पंचमुखी रुद्राक्ष के फायदे, धारण करने के नियम और पहचान का तरीका

Panchmukhi Rudraksha kya hai fayde aur nuksan : भगवान शिव की प्रतिमा एवं उनके तस्वीरों में आपने अक्सर रुद्राक्ष धारण किया हुआ देखते होंगे। वैसे तो रुद्राक्ष एक मुखी से लेकर 14 मुखी तक होता है परंतु पंचमुखी रुद्राक्ष भगवान शिव का सबसे प्रिय रुद्राक्ष माना जाता है।

कहते हैं पंच मुखी रुद्राक्ष का प्रतिनिधित्व रुद्र कालाग्निन करते हैं। इसमें पंच देवों का वास होता है और इसे भगवान शिव के आत्म स्वरूप की संज्ञा दी गई है। इसलिए पंचमुखी रुद्राक्ष का बहुत ज्यादा महत्व होता है। यह रुद्राक्ष सर्वगुण संपन्न होता है।

पंचमुखी रुद्राक्ष पर बृहस्पति ग्रह का अधिपत्य होता है। कहा जाता है कि जिसके कुंडली में बृहस्पति ग्रह उच्च होता है वह जातक जीवन की प्रगति के साथ साथ उनका साम्राज्य और समृद्धि बढ़ता है। इसलिए बृहस्पति ग्रह को प्रसन्न करने एवं किसी के भी जीवन पर बृहस्पति ग्रह के नकारात्मक प्रभाव को कम करने के लिए पंचमुखी रुद्राक्ष धारण किए जाते हैं।

Panchmukhi Rudraksha kya hai fayde aur nuksan
Image: Panchmukhi Rudraksha kya hai fayde aur nuksan

आज के समय में पंचमुखी रुद्राक्ष को लोगों ने एक फैशन की वस्तु समझ ली है जिस कारण वे अपने शरीर पर कहीं भी रुद्राक्ष को धारण कर लेते हैं। न केवल पंचमुखी बल्कि एक से लेकर 12 मुखी तक के किसी भी रुद्राक्ष को शरीर में गलत जगह पर पहनने एवं उसका अपमान करने से उसका नकारात्मक प्रभाव जीवन पर पड़ता है।

इसलिए कोई भी व्यक्ति जो पंचमुखी रुद्राक्ष धारण करता है तो उसे उसके धारण करने के नियम के बारे में पूरी जानकारी होनी चाहिए। यदि आपको पंचमुखी रुद्राक्ष के बारे में ज्यादा कुछ नहीं पता तो आप इस लेख को अंत तक पढ़ सकते हैं।

आज के इस लेख में हम पंचमुखी रुद्राक्ष को धारण करने के फायदे, इसके नकारात्मक प्रभाव एवं इसके धारण करने के नियम के बारे में जानेंगे।

पंचमुखी रुद्राक्ष क्या है? (Panchmukhi Rudraksha Kya Hai)

धार्मिक दृष्टि से पंचमुखी रुद्राक्ष को बहुत ही शुभ माना जाता है। वैसे रुद्राक्ष एक तरह फल एक बीज होता है। यह ‘इलियोकार्पस गेनिट्रस’ नामक पेड़ से प्राप्त होता है।

यह फल इसी पेड़ पर उगता है और फिर जब वह फल पक कर नीचे गिर जाता है तो उस फल से परतो को हटाकर उसके केंद्र में मौजूद रुद्राक्ष को बाहर निकाला जाता है जो बहुत अमूल्य और पूजनीय होता है।

जो पंचमुखी रुद्राक्ष होता है उस पर पांच धारियां बनी होती है। इसके अतिरिक्त बहुत सारे रुद्राक्ष पर 5 से अधिक धारियां बनी होती है और इन्हीं धारियों के आधार पर कितने मुखी रुद्राक्ष है यह निर्धारित किया जाता है।

वैसे आपकी जानकारी के लिए बता दें कि जिस पेड़ से रुद्राक्ष प्राप्त होता है उसके कुल उपज का 90% उपज में पांच मुखी रुद्राक्ष के मनके प्राप्त होते हैं और जप मंत्र के लिए जिस रुद्राक्ष का उपयोग किया जाता है वह भी ज्यादातर पांच मुख वाले ही मणको से तैयार किया जाता है।

पंचमुखी रुद्राक्ष का क्या अर्थ होता है?

