एकमुखी रुद्राक्ष के फायदे, नुकसान, महत्व, धारण करने की विधि और नियम

Ek Mukhi Rudraksha ke Fayde : रुद्राक्ष भगवान शिव का प्रतीक होता है। भगवान शिव अपनी भुजाओं एवं गले में रुद्राक्ष को धारण किए होते हैं। यही कारण है कि रुद्राक्ष को धारण करने से भगवान शिव की हमेशा कृपा बनी रहती है। यहां तक कि भगवान शिव के भक्त भी रुद्राक्ष को धारण करते है।

कहते हैं एक मुखी रुद्राक्ष साक्षात भगवान शिव का रूप होता है। यह रुद्राक्ष का उत्पन्न तब हुआ था, जब भगवान शिव के आंखों से पहली बार एक आंसू का बूंद नीचे गिरा था। लेकिन यह रुद्राक्ष बहुत ही दुर्लभ रुद्राक्ष है जिसे पाना इतना आसान नहीं होता।

Ek Mukhi Rudraksha ke Fayde
Image: Ek Mukhi Rudraksha ke Fayde

यदि कोई एक मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहता है तो उसे इसे धारण करने के नियम एवं इसे धारण करने के पश्चात होने वाले फायदे और नुकसान के बारे में जानकारी होनी चाहिए। जिसके बारे में आज के इस लेख में हमने विस्तारपूर्वक बताया है।

एकमुखी रुद्राक्ष क्या है?

‘इलियोकार्पस गेनिट्रस’ नामक पेड़ से प्राप्त फल के पास जाने पर जब वह फल नीचे गिर जाता है तब उसके अंदर स्थित बीज को ही रुद्राक्ष कहते हैं और उस बीज पर एक से लेकर 12 धारिया पाई जाती है।

जिस रुद्राक्ष पर केवल एक धारिया पाई जाती है। जिसका आकार गोलाकार या अर्थ चंद्र जैसा होता है। वह एक मुखी रुद्राक्ष कहलाता है। लेकिन एक मुखी रुद्राक्ष की उपलब्धता काफी दुर्लभ होती है यही कारण है कि बाजार में काफी ऊंची कीमत पर बेची जाती है।

रुद्राक्ष के कुल उपज 1% से भी कम एक मुखी रुद्राक्ष पाए जाते हैं। कहते हैं एक मुखी रुद्राक्ष की उत्पत्ति भगवान शिव के आंसुओं से हुई थी। एक मुखी रुद्राक्ष दो प्रकार के होते हैं एक काजू के सामान लंबा दिखने में होता है वही दूसरा गोल आकार का होता है।

यह रुद्राक्ष हल्का सफेद काला लाल या पीले रंग में देखने को मिलता है। कहते हैं इसके रंगों के हिसाब से अलग-अलग वर्ण के लोग इसे धारण करते हैं। पीला रुद्राक्ष क्षत्रिय लोग धारण करते हैं वहीं लाल वेश्या एवं काला शुद्र धारण करते हैं। दुनिया के सबसे उत्तम श्रेणी का एक मुखी रुद्राक्ष नेपाल में पाया जाता है। इसके अतिरिक्त भारत, मलेशिया और इंडोनेशिया में भी पाए जाते हैं।

एक मुखी रुद्राक्ष का महत्व

एक मुखी रुद्राक्ष का महत्व काफी ज्यादा होता है। पहला कि यह रुद्राक्ष बहुत ही दुर्लभ होता है और यह रुद्राक्ष पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान शिव के आंखों से निकली पहली आंसू की बूंद से हुई थी।

कहते हैं रुद्राक्ष धारण करने वाला व्यक्ति पर सदैव भगवान शिव की कृपा बनी रहती है लेकिन एक मुखी रुद्राक्ष को साक्षात शिव का ही रूप माना जाता है।

एक मुखी रुद्राक्ष का स्वामी सूर्य ग्रह होता है। जिसके कुंडली में सूर्य ग्रह छठे, आठवें और बारहवें स्थान पर होता है तो उन्हें अवश्य रूप से एक मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए। इसे धारण करने से राहु, केतु और शनि के प्रभाव भी कम हो जाते हैं।

एक मुखी रुद्राक्ष को धारण करने की विधि

एकमुखी रुद्राक्ष का लाभकारी प्रभाव अपने जीवन में प्राप्त करने के लिए इसे विधिपूर्वक धारण करना चाहिए। हालांकि रुद्राक्ष को सोने या चांदी के धातु के चैन में पिरोकर पहन सकते हैं वरना इसे लाल या पीले रंग के धागे में भी पीरों कर पहन सकते हैं।

