12 Jyotirlinga Names and Places in Hindi: हिंदू धर्म में भगवान शिव को मोक्ष देवता और शीघ्र प्रसन्न होकर वरदान देने वाले भगवान माना जाता है। हमारे देश में भगवान शिव के अलग-अलग जगहों पर शिवालय मौजूद है और वहां पर रोजाना भगवान शिव के भक्तों की भारी भीड़ लगी रहती है।
हिंदू धर्म में 12 ज्योतिर्लिंगों का अपना बहुत महत्व है। यदि आप लोगों को भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों के बारे में जानकारी नहीं है और आप भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों के नाम जानना चाहते हो तो आज आप बिल्कुल सही लेख को पढ़ रहे हो।

आज हम आपको अपने इस लेख में भगवान शिव के 12 अलग-अलग ज्योतिर्लिंग के बारे में जानकारी देंगे और साथ ही साथ आपको इसी लेख में ज्योतिर्लिंग किसे कहते हैं?, ज्योतिर्लिंग का महत्व के बारे में भी जानकारी मिलेगी।
अगर आपको इन सभी महत्वपूर्ण जानकारी के बारे में जानना है तो आप लेख में दी गई जानकारी को बिल्कुल भी मिस ना करें और हमारे लेख को शुरुआत से लेकर अंतिम तक ध्यान पूर्वक पर जरूर पढ़ें।
12 ज्योतिर्लिंग के नाम और स्थान | 12 Jyotirlinga Names and Places in Hindi
ज्योतिर्लिंग किसे कहते हैं
हम आपकी जानकारी के लिए बता दें कि, ज्योतिर्लिंग एक संस्कृत शब्द है जिसका अर्थ होता है ‘रोशनी का प्रतीक’ होता है। पुराणों और धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक इन 12 स्थानों पर जो शिवलिंग मौजूद हैं उनमें ऊपर ज्योति के रूप में स्वयं भगवान शिव विराजमान हैं।
भगवान शिव का ऐसा 12 अलग-अलग लिंग जो ज्योति यानी रोशनी का प्रतीक माना जाता है इसी को ज्योतिर्लिंग कहा जाता है। हिंदू धर्म में भगवान शिव के अलग-अलग जगह पर शिवालय और बड़े-बड़े मंदिर मौजूद है परंतु इन 12 ज्योतिर्लिंगों का अपना बहुत बड़ा महत्व है।
ज्योतिर्लिंग की उत्पत्ति के पीछे अलग-अलग मत हैं और अलग-अलग कहानियां भी है जिसके बारे में आपको नीचे हम एक संक्षिप्त जानकारी देंगे। जिससे आपको पता चलेगा कि ज्योतिर्लिंग की उत्पत्ति किस प्रकार से हुई?
ज्योतिर्लिंग की उत्पत्ति कैसे हुई?
भारत में मौजूद अलग-अलग 12 ज्योतिर्लिंग के नाम, महत्व एवं उनके स्थान के बारे में जानने से पहले चलिए जानते हैं कि आखिर ज्योतिर्लिंग की उत्पत्ति कैसे हुई? वैसे तो हिंदू धर्म में भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों को लेकर अलग-अलग मान्यता है।
परंतु शिव पुराण के अनुसार ज्योतिर्लिंग की उत्पत्ति ज्योति पिंड पृथ्वी पर गिरने और पृथ्वी पर एकाएक धरती और आकाश में रोशनी की उत्पत्ति को माना जाता है और इन्ही 12 पिंडों को 12 ज्योतिर्लिंग का नाम दे दिया गया है।
इतना ही नहीं भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग की उत्पत्ति के पीछे भगवान विष्णु और भगवान ब्रह्मा के बीच के विवाद को निपटाने का एक जरिया भी माना जाता है।
पौराणिक कथाओं के अनुसार एक बार ब्रह्मा और विष्णु जी के बीच कौन सबसे श्रेष्ठ है? इस चीज को लेकर बड़ा विवाद उत्पन्न हो गया और इतना ही नहीं जब उनका विवाद बहुत अधिक बढ़ गया।
तब अग्नि की ज्वालाओं के लिपटा हुआ लिंग भगवान ब्रह्मा और भगवान विष्णु के बीच आकर अचानक से स्थापित हो गया था और दोनों देवता उठा उस लिंग का रहस्य नहीं समझ पाए।
