गरुड़ पुराण कब पढ़ना चाहिए?(नियम, फायदे व रहस्य)

Garud Puran Kab Padhna Chahiye: गरुड़ पुराण शब्द आपने जरूर सुना ही होगा। अगर आप सनातन धर्म से संबंध रखते हैं, तो इस बारे में भली-भांति जानते ही होंगे। लेकिन आज के समय में अधिकांश युवाओं को धर्म के बारे में बिल्कुल भी जानकारी प्राप्त नहीं होती है।

इसलिए आज के इस आर्टिकल में हम आपको विस्तारपूर्वक बताएंगे कि गरुड़ पुराण कब पढ़ना चाहिए? इससे पहले हम आपको यह भी बताएंगे कि गरुड़ पुराण क्या है? और गरुड़ पुराण में कौन-कौन से रहस्य दर्ज है? अक्सर आपने देखा होगा कि किसी की हत्या करने पर या गलत काम करने पर ऐसा कहा जाता है कि “पाप लगेगा”!

Garud Puran Kab Padhna Chahiye
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सनातन धर्म के अंतर्गत व्यक्ति की मृत्यु के पश्चात द्वारा किए गए कर्मों का परिणाम देखने को मिलता है। अगर किसी व्यक्ति ने अपने जीवन काल में पाप किया है, तो उसे भयंकर सजाएं मिलेगी जबकि पुण्य करने वाले को स्वर्ग मिलता है। इस तरह की बातें सदियों से कहीं जा रही है और हमारे धर्म शास्त्रों में लिखी गई है।

तो क्या पाप करने वाले व्यक्ति को मृत्यु के पश्चात सजा मिलती हैं या किस प्रकार की सजा दी जाती है? इस बारे में संपूर्ण जानकारी विस्तार पूर्वक गरुड़ पुराण में लिखी गई है। गरुड़ पुराण को सनातन धर्म का एक महत्वपूर्ण ग्रंथ माना जाता है।

गरुड़ पुराण कब पढ़ना चाहिए? (नियम, फायदे व रहस्य) | Garud Puran Kab Padhna Chahiye

गरुड़ पुराण क्या है?

सनातन धर्म के अंतर्गत चार वेद और 18 पुराण है। इन सभी का विशेष महत्व होता है। सनातन धर्म के अंतर्गत आने वाले इन सभी चार वेद और 18 पुराण में तरह-तरह का ज्ञान और रहस्य देखने के लिए मिल जाता है। 18 पुराण में से एक गरुड़ पुराण भी है, जो विशेष रूप से मृत्यु के पश्चात होने वाले कर्मकांड से आधारित ज्ञान प्रदान करता है।

इस गरुड़ पुराण में व्यक्ति की मृत्यु के पश्चात उसके साथ किए जाने वाले व्यवहार के बारे में संपूर्ण जानकारी विस्तार पूर्वक दी गई है। लोगों के मन में हमेशा यह सवाल रहता है कि गरुड़ पुराण को कब पढ़ना चाहिए?, किस समय गरुड़ पुराण पढ़ना सही माना जाता है?

आपने देखा होगा कि गरुड़ पुराण पुस्तक के ऊपर भगवान गरुड़ की छवि देखने को मिलती है। भगवान गरुड़ लोगों की मृत्यु के पश्चात उनके द्वारा किए गए कार्य के आधार पर उन्हें सजा देते हैं। इस आधार पर इस पुस्तक का निर्माण किया गया है।‌

कहा जाता है कि गलत काम नहीं करना चाहिए, दूसरों का दिल नहीं दुखाना चाहिए, किसी के साथ बुरा नहीं करना चाहिए क्योंकि ऐसा करने से पाप लगता है और जो भी व्यक्ति अपने जीवन काल में पाप करता है, उसे संसार छोड़ने के बाद अर्थात मृत्यु होने के पश्चात उन सभी का परिणाम भुगतना होता है। तरह-तरह की सजा यातनाएं दी जाती है।

गरुड़ पुराण कब पढ़ना चाहिए?

