पुत्र प्राप्ति के लिए कौन सा व्रत करना चाहिए?

Putra Prapti ke Liye Kaunsa Vrat Karna Chahie: पुत्र प्राप्ति की इच्छा प्रत्येक मनुष्य को होती है। शादी के कुछ वर्षों बाद पुत्र प्राप्ति नहीं होने पर दंपती निराश हो जाते हैं। पुत्र प्राप्ति हेतु अनेक प्रकार के उपाय करते हैं। जो भी उपाय हैं, वे सभी करने के लिए तैयार रहते हैं, क्योंकि हर स्त्री पुरुष अपने जीवन में एक बार माता-पिता जरूर बनना चाहते हैं।

वे भी अपने बच्चों को बड़ा होते हुए, खेलते हुए देखना चाहते हैं। वे अपने बच्चों को अपने हाथों से पालन पोषण कर के बड़ा करना चाहते हैं तथा अपने से भी सफल बनते हुए देखना चाहते हैं। परंतु जिन स्त्री पुरुष को पुत्र प्राप्ति नहीं हो रही है, उन्हें पुत्र प्राप्ति हेतु धर्म शास्त्रों का सहारा जरूर लेना चाहिए।

धर्म शास्त्रों के अनुसार जिन दंपति ने पिछले जन्मों में कोई बुरे काम किए हैं, इसलिए उन्हें पुत्र संपत्ति नहीं होने के रूप में इस जन्म में सजा मिल रही है। इसीलिए इसका तोड़ भी धर्म शास्त्रों में मिल जाता है। धर्म शास्त्र कहते हैं कि पुत्र प्राप्ति के लिए आप कुछ व्रत करके, कुछ उपाय करके, अपने बुरे कार्यों को निष्फल कर सकते हैं।

Putra Prapti ke Liye Kaunsa Vrat Karna Chahie
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पुत्र प्राप्ति के लिए कौन सा व्रत करना चाहिए? यदि आप इस बात का जवाब चाहते हैं तो आपको बता दें कि आमतौर पर सभी महिलाएं “पुत्रदा एकादशी” का व्रत करती हैं। ज्यादातर सभी जगह पर यह एक ही व्रत किया जाता है, लेकिन आज के इस आर्टिकल में हम आपको चार ऐसे व्रत बताएंगे, जिन्हें धर्म शास्त्रों के अनुसार पुत्र प्राप्ति के लिए करना चाहिए। तो चलिए शुरू करते हैं।

पुत्र प्राप्ति के लिए कौन सा व्रत करना चाहिए? | Putra Prapti ke Liye Kaunsa Vrat Karna Chahie

पुत्रदा एकादशी

आमतौर पर संपूर्ण भारत में धर्म शास्त्र के अनुसार पुत्र की प्राप्ति के लिए किए जाने वाला व्रत “पुत्रदा एकादशी” है। इस व्रत को करने से पुत्र की प्राप्ति होती है। पुत्रदा एकादशी व्रत को पौष माह में शुक्ल पक्ष की एकादशी को व्रत रखकर किया जाता है। इस वक्त से भगवान विष्णु मनोकामना पूर्ण कर के पुत्र की प्राप्ति करते हैं।

पुत्र प्राप्ति के लिए पुत्रदा एकादशी व्रत भगवान विष्णु को खुश करने के लिए भगवान विष्णु की पूजा करें और सच्ची श्रद्धा से पूजा और निष्ठा से भगवान विष्णु की सेवा करेंगे, भगवान विष्णु प्रसन्न होकर पुत्र की प्राप्ति करवाएंगे।

धर्म शास्त्रों के अनुसार एकादशी व्रत के दिन सुबह पति-पत्नी दोनों को ही अपनी सच्ची श्रद्धा से भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए। पूजा के दौरान भगवान विष्णु को तुलसी के पत्ते पानी में डालकर अर्पित करने चाहिए। इससे भगवान विष्णु का अत्यंत प्रसन्न होते हैं और निसंतान दंपति को पुत्र का वरदान देते हैं। पुत्रदा एकादशी का व्रत भारत में अत्यंत प्रचलित हैं। पुत्र प्राप्ति के लिए आमतौर पर भारत में यही व्रत किया जाता है।

श्री सत्यनारायण व्रत तथा कथा

पुत्र की प्राप्ति के लिए सत्यनारायण व्रत तथा कथा करना उचित विकल्प हो सकता है। धर्म शास्त्रों के अनुसार भगवान सत्यनारायण की मनोकामना करने वालों को जरूर अच्छे समाचार मिलते हैं। स्वामी सत्यनारायण की पूजा करने से सत्यनारायण खुश होते हैं और निसंतान को पुत्र की प्राप्ति का आशीर्वाद देते हैं।