इस रहस्यमय ज्योतिर पिंड के बारे में उन्होंने अध्ययन करने के लिए कई हजार वर्ष व्यतीत कर दिए परंतु उन्हें फिर भी इसका कोई रहस्य और ज्योतिर्लिंग का स्रोत समझ में नहीं आया। निराश हो जाने के पश्चात दोनों ही देवता वापस उसी स्थल पर आ गए जहां पर उन्होंने ज्योतिर्लिंग को देखा हुआ था।
जैसा कि दोनों देवता वहां पर पहुंचे उन्होंने महसूस किया कि कहीं ना कहीं से उस स्थान पर ओम की ध्वनि उत्पन्न हो रही थी और वायुमंडल में ओम का जाप हो रहा था।
फिर ब्रह्मा और विष्णु दोनों ही देवता मिलकर उस ओम की ध्वनि या फिर यूं कहें शक्ति का जाप करने लगे और दोनों ही देवता ने निरंतरता के साथ काफी लंबे वक्त तक ओम की ध्वनि का जाप करते रहे।
जैसा कि भगवान शिव का जो भाव है वह अपने भक्तों की भक्ति से शीघ्र ही प्रसन्न हो जाते हैं और उन्हें अपना दर्शन दे देते हैं। भगवान विष्णु और भगवान ब्रह्मा देव की तपस्या को देख कर भगवान शिव ज्योतिर्लिंग से प्रकट हो गए और दोनों ही देवताओं को सद्बुद्धि का वरदान प्रदान किया। दोनों ही देवताओं को वरदान प्रदान करने के पश्चात भगवान शिव वापस चले गए।
और उनका एकलिंग ज्योतिर्लिंग के रूप में उसी स्थान पर स्थापित हो गया। ऐसा माना जाता है कि सबसे पहले ब्रह्मा देव और भगवान विष्णु ने उस शिवलिंग की पूजा अर्चना की थी और तब से लेकर अब तक भगवान शिव के लिंग की पूजा अर्चना करने की परंपरा चली आ रही है।
हिंदू धर्म में 12 ज्योतिर्लिंगों का अपना बड़ा महत्व है और कुछ इसी प्रकार का वर्णन हमें ज्योतिर्लिंग की उत्पत्ति के पीछे पौराणिक कथाओं और मान्यताओं में सुनने एवं पढ़ने को मिलता है।
12 ज्योतिर्लिंग के नाम और जगह
चलिए अब हम आप सभी लोगों को आगे भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग के नाम और स्थापित जगह के बारे में जानकारी देते हैं। यदि आप लोगों को भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों के नाम एवं उनके महत्व स्थान के बारे में पता नहीं था तो कोई बात नहीं आप नीचे दी गई जानकारी को विस्तार पूर्वक से ध्यान से जरूर पढ़ें। आपको आपके सवाल का जवाब और साथ ही साथ ज्योतिर्लिंग के महत्व के बारे में जानकारी समझ में आ जाएगी।
सोमनाथ ज्योतिर्लिंग, गुजरात
गुजरात में स्थित सोमनाथ मंदिर को पहला ज्योतिर्लिंग और सबसे ज्यादा पूजे जाने वाला ज्योतिर्लिंग माना जाता है। मंदिर की वास्तुकला चालुक्य शैली से मिलती-जुलती है और माना जाता है कि भगवान भोलेनाथ इस मंदिर में प्रकाश के जलते हुए स्तंभ के समान उत्पन्न हुए थे।
शिव पुराण के अनुसार चंद्रदेव ने दक्ष प्रजापति की 27 बेटियों से विवाह कर लिया था परंतु चंद्रमा को दक्ष प्रजापति ने एक को छोड़कर के सभी पत्नियों की उपेक्षा करने का श्राप दिया।
उन्हीं में से रोहिणी ने चंद्रदेव को श्राप से मुक्ति दिलाने के लिए और उनकी खोई हुई चमक एवं सुंदरता को वापस दिलाने के लिए भगवान शिव की पूजा अर्चना और तपस्या करने लगी। भगवान शिव उनकी तपस्या से प्रसन्न हो गए और ज्योतिर्लिंग के रूप में सोमनाथ में स्थापित हुए।
साथ ही साथ चंद्रदेव को श्राप से मुक्ति भी दी। तब से लेकर आज तक सोमनाथ मंदिर में पूजा अर्चना की जाती है और यहां पर भक्तों का बारंबार भीड़ लगी रहती है।