सनातन धर्म के अंतर्गत गरुड़ पुराण को एक रहस्यमई पुराण माना जाता है क्योंकि इस ग्रंथ में व्यक्ति की मृत्यु के पश्चात होने वाली घटनाओं के बारे में जानकारी दी गई है, जो हमें आमतौर पर किसी भी धर्म ग्रंथ में देखने के लिए नहीं मिलती है।

आपकी जानकारी के लिए बता देते हैं कि सनातन धर्म के अंतर्गत कहा गया है कि गरुड़ पुराण को किसी भी व्यक्ति की मृत्यु के पश्चात ही पढ़ना चाहिए। गरुड़ पुराण को व्यक्ति की मृत्यु के पश्चात पढ़ा जाता है। यह जानकारी आपको पता होना चाहिए कि गरुड़ पुराण पढ़ने का सही समय व्यक्ति की मृत्यु होने के बाद का है।

सनातन धर्म के धर्म शास्त्रों में बताया गया है कि किसी भी व्यक्ति की मृत्यु होने के 13 दिन तक उस व्यक्ति की आत्मा घर में ही रहती है। इसीलिए उस आत्मा को शांति प्रदान करने के लिए गरुड़ पुराण पढ़कर सुनाया जाता है। इससे उस आत्मा को मोक्ष की प्राप्ति होती है।

यही वजह है कि किसी भी व्यक्ति की मृत्यु होने के पश्चात गरुड़ पुराण का पाठ करवाया जाता है। गरुड़ पुराण का पाठ करके घर में उपस्थित आत्मा को मोक्ष प्रदान कर दिया जाता है। इसीलिए इस ग्रंथ को सनातन धर्म के धर्म ग्रंथों में महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है।

गरुड़ पुराण का रहस्य

सनातन धर्म के अनुसार ऋषि कश्यप का पुत्र गरुड़ है, जिसे भगवान विष्णु का वाहक के रूप में जाना जाता है। इसीलिए आपने देखा होगा कि गरुड़ पुराण पुस्तक के ऊपर भगवान गरुड़ की छवि देखने के लिए मिलती है।

एक बार गरुड़ ने भगवान विष्णु नारायण से व्यक्ति की मृत्यु होने के पश्चात उनके साथ होने वाली घटना के बारे में पूछा, तब भगवान विष्णु ने गरुड़ को विस्तार पूर्वक इस बारे में जानकारी प्रदान की थी, जिसके बाद भगवान गरुड़ में गरुड़ पुराण ग्रंथ की रचना की। उस ग्रंथ के अंतर्गत विभिन्न प्रकार के रहस्य जो विष्णु द्वारा बताए गए हैं वह लिखे गए हैं।

भगवान गरुड़ द्वारा किए गए प्रत्येक प्रश्न का भगवान विष्णु ने विस्तारपूर्वक जवाब दिया, जिसका वर्णन गरुड़ पुराण में किया गया है। व्यक्ति के जीवन काल में किए गए पाप और पुण्य के अनुसार मिलने वाले फलों की जानकारी गरुड़ पुराण में दी गई है।

गरुड़ पुराण कहता है कि जो व्यक्ति जिस तरह का पाप करता है या जिस तरह का कर्म करता है उसे उसी तरह का फल मिलता है। आमतौर पर जो लोग ज्यादा पाप करते हैं, उन्हें मृत्यु होने के पश्चात तेल में तला जाता है। सांप बिच्छू इत्यादि काटते हैं तथा विभिन्न प्रकार की सजा यातनाएं दी जाती है।

निष्कर्ष

गरुड़ पुराण सनातन धर्म का एक महत्वपूर्ण ग्रंथ है। इस ग्रंथ को व्यक्ति की मृत्यु के पश्चात पढ़कर सुनाया जाता है। आज के इस आर्टिकल में हम आपको विस्तार पूर्व बता चुके हैं कि गरुड़ पुराण क्या है? और गरुड़ पुराण को कब पढ़ना चाहिए?( Garud Puran Kab Padhna Chahiye)

उम्मीद करते हैं यह जानकारी आपको जरूर पसंद आई होगी। अगर आपका इस आर्टिकल से संबंधित कोई भी प्रश्न है, तो आप नीचे कमेंट करके पूछ सकते हैं। हम आपके द्वारा पूछे गए प्रश्न का उत्तर अवश्य देंगे।

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