

जैसे हमने आपको पहले ही बताया कि लहसुनिया रत्न का संबंध केतु से है। यदि किसी के कुंडली में केतु की स्थिति खराब रहती है तो उस जातक को जीवन में बहुत ही संघर्ष करना पड़ता है। इसीलिए लहसुनिया रत्न को धारण करने से पहले आप किसी अच्छे ज्योतिषी के पास अपनी कुंडली को जरूर दिखाएं।

लहसुनिया रत्न के लिए मंगलवार का दिन ज्यादा शुभ माना जाता है। मंगलवार के दिन सुबह या शाम कभी भी इस रत्न को धारण किया जा सकता है।

कोई भी व्यक्ति जो लहसुनिया रत्न धारण करना चाहता है वह मंगलवार के दिन सुबह उठकर स्नान करके एवं ओम केतुवे नमः का 108 बार जाप करके लहसुनियां रत्न को धारण कर सकता है।

आमतौर पर लोग लहसुनिया रत्न को चांदी के धातु में अंगूठी की तरह जड़वा कर पहनते हैं। ध्यान रहे इस रत्न का आपके शरीर के साथ संपर्क होना जरूरी है। इसीलिए जब इसका अंगूठी बनाते हैं तो नीचे की सतह में थोड़ा खाली जगह रखें ताकि यह रत्ना आपकी उंगली को छू सके।

रत्न को धारण करने से 1 दिन पहले या कुछ घंटा पहले रत्न को शुद्ध करना जरूरी है। इसीलिए इसे एक तांबे के पात्र में गंगाजल या फिर कच्चा दूध डालकर उस में डुबोकर रख दें।

उसके बाद आप केतु मंत्र का जाप करके अपने दाहिने हाथ या फिर यदि आप लेफ्ट हैंड है तो अपने बाएं हाथ के मध्यमा उंगली में धारण कर सकते हैं।

FAQ

लहसुनिया रत्न धारण करते समय कौन सा मंत्र जाप करना चाहिए?

लहसुनिया रत्न का संबंध केतु ग्रह से है। इसीलिए इसे धारण करने से पहले कम से कम 108 बार ओम केंतुवे नमः मंत्र का जाप करना चाहिए, जिससे इस रत्न की शक्ति और भी ज्यादा बढ़ जाती हैं।

किन रत्नों के साथ लहसुनिया रत्न धारण नहीं करना चाहिए?

केतु ग्रह बहुत शक्तिशाली ग्रह होता है, जो अपना प्रभाव काफी तेजी से दिखाता है। जिस कारण चंद्रमा और मंगल के साथ इसका मैत्रीपूर्ण संबंध नहीं है। ऐसे में मंगल और चंद्रमा ग्रह से संबंधित दो रत्नम मूंगा और मोती के साथ लहसुनिया को धारण नहीं करना चाहिए। अगर इन रत्नों के साथ लहसुनिया रत्न को धारण करते हैं तो इसका गलत प्रभाव पड़ता है।

लहसुनिया रत्न किस दिन पहनना चाहिए?

हर एक रत्नों को धारण करने के लिए एक निश्चित दिन का चयन किया गया है और उन ग्रहों के हिसाब से उस दिन का चयन किया जाता है जिस ग्रह से संबंधित रत्न होते हैं। लहसुनिया का संबंध केतु से है और केतु का संबंध मंगलवार के दिन से है इसीलिए लहसुनिया रत्न को मंगलवार के दिन धारण करना शुभ माना जाता है।

क्या कुंभ राशि के लोग लहसुनिया रत्न को धारण कर सकते हैं?

कुंभ राशि के लोगों का सबसे पहले अपनी कुंडली का एक अच्छे ज्योतिषी से दिखाना जरूरी है। यदि उनके कुंडली में केतु उनके दूसरे, दसवें और ग्यारहवें भाव में स्थित हो तब लहसुनिया रत्न को धारण कर सकते हैं। यदि कुंडली में केतु प्रभावशाली स्थिति में है तभी कुंभ राशि के लोगों के लिए लहसुनिया रत्न धारण करना लाभकारी होता है।

लहसुनिया रत्न किस कारण ज्यादा प्रख्यात है?

लहसुनिया रत्न खास करके अपने चमक के लिए ज्यादा प्रख्यात है क्योंकि इसकी चमक दुनिया में पाए जाने वाली लगभग सभी रत्नों में से सबसे अत्यधिक है।

लहसुनिया रत्न के कितने प्रकार हैं?

वैसे लहसुनिया रत्न के कई प्रकार है लेकिन क्रिस्सबरील लहसुनिया सबसे ज्यादा प्रभावशाली और बेहतर माना जाता है जिसकी कठोरता, मजबूती और विशेषता इसके अन्य प्रकारों से काफी अच्छी है।

निष्कर्ष

आज के इस लेख के जरिए आपने रत्न शास्त्र के प्रमुख नौ रत्नों में से एक लहसुनिया रत्न के बारे में जाना। इस लेख के जरिए आपको पता चला कि लहसुनिया रत्न को धारण करने के क्या फायदे हैं?, इसके नकारात्मक प्रभाव क्या है?(Lehsunia Stone Kya Hai Fayde Aur Nuksan) एवं लहसुनिया रत्न को धारण करने की क्या विधि है? इसके अतिरिक्त आपने लहसुनिया रत्न को पहचानने की विधि एवं रत्नों का अलग-अलग राशि पर होने वाले प्रभाव के बारे में भी जाना।

हमें उम्मीद है कि यह लेख आपके लिए जानकारी पूर्ण रहा होगा। यदि यह लेख आपको पसंद आया हो तो इसे अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के जरिए अन्य लोगों के साथ जरूर शेयर करें।

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