काठियावाड़ क्षेत्र में स्थित, सोमनाथ ज्योतिर्लिंग मंदिर को लगभग सोलह बार नष्ट किया गया और फिर से बनाया गया। इस बात में कोई शक नहीं है कि यह मंदिर 12 ज्योतिर्लिंगों की सूची में सबसे ऊपर आता है।
नागेश्वर – गुजरात
भारत के गुजरात राज्य में स्थित सौराष्ट्र के तट पर, गोमती द्वारका और बेट द्वारका के बीच स्थित नागेश्वर भारत के सभी लोकप्रिय ज्योतिर्लिंग मंदिरों में से एक है। भूमिगत गर्भगृह में स्थित नागेश्वर महादेव के पवित्र मंदिर से आशीर्वाद लेने के लिए हजारों भक्त प्रत्येक वर्ष नागेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने आते रहते हैं।
नागेश्वर ज्योतिर्लिंग में भगवान शिव की 25 मीटर ऊंची प्रतिमा, बड़ा बगीचा और नीला अरब सागर के अबाधित दृश्य, पर्यटकों को अपनी तरफ सबसे ज्यादा आकर्षित करता है और इतना ही नहीं यह भारत में सबसे शक्तिशाली ज्योतिर्लिंगों में से एक है, जो सभी प्रकार के जहरों के संरक्षण का प्रतीक माना जाता है।
भीमाशंकर – महाराष्ट्र
महाराष्ट्र के पुणे शहर में भीमा नदी के तट पर, भीमाशंकर मंदिर भगवान शिव का तीसरा ज्योतिर्लिंग माना जाता है। माना जाता है कि इसी नाम के एक वन्यजीव अभयारण्य से घिरा, यहां का ज्योतिर्लिंग भीम-कुंभकर्ण के पुत्र द्वारा बनाया गया था।
महाशिवरात्रि के समय यहां पर भगवान शिव के भक्तों का अपरंपार भीड़ लगा रहता है और यहां पर आकर भक्त भगवान शंकर की पूजा अर्चना एवं जला दी का अभिषेक करते हैं और साथ ही साथ यहां पर एक बड़े शिवरात्रि मेला का आयोजन भी किया जाता है।
भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग मंदिर जाने वाले भक्त, पास में स्थित कमलाजा मंदिर- पार्वती के अवतार को भी देखते हैं। यह भारत में सबसे लोकप्रिय ज्योतिर्लिंगों में से एक है।
त्र्यंबकेश्वर – महाराष्ट्र
महाराष्ट्र में ही स्थित नासिक शहर में त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग ब्रह्मगिरी पर्वत के पास स्थित है। गोदावरी नदी का उद्गम स्थल, जिसे गौतमी गंगा के नाम से भी जाना जाता है। शिव पुराण के अंतर्गत गोदावरी नदी और गोमती नदी ने भगवान शिव से यहां पर निवास करने का आग्रह किया।
इनके आग्रह को और विनती को स्वीकारते हुए भगवान शिव ने यहां पर त्र्यंबकेश्वर के रूप में प्रकट हुए और अपने चौथे ज्योतिर्लिंग के अवतार को यहां पर स्थापित किया। इस ज्योतिर्लिंग की आकृति सबसे ज्यादा अविश्वसनीय एवं अनोखी है।
यहां पर मौजूद तीन खंभों के अंदर एक 0 उपस्थित है जो अपने आप में एक आश्चर्यचकित कर देने का केंद्र माना जाता है। इन तीन स्तंभों को त्रिशक्ति यानी कि ब्रह्मा विष्णु और महेश का प्रतिनिधित्व माना जाता है।
यहां पर भी भगवान शिव के भक्त गण उनकी पूजा अर्चना करने जाते हैं और भगवान शिव के प्रति अपनी आस्था त्रंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग के समक्ष प्रकट करते हैं।
घृष्णेश्वर – महाराष्ट्र
महाराष्ट्र के औरंगाबाद में स्थित घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर प्रभावशाली लाल चट्टान 5 मंजिला शिखर शैली की संरचना, देवी-देवताओं की नक्काशी और मुख्य दरबार हॉल में एक विशाल नंदी बैल के साथ, ग्रिशनेश्वर मंदिर अजंता और एलोरा की गुफाओं के पास स्थित भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है।