बस ध्यान रहे काले धागे का प्रयोग ना करें। उसके बाद एक मुखी रुद्राक्ष को धारण करने से पहले स्नान कर लें । ध्यान रहे एक मुखी रुद्राक्ष को धारण करने के लिए सबसे अच्छा दिन सोमवार माना जाता है क्योंकि सोमवार का दिन भगवान शिव को समर्पित होता है।

इस दिन स्नान करने के पश्चात कांसे के शुद्ध बर्तन में पंचामृत तैयार कर लेना चाहिए जिसमें गुलाब के फूल के पत्ते डालने चाहिए। अब रुद्राक्ष की माला को पंचामृत से शुद्ध करना चाहिए।

इसके पश्चात भगवान शिव के मंत्र का भी जाप करना चाहिए। पंचामृत से शुद्ध करने के बाद रुद्राक्ष को एक लाल कपड़े पर रख देना चाहिए। जिसके बाद फिर बेलपत्र, चंदन, लाल पुष्प ,धूप दीप द्वारा रुद्राक्ष की पूजा करनी चाहिए।

उसके बाद भगवान शिव गायत्री मंत्र का जाप 11 बार करना चाहिए और फिर रूद्राक्ष को शिवलिंग पर अर्पित करते हुए भगवान शिव से सदैव रुद्राक्ष के माध्यम से अपनी कृपा बनाए रखने की प्रार्थना करनी चाहिए।

एकमुखी रुद्राक्ष को धारण करने के नियम

  • एक मुखी रुद्राक्ष को विधिपूर्वक धारण करने के पश्चात कई सारे नियम होते हैं जो धारण करता को सदैव पालन करते रहना चाहिए यदि वह रुद्राक्ष का लाभकारी प्रभाव के जीवन में पाना चाहता है तो भूलकर भी रुद्राक्ष का अपमान नहीं होना चाहिए।
  • जो भी एक मुखी रुद्राक्ष को पहनता है उसे कभी भी मांस मछली या मदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए।
  • एक मुखी रुद्राक्ष का स्वामी सूर्य देव होते हैं इसीलिए सूर्य देव को प्रसन्न करने के लिए हमेशा रुद्राक्ष का सम्मान करना चाहिए।
  • घर में कोई अशुभ घटना घट जाए या किसी अन्य के यहां किसी की मृत्यु हो जाए तो ऐसी स्थिति में रुद्राक्ष को निकाल कर रख देना चाहिए।
  • एक मुखी रुद्राक्ष को धारण करने के बाद उसे कभी भी किसी अन्य को नहीं पहनना चाहिए ना हीं किसी अन्य के पहने हुए रुद्राक्ष को धारण करना चाहिए।
  • रुद्राक्ष धारण करने वाले को हमेशा रुद्राक्ष का ध्यान रखना चाहिए। यदि रुद्राक्ष का धागा क्षतिग्रस्त हो गया हो तो उसे बदल देना चाहिए। उसके साथ ही समय-समय पर गंगा जल के प्रयोग से रुद्राक्ष को पवित्र करते रहना चाहिए।

एकमुखी रुद्राक्ष के फायदे (Ek Mukhi Rudraksha ke Fayde)

  • ज्योतिष शास्त्र के अनुसार एक मुखी रुद्राक्ष पर सूर्य का अधिपत्य होता है जिस कारण जो भी एक मुखी रुद्राक्ष को धारण करता है वह जातक के अंदर ऊर्जा शक्ति और नेतृत्व की क्षमता बढ़ती है। इसके साथ ही वह व्यक्ति सूर्य के नकारात्मक प्रभाव से दूर रहता है।
  • एक मुखी रुद्राक्ष को पहनने से समाज में प्रसिद्धि मिलती है और इसे धारण करने वाले व्यक्ति के भाग्य के द्वार खुल जाते हैं।
  • एक मुखी रुद्राक्ष को धारण करने से जीवन के सभी कष्ट और संकट दूर हो जाते हैं। भगवान शिव और सूर्य ग्रह इससे प्रसन्न रहते हैं।
  • जो व्यक्ति एक मुखी रुद्राक्ष धारण करता है उसके ब्राह्मण हत्या के समान पाप से भी मुक्ति मिल जाती है।
  • एक मुखी रुद्राक्ष को धारण करने से व्यक्ति सांसारिक मोह माया के जाल से ऊपर उठ जाता है।
  • पद्म पुराण के 57वें अध्याय के 38 और 39 वें श्लोक  में भी एक मुखी रुद्राक्ष को भगवान शिव का स्वरूप बताया गया है, जिसे धारण करने से व्यक्ति को स्वर्ग लोक और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
  • एक मुखी रुद्राक्ष को धारण करने से व्यक्ति अपने इंद्रियों को नियंत्रित करने में सक्षम हो पाता है।
  • एक मुखी रुद्राक्ष धारण करने से लोगों को करियर में सफलता मिलती है। इसलिए छात्रों को भी एक मुखी रुद्राक्ष धारण करने की सलाह दी जाती है।
  • एक मुखी रुद्राक्ष धारण करने से भगवान शिव सदा उस व्यक्ति पर अपनी कृपा बनाए रखते हैं। इसे धारण करने से व्यक्ति के अंदर की भावना दूर हो जाती है उसके अंदर साहस और निडरता बढ़ती है।