सत्यनारायण व्रत रखने के दिन ही सत्यनारायण कथा का आयोजन करवाना चाहिए, जिससे भगवान सत्यनारायण खुश हो जाएंगे और निसंतान दंपति को पुत्र प्राप्ति का वरदान देते हैं।

बृहस्पतिवार व्रत तथा कथा

जो शादीशुदा दंपति पुत्र की चाह में हैं, उन्हें निराश होने की जगह गुरुवार के दिन बृहस्पतिवार व्रत करना चाहिए तथा बृहस्पतिवार की पूजा भी करनी चाहिए। इससे पुत्र प्राप्त की चाहत रखने वाले दंपति को पुत्र प्राप्त होगा। व्रत रखने के दौरान बृहस्पतिवार व्रत कथा पढ़ना चाहिए, जिससे भगवान खुश होकर दंपति को पुत्र प्राप्ति का आशीर्वाद देंगे‌।

भारत में सामान्य तौर पर बृहस्पतिवार के दिन भगवान बृहस्पति को खुश करने के लिए महिलाएं व्रत रखती हैं तथा भगवान बृहस्पति की कथा का आयोजन करवाती है, जिसे भगवान के प्रति खुश होकर निसंतान दंपति को पुत्र प्राप्ति का आशीर्वाद देते हैं। अनेक सारी महिलाएं पुत्र प्राप्ति की चाहत में बृहस्पतिवार के दिन व्रत और कथा करती हैं।

भगवान सूर्य का व्रत

भगवान सूर्य को पुत्र प्राप्ति के लिए पूजा जाता है। रविवार के दिन भगवान सूर्य की कथा वाचन करके व्रत रखने से पुत्र प्राप्ति होती है। भारत में हर जगह पुत्र प्राप्ति का व्रत रखने वाली महिलाएं भगवान सूर्य का व्रत भी रखती हैं और कथा का वाचन भी करती हैं। बताते हैं कि महाभारत काल में कुंती ने भगवान सूर्य की स्मरणता से ही “सूर्यपुत्र कर्ण” को जन्म दिया था। इसीलिए धर्म शास्त्र के अनुसार मान्यता है कि जो महिलाएं पुत्र की चाहत में भगवान सूर्य का स्मरण करती हैं, उन्हें भगवान सूर्य पुत्र देते हैं।

महाभारत काल में भगवान सूर्य द्वारा “कुंती को स्मरण” करने मात्र से इतने बलवान और शक्तिशाली पुत्र “सूर्यपुत्र कर्ण” दिए जाने के बाद से ही सदियों से महिलाएं शक्तिशाली और बुद्धिमान पुत्र की चाहत में भगवान सूर्य की पूजा अर्चना करती हैं। भगवान सूर्य को खुश करते हैं ।हमारे धर्म शास्त्रों में भी इस बात का उल्लेख है कि भगवान सूर्य का अनावरण करके भगवान सूर्य को खुश करके भगवान सूर्य का स्मरण करने से भगवान सूर्य दंपति को पुत्र प्राप्ति का आशीर्वाद देते हैं।

धर्म शास्त्रों के अनुसार सदियों से पुत्र प्राप्ति हेतु व्रत त्योहार कथा पूजा अर्चना तथा उपाय किए जा रहे हैं। सदियों से महिलाएं धर्म शास्त्र के अनुसार व्रत रखती हैं और कथाएं का वाचन करती हैं, जिससे उन्हें पुत्र प्राप्ति होती है। बता दें कि कुछ विशेष व्रत रखने से महिलाओं को पुत्र प्राप्ति होती हैं, जिनमें देवताओं की आराधना करनी होती है। इसलिए इस आर्टिकल में हमने आपको पुत्र प्राप्ति से संबंधित जानकारी बताई है।

निष्कर्ष

हमारे धर्म शास्त्रों में हर एक निराशा और घटनाओं से संबंधित उपाय दिए गए हैं, जिनमें पुत्र प्राप्ति जैसी निराशा को भी आशा में बदलने हेतु कुछ व्रत और कथा का जिक्र किया है। इन व्रत को करके निसंतान दंपति पुत्र प्राप्ति कर सकती हैं। धर्म ग्रंथों के अनुसार व्रत रखने से भगवान को खुश करने से सच्ची श्रद्धा से भगवान को याद करने से पुत्र प्राप्ति होती है।

इसलिए आज के इस आर्टिकल में हमने आपको संतान प्राप्ति के लिए कौन सा व्रत करना चाहिए इस बारे में पूरी जानकारी विस्तार से बता दी है। उम्मीद करते हैं कि आप को यह जानकारी काफी ज्यादा पसंद आई होगी। यदि आपका पुत्र प्राप्ति से संबंधित कोई प्रश्न है तो आप कमेंट करके पूछ सकते हैं। जल्द से जल्द हम आपके प्रश्न का उत्तर देने की कोशिश करेंगे।

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