अहिल्याबाई होल्कर द्वारा निर्मित इस मंदिर को ग्रुसोमेश्वर और कुसुम ईश्वर के नाम से भी जाना जाता है। लाल चट्टान पर उकेरी गई विष्णु की दशावतार की मूर्ति बेहद प्रभावशाली माना जाता है और प्रत्येक आगंतुक को अपनी ओर आकर्षित करती है।
यह औरंगाबाद में तीर्थ स्थल दर्शन करने के लिए बेस्ट ऑप्शन माना जाता है और यहां पर भी भगवान शिव के भक्तों की भीड़ साल भर बनी रहती है। श्रावण मास के महीने में यहां पर सबसे ज्यादा भीड़ देखने को मिल जाती है।
वैद्यनाथ – झारखंड
झारखंड राज्य में स्थित बैजनाथ मंदिर के बारे में भला कौन नहीं जानता है परंतु बहुत कम लोगों को पता है कि भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से बैजनाथ का ज्योतिर्लिंग भी एक है। इतना ही नहीं हिंदू धर्म के सती के 51 शक्ति पीठ मंदिरों में से एक बैजनाथ धाम के ज्योतिर्लिंग को माना जाता है।
पौराणिक कथाओं का मानना है कि रावण ने वर्षों तक शिव की पूजा की और शिव को लंका आमंत्रित किया। भगवान शिव ने रावण को अपना ज्योतिर्लिंग प्रदान किया और उसे बोला की लंका पहुंचने तक किसी भी हाल में वह भगवान शिव के 1 ज्योतिर्लिंग को किसी भी जगह पर बिल्कुल भी ना रखें यदि उसने कहीं पर भी इसे लंका पहुंचने से पहले रखा तो वह ज्योतिर्लिंग उसी जगह पर स्थापित हो जाएगा और उसे दोबारा दूसरे स्थान पर ले जाना असंभव हो जाएगा।
माता पार्वती भगवान शिव के और रावण के बीच चल रहे इस वार्तालाप को सुन लेती है और बहुत ही चिंतित हो जाती है। माता पार्वती कभी भी नहीं चाहती थी कि रावण भगवान शिव के ज्योतिर्लिंग को लंका ले जाकर स्थापित करें और अगर रावण ऐसा करने में सफल रहता तो बहुत बड़ा अनर्थ हो जाता।
माता पार्वती चिंतित होकर भगवान विष्णु के पास गई और अपनी समस्या के बारे में उन्होंने भगवान विष्णु के समक्ष सभी कुछ विस्तार से बता दिया। फिर भगवान विष्णु ने चरवाहे का रूप धारण किया और अपना नाम बैजू रखा। विष्णु ने बीच-बीच में रावण को बाधित किया और शिवलिंग को कभी-कभी आराम करने के लिए प्रभावित किया।
लंका जाने के दौरान रावण को बीच रास्ते में बड़ी जोर की लघु शंका लगी और उसने अपना वायु यान जमीन पर उतारा परंतु वह भगवान शिव के ज्योतिर्लिंग को जमीन पर नहीं रख सकता था अगर वह ऐसा करता तो वह ज्योतिर्लिंग उसी जगह पर स्थापित हो जाता और उसे दोबारा लंका ले जाना रावण के लिए संभव नहीं था।
ऐसे में चरवाहे का रूप धारण किए भगवान विष्णु जानवर चराते हुए नजर आते हैं और फिर रावण उन्हें आवाज देकर बुलाता है भगवान विष्णु रावण के समक्ष जाते हैं और रावण उनसे पूछता है कि तुम कौन हो भगवान विष्णु रावण को अपना नाम बैजू बताते हैं। रावण भगवान विष्णु की इस लीला को समझ नहीं सका और उसने भगवान शिव के ज्योतिर्लिंग को बैजू के हाथ में पकड़ा दिया।
और बोला कि जब तक मैं वापस लघु शंका करके लौट नहीं आता तब तक तुम इस शिवलिंग को जमीन पर बिल्कुल भी मत रखना। काफी समय बीत जाता है फिर भगवान विष्णु सही वक्त समझ कर भगवान शिव के इस ज्योतिर्लिंग को जमीन पर रख देते हैं और वहां से अंतर्ध्यान हो जाते हैं। लघुशंका करने के पश्चात रावण स्नान ध्यान करके वापस आता है और देखता है कि भगवान शिव के ज्योतिर्लिंग को बैजू ने जमीन पर रख दिया है।
और ऐसा देखकर वह काफी ज्यादा क्रोधित होता है और भगवान शिव के ज्योतिर्लिंग को जमीन से उठाने का भरपूर प्रयास करता है परंतु ऐसा करने में पूरे तरीके से विफल रहता है।