एकमुखी रुद्राक्ष के नुकसान

जिसे हमें आपको पहले ही बताया कि 1 मुखी रुद्राक्ष पर सूर्य का आधिपत्य होता है। शरीर को एक मुखी रुद्राक्ष का स्वामी माना जाता है जिस कारण नदी एक मुखी रुद्राक्ष का कोई अपमान करता है या उसे नियम पूर्वक धारण नहीं करता है तो उस व्यक्ति के जीवन पर सूर्य के नकारात्मक प्रभाव पड़ते हैं।

इसके अतिरिक्त एक मुखी रुद्राक्ष भगवान शिव का प्रिय रुद्राक्ष होता है और एक मुखी रुद्राक्ष के अपमान से भगवान शिव भी नाराज हो जाते हैं जिससे व्यक्ति के जीवन में , उसके सफलता में कई सारी बाधाएं उत्पन्न होना शुरू हो जाती है।

इस तरह बनाए जाते हैं नकली एकमुखी रुद्राक्ष

आज के समय में धोखेबाज लोगों की संख्या काफी ज्यादा बढ़ चुकी है। बाजार में आपको हर चीज असली और नकली दोनों तरह मिल जाती है। आज के समय में लोग नकली रुद्राक्ष को भी बना कर बेचते हैं।

दरअसल एक मुखी रुद्राक्ष जिस पर केवल एक धारियां होती है। यह रुद्राक्ष बहुत ही दुर्लभ होता है जिस कारण यह काफी ज्यादा कीमत पर बिकता है। इसी का फायदा उठाते हुए बाजार में कई तरह की तकनीकी को अपनाते हुए नकली रुद्राक्ष को असली रुद्राक्ष का पहचान दिया जाता है।

बाजार में प्लास्टिक एवं फाइबर के भी रुद्राक्ष मिलते हैं जिसमें लोग केमिकल का इस्तेमाल करके उसके रंग को असली रुद्राक्ष जैसे कर देते हैं और उसके ऊपर बिल्कुल एक मुखी रुद्राक्ष की तरह धारियां बनाकर महंगे भाव में बेचते हैं।

आमतौर पर लोग दो विधियों से नकली रुद्राक्ष को बनाते हैं पहले विधि मेरे 5 मुखी रुद्राक्ष की रेखाओं को खंडित कर देते हैं और केवल एक रेखा को पूर्ण रखा जाता है ताकि लोगों को लगे कि एक मुखी रुद्राक्ष है।

लेकिन ध्यान रहे इस तरह के रुद्राक्ष कभी भी शुभ नहीं होते हैं क्योंकि यदि रुद्राक्ष खंडित होता है तो इसका कभी भी सकारात्मक प्रभाव उसे धारण करने वाले व्यक्ति पर नहीं पड़ता।

दूसरे विधि में बहुत से लोग लकड़ी का भी एक मुखी रुद्राक्ष बनाते हैं। लकड़ी से बने रुद्राक्ष में नाग या त्रिशूल की आकृति बनाकर भी ग्राहकों को आकर्षित करते हैं ताकि वे उस रुद्राक्ष को खरीदने के लिए मजबूर हो जाए।

एक मुखी रुद्राक्ष को पहचानने के तरीके

जैसे हमने आपको पहले ही बताया कि 1 मुखी रुद्राक्ष को प्राप्त करना बहुत दुर्लभ होता है। रुद्राक्ष के कुल उपज का लगभग 1% ही रुद्राक्ष एक मुखी हो सकता है। ऐसे में यदि कोई साधु संत यह सामान्य व्यक्ति आपको एक मुखी रुद्राक्ष को दिलाने की बात कर रहा है तो उनसे सचेत रहने की जरूरत है। 

यदि आप धोखेबाज लोगों से बचना चाहते हैं तो कई सारी ऐसे तरीके हैं जिनसे आप एक मुखी रुद्राक्ष के असली एवं नकली होने का पहचान आसानी से कर सकते हैं।

पहली चीज की यदि कोई भी रुद्राक्ष लकड़ी से या फिर किसी पंचमुखी रुद्राक्ष को खंडित करके बनाया गया है। तो जब आप उस रुद्राक्ष को मैग्नीफाइंग ग्लास से देखते हैं तो उसमें आपको बारिक बाल जैसे दरारें भी दिखती हैं। जो नकली रुद्राक्ष होता है उसमें आंतरिक एवं बाहर दिखने वाले रंगों में सामंजस्य नहीं होता है।