तब से लेकर अब तक भगवान शिव का ज्योतिर्लिंग देवघर में स्थित है और प्रत्येक श्रावण मास में दूर-दूर से भगवान शिव के भक्त उन्हें पैदल जल चढ़ाने के लिए आते हैं।
महाकालेश्वर – मध्य प्रदेश
मध्य प्रदेश राज्य के उज्जैन शहर में स्थित महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग एकमात्र दक्षिणमुखी ज्योतिर्लिंग है, जो अपने आप प्रकट हुआ था। महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग में भगवान शिव की पूजा जलती हुई चिता की राख व भस्म से की जाती है।
बड़े-बड़े योगी और अघोरी अपनी साधना को पूरा करने के लिए महाकालेश्वर जी की कठिन तपस्या करते हैं। महाकालेश्वर जी के धाम में रोजाना भगवान शिव के भक्तों का आना जाना लगा रहता है।
परंतु शिवरात्रि और सावन महीने में यहां पर सबसे ज्यादा भीड़ होती है और इतना ही नहीं शिवरात्रि के समय यहां सबसे बड़े मेले का आयोजन भी किया जाता है।
ओंकारेश्वर – मध्य प्रदेश
भगवान शिव का यह ज्योतिर्लिंग मध्य प्रदेश राज्य के खंडवा जिले में स्थित है और इतना ही नहीं इंदौर सिटी से मात्र 75 किलोमीटर की दूरी पर आप इस ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने आसानी से पहुंच सकते हो।
ओंकारेश्वर मंदिर का नाम ओंकारेश्वर इसलिए पड़ा है क्योंकि यह ज्योतिर्लिंग के चारों और पहाड़ है और पहाड़ के चारों और जो नदी बहती है वह ओम का आकार बनाती है।
यही कारण है कि मध्य प्रदेश में स्थित भगवान शिव के इस ज्योतिर्लिंग को ओमकारेश्वर ज्योतिर्लिंग के नाम से जाना जाता है और इतना ही नहीं ओंकारेश्वर का अर्थ होता है ओम के आकार का ज्योतिर्लिंग। यहां पर भी भगवान शिव के भक्तों का आना-जाना साल भर बना रहता है और इतना ही नहीं यहां पर पर्यटन सेनानी भी आना पसंद करते हैं।
काशी विश्वनाथ – उत्तर प्रदेश
उत्तर प्रदेश राज्य में अनेकों मंदिर और शिवालय मौजूद है और बनारस में स्थित काशी विश्वनाथ का मंदिर 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक ज्योतिर्लिंग है।
काशी विश्वनाथ के मंदिर के दर्शन करने के लिए हमारे देश के ही नहीं बल्कि अनेकों विदेशी सेनानी भी यहां पर आते हैं। भक्तों का मानना है कि भगवान शिव ने यहां निवास किया था और सभी को मुक्ति और सुख प्रदान किया था।
काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग मंदिर की कई पौराणिक कहानियां है और यह ज्योतिर्लिंग पवित्र गंगा नदी के पश्चिमी किनारे पर स्थित है। काशी भगवान शिव की नगरी कही जाती है और इतना ही नहीं पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान शिव और पार्वती को यह नगरी काफी पसंद है और वह समय-समय पर काशी में आते रहते हैं।
कहा जाता है कि भगवान शिव और माता पार्वती शादी के बाद वे काशी में रहने के लिए सर्दियों के महीनों के दौरान कैलाश छोड़ जाते थे। पार्वती के माता-पिता काशी में दिव्य युगल के निवास से प्रसन्न नहीं थे परंतु भगवान भोले और माता पार्वती को कैलाश के बाद काशी नगरी काफी ज्यादा पसंद है और भगवान शिव ने खुद इस नगरी का निर्माण किया था।
केदारनाथ – उत्तराखंड
उत्तराखंड में स्थित भगवान शिव के इस ज्योतिर्लिंग के अनुकंपा के बारे में भला कौन नहीं जानता है? केदारनाथ ज्योतिर्लिंग को भी हिंदू धर्म के 4 धामों में से एक धाम माना जाता है।
उत्तराखंड में स्थित केदारनाथ जी का यह अत्यधिक ठंड और तेज बर्फबारी की वजह से 6 महीने तक बंद रहता है और यहां कोई भी नहीं जाता।
कहा जाता है कि मंदिर का फाटक जब अंतिम बार बंद किया जाता है तब वहां पर एक ऐसी ज्योति जलाई जाती है, जो जब तक मंदिर दोबारा नहीं खुलता तब तक अपने आप चलती रहती है और मंदिर को प्रकाश में करती रहती है।
केदारनाथ का यह मंदिर मई से जून तक ही खुला रहता है। केदारनाथ के रास्ते में तीर्थयात्री, पवित्र जल लेने के लिए पहले गंगोत्री और यमुनोत्री जाते हैं, जिसे वे केदारनाथ शिवलिंग पर चढ़ाते हैं।
लोग केदारनाथ मंदिर में दर्शन करने और ज्योतिर्लिंग को स्नान करने पर विश्वास करते हैं, सभी दुख, दुर्भाग्य और दुर्भाग्य से छुटकारा मिल सकता है।
केदारनाथ मंदिर के दर्शन करने के लिए काफी ऊंची चढ़ाई चलनी पड़ती है परंतु यहां पर कई अन्य साधन भी उपलब्ध है जिनके जरिए आप आसानी से केदारनाथ मंदिर पहुंच सकते हो और इतना ही नहीं प्रसिद्ध हिंदू संत शंकराचार्य की समाधि मुख्य केदारनाथ मंदिर के ठीक पीछे स्थित है।
रामेश्वरम – तमिलनाडु
दक्षिण भारत के तमिलनाडु राज्य में स्थित रामनाथम शहर में रामेश्वर ज्योतिर्लिंग तीर्थ है, जिसे स्वयं भगवान श्रीराम ने अपने हाथों से स्थापित किया था। रामेश्वर मंदिर की कलाकृति लोगों को अपनी तरफ आकर्षित करती है और इतना ही नहीं इसकी भव्य नकाशी देखकर आप मंत्र मुक्त हो जाएंगे।
हमारे देश में जितने भी भव्य मंदिर हैं, उनमे से एक रामेश्वर मंदिर भी है। यहीं पर लंका जाते वक्त श्रीराम ने विश्राम किया था और मिट्टी से शिवलिंग बनाकर भगवान शिव की प्रार्थना की थी। प्रभु श्री राम की प्रार्थना को स्वीकार करते हुए और समुद्र में मार्ग बनाने का उपाय बताएं और साथ ही साथ लंका पर विजय प्राप्त करने का भी वरदान भगवान शिव ने स्वयं प्रभु श्री राम को प्रदान किया।
तब से लेकर अब तक रामेश्वर मंदिर में भगवान शिव की पूजा अर्चना की जाती है और भगवान शिव के भक्तों का आवागमन यहां पर हर साल बना रहता है। शिवरात्रि के समय में यहां पर भगवान शिव की भव्य पूजा अर्चना की जाती है और भगवान शिव के दर्शन को प्राप्त करने के लिए शिव भक्तों की लंबी लंबी लाइन लगी रहती है।
मल्लिकार्जुन – आंध्र प्रदेश
भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग के रूप में जाने जाने वाले मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग आंध्र प्रदेश राज्य के कुरनूल क्षेत्र में कृष्णा नदी के तट पर श्रीशैलम पर्वत पर अपनी भव्यता के साथ स्थित है। इस मंदिर को दक्षिण का कैलाश बोला जाता है।
कई पौराणिक मान्यताओं के अनुसार जो भी मनुष्य मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग मंदिर में जाकर के अपना माथा झुकाता है उसके सभी पाप और उसके सभी कष्ट भगवान शंकर हर लेते हैं।
यदि आपको यहां पर जाना है तो आपके लिए रेल मार्ग सबसे सुगम और सुखद यात्रा रहेगी। भगवान शंकर का यह अंतिम ज्योतिर्लिंग है और यहां पर भी भगवान शंकर के भक्तों का आवागमन बना रहता है और खास उत्सव पर भारी भीड़ भी होती है।
हिंदू धर्म में ज्योतिर्लिंग का महत्व