एक मुखी रुद्राक्ष का आकार अर्ध चंद्रमा या काजू की तरह होता है। जो रुद्राक्ष असली होता है उसमें यदि चाकू से खरोचे तो रेशा निकलता है।

असली एक मुखी रुद्राक्ष पहचान करने का एक यह भी तरीका है कि जो रुद्राक्ष असली होता है उसके उभरे हुए पठार एक समान नहीं होते हैं। जिस तरीके से किसी दो मनुष्य के फिंगरप्रिंट समान नहीं होते वैसे ही दो रुद्राक्ष के उभरे हुए पठार भी कभी समान नहीं होते। हालांकि नकली रुद्राक्ष में उभरे पठार एक समान हो सकते हैं।

यदि कोई रुद्राक्ष प्लास्टिक का बनाया गया है तो अग्नि के समीप ले जाने पर उसके आकृति में बदलाव आ जाता है।

जो रुद्राक्ष असली होता है वह चिकना एवं मुलायम प्रतीत होता है। लेकिन नकली रुद्राक्ष को हथेली में लेने पर आपको खुरदरा या कठोर प्रतीत होगा।

असली और नकली एक मुखी रुद्राक्ष को पहचानने का एक यह भी सामान्य तरीका है कि जो रुद्राक्ष असली होता है वह पानी में डूब जाता है लेकिन नकली रुद्राक्ष पानी में तैरता रह जाता है।

FAQ

एक मुखी रुद्राक्ष को क्या धारण कर सकते हैं?

हां एक मुखी रुद्राक्ष को धारण कर सकते हैं यदि कोई एक मुखी रुद्राक्ष को धारण नहीं करता है तो वह घर के पूजा स्थल पर भी रखकर उसकी पूजा कर सकता है।

एक मुखी रुद्राक्ष का क्या महत्व है?

वैसे तो रुद्राक्ष एक मुखी से लेकर 12 मुखी तक होता है परंतु एक मुखी रुद्राक्ष बहुत ही दुर्लभ होता है जिस कारण इसकी कीमत भी काफी ज्यादा होती है। यह रुद्राक्ष बहुत ज्यादा लाभकारी होता है और इसे धारण करने से भगवान शिव बहुत प्रसन्न होते हैं।

क्या सोते समय रुद्राक्ष पहनना चाहिए?

रुद्राक्ष को धारण करने के बाद ध्यान रखना चाहिए कि रुद्राक्ष क्षतिग्रस्त ना हो क्योंकि यदि रुद्राक्ष को सोते समय भी पहने रहते हैं तो ऐसे में रुद्राक्ष के टूटने का डर रहता है जिससे इसके प्रभाव कम हो जाते हैं।

एक मुखी रुद्राक्ष को किस में पिरोकर धारण करना चाहिए?

एक मुखी रुद्राक्ष को पिरोने के लिए सोने चांदी की चेन या फिर लाल, पीला या सफेद धागे का प्रयोग कर सकते हैं बस ध्यान रहे काले धागे का प्रयोग ना करें।

एक मुखी रुद्राक्ष को किस दिन धारण करना चाहिए?

सप्ताह के हर दिन अलग-अलग भगवान को समर्पित होता है। सोमवार का दिन भगवान शंकर को समर्पित होता है। इसीलिए एक मुखी रुद्राक्ष को सोमवार के दिन धारण करना ज्यादा शुभ होता है।

क्या एक मुखी रुद्राक्ष हमेशा प्रभाव दिखाता रहता है?

हां यदि आप एक मुखी रुद्रास को धारण करते हैं तो जीवन पर्यंत इसका प्रभाव आपको देखने को मिलेगा बस रुद्राक्ष क्षतिग्रस्त नहीं होना चाहिए। इसके प्रभाव हमेशा पाने के लिए रुद्राक्ष गंदा होने पर गंगाजल से साफ करते रहना चाहिए।

निष्कर्ष

आज के इस लेख में आपने एक मुखी रुद्राक्ष के बारे में जाना। यह रुद्राक्ष की उपलब्धता बहुत ही दुर्लभ होती है लेकिन इस रुद्राक्ष की मांग भी बहुत ज्यादा रहती है।

आज के इस लेख में आपने एकमुखी रुद्राक्ष के फायदे, नुकसान, महत्व, धारण करने की विधि और नियम (Ek Mukhi Rudraksha ke Fayde) के बारे में जाना। इसके साथ ही हमने आपको एक मुखी रुद्राक्ष को पहचान करने की विधि भी बताई।

हमें उम्मीद है कि आज का यह लेख आपके लिए जानकारी पूर्ण रहा होगा। यदि यह लेख आपको पसंद आया हो तो इसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म व्हाट्सएप, फेसबुक, इंस्टाग्राम इत्यादि पर जरुर शेयर करें।

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