भगवान शंकर के 12 अलग अलग ज्योतिर्लिंगों का अपना अलग अलग महत्व है। परंतु कहा जाता है कि जो इन सभी ज्योतिर्लिंगों के दर्शन कर लेता है भगवान शंकर उसे मोक्ष प्रदान करते हैं और साथ ही साथ वह इस मृत्यु लोक से सदैव के लिए अमर हो जाता है। इसके अलावा भी ज्योतिर्लिंग की अपनी अलग अलग महत्व है और उनके बारे में नीचे दी गई जानकारी को ध्यानपूर्वक से पढ़ें।
- पौराणिक मान्यताओं के अनुसार कहा जाता है कि जो मनुष्य अपने पिछले जन्म में अच्छा कार्य किया रहता है और उसे अगर मनुष्य योनि में जन्म दोबारा मिलता है. तो उसे अपने आप ही भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने की जिज्ञासा होने लगती है।
- केवल वही मनुष्य सभी ज्योतिर्लिंगों का दर्शन कर पाता है जिसका मन साफ होता है और उसने अपने मनुष्य जीवन में कोई भी दुष्कर्म नहीं किया हो।
- यदि आप अपने पापों से मुक्ति चाहते हो और इस मृत्युलोक से सदैव सदैव के लिए छुटकारा पाना चाहते हो तो आपको भगवान शंकर के 12 ज्योतिर्लिंगों का दर्शन करना चाहिए। इससे भगवान शंकर आपको मोक्ष प्रदान करेंगे।
- भगवान शंकर की ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने वाले व्यक्ति हमेशा खुशहाल रहते हैं और भगवान शंकर उनके ऊपर अपनी अनुकंपा बनाए रहते हैं।
- सभी प्रकार के भव बाधा से मुक्ति पाने के लिए ज्योतिर्लिंग के दर्शन करना आपके लिए एक अच्छा मार्ग साबित होता है।
- ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने वाले व्यक्ति को सभी प्रकार के कष्टों से मुक्ति मिल जाती है और भगवान शिव प्रसन्न होकर उसे मनचाहा वरदान भी प्रदान करते हैं।
FAQ.
भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग में से पहला ज्योतिर्लिंग गुजरात राज्य में सोमनाथ मंदिर के रूप में जाना जाता है।
भारत में मौजूद 12 अलग-अलग स्थानों पर जितने भी ज्योतिर्लिंग मौजूद हैं उनमें से सबसे ज्यादा ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र में ही है और महाराष्ट्र में कुल भगवान शंकर के 3 ज्योतिर्लिंग मौजूद है।
शिरडी के पास आपको 2 ज्योतिर्लिंग मिल जाएंगे। त्र्यम्बकेश्वर ज्योतिर्लिंग और गिरनेश्वर ज्योतिर्लिंग।
नेपाल में कोई भी ज्योतिर्लिंग नहीं है। परंतु नेपाल में भगवान शिव का भव्य मंदिर पशुपतिनाथ जरूर स्थित है, जहां पर भी भगवान शिव के भक्तों का आवागमन बना रहता है और यह मंजर भी काफी हिंदू धर्म के लोकप्रिय मंदिरों में से एक है।
निष्कर्ष
हमने अपने आज के इस महत्वपूर्ण लेख में आप सभी लोगों को भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग के नाम के बारे में और उनसे जुड़ी हुई अन्य महत्वपूर्ण जानकारी के बारे में विस्तार पूर्वक से जानकारी प्रदान की हुई है और हमें उम्मीद है कि ज्योतिर्लिंग के ऊपर प्रस्तुत की गई यह विस्तृत जानकारी आप लोगों के लिए काफी उपयोगी और सहायक साबित हुई होगी।
यदि आप लोगों को 12 ज्योतिर्लिंग के नाम और स्थान ( 12 Jyotirlinga Names and Places in Hindi) के ऊपर दी गई यह जानकारी अच्छी लगी हो या फिर जरा सी भी उपयोगी साबित हुई हो तो आप इसे अपने दोस्तों के साथ और अपने सभी सोशल मीडिया हैंडल पर शेयर करना ना भूले और साथ ही साथ आज के इस महत्वपूर्ण लेख से संबंधित किसी भी प्रकार के सवाल या फिर जानकारी के लिए नीचे दिए गए कमेंट बॉक्स का भी इस्तेमाल करना ना भूलें।
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