पंचमुखी रुद्राक्ष को भगवान शिव का अंश माना जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार कहते हैं कि रुद्राक्ष शब्द को प्रजापति ब्रह्मा द्वारा रचित रूद्र और अक्ष दो शब्दों से लिया गया है। 

रुद्र का अर्थ साक्षात भगवान शंकर होते हैं एवं अक्ष का अर्थ भगवान शंकर का नेत्र होता है। इस तरह पंचमुखी रुद्राक्ष को भगवान शंकर का साक्षात तीसरा नेत्र माना जाता है। इसीलिए यह बहुत ही शुभ चीज होता है जो व्यक्ति के जीवन में आए सभी प्रकार की समस्याओं एवं बाधाओं को टाल देता है, सुख ,शांति और समृद्धि लाता है।

पंचमुखी रुद्राक्ष कौन धारण कर सकता है?

आज के समय में रुद्राक्ष को पहनना बहुत से लोगों ने फैशन समझ लिया है इसलिए बहुत से लोग अपने आपको भगवान शिव का भक्त दिखाने के लिए रुद्राक्ष धारण कर लेते हैं।

वैसे पंचमुखी रुद्राक्ष को बच्चे महिलाएं और पुरुष कोई भी धारण कर सकता है। जरूरी है कि वह नियम और विधि पूर्वक इसे धारण करें।

आपको पहले ही बताया कि पंचमुखी रुद्राक्ष पर बृहस्पति ग्रह का आधिपत्य होता है। ऐसे में जिस भी व्यक्ति की कुंडली में बृहस्पति ग्रह अशुभ फल दे रहा है जैसे कि ह्दय की समस्या ,मधुमेह, तनाव, एसिडिटी जैसी समस्या, तो इससे मुक्ति पाने के लिए पंचमुखी रुद्राक्ष को धारण कर सकता है। वैसे ज्योतिष के अनुसार मीन, कर्क, धनु, सिंह, मेष राशि वाले जातकों को पंचमुखी रुद्राक्ष धारण करने की सलाह दी जाती है।

पंचमुखी रुद्राक्ष को धारण करने के नियम

पंचमुखी रुद्राक्ष साक्षात भगवान शिव का अंश होता है। यह बहुत ही शुभ एवं पूजनीय चीज होता है इसीलिए पंचमुखी रुद्राक्ष को धारण करने के कुछ निश्चित नियम होते हैं। यदि इस रुद्राक्ष का अपमान किया जाए या नियम के अनुसार ना धारण किया जाए तो इसका जीवन पर गलत प्रभाव पड़ता है।

यहां तक कि पंचमुखी रुद्राक्ष को बृहस्पति ग्रह के नकारात्मक प्रभाव को कम करने के लिए पहना जाता है लेकिन गलत तरीके से पहनने पर बृहस्पति ग्रह के बहुत बुरे प्रभाव जीवन पर पड़ते हैं। इसीलिए हम पर नीचे हमने पंचमुखी रुद्राक्ष को धारण करने के जरूरी नियम लिखे हैं जिन्हें अवश्य पालन करें।

पंचमुखी रुद्राक्ष को हमेशा पीले या लाल रंग के धागे में पहनना चाहिए। भूलकर भी काले धागे का प्रयोग नहीं करना चाहिए ऐसा करना अशुभ माना जाता है।

पंचमुखी रुद्राक्ष स्वयं भगवान शिव होने के कारण इसे स्नान करने के पश्चात साफ-सुथरे कपड़े पहन कर ही धारण करने चाहिए। कभी भी गंदे हाथों से रुद्राक्ष को नहीं छूना चाहिए।

पंचमुखी रुद्राक्ष को धारण करने के लिए सबसे अच्छा दिन सोमवार माना जाता है। इस दिन भगवान शिव के मृत्युंजय मंत्र का जाप करते हुए रुद्राक्ष को धारण कर सकते हैं।

पंचमुखी रुद्राक्ष को कभी भी किसी अन्य को दिखाना या किसी अन्य को पहनने के लिए नहीं देना चाहिए और ना ही किसी और व्यक्ति के पंचमुखी रुद्राक्ष को धारण करना चाहिए।

पंचमुखी रुद्राक्ष धारण करने वाला व्यक्ति किसी कार्यक्रम जैसे कि किसी के मृत्यु या शोक के स्थान में जा रहा है तो ऐसी स्थिति में रुद्राक्ष को घर पर ही निकाल कर रख लेना चाहिए और शोक स्थान से आने के बाद स्नान करने के पश्चात ही रुद्राक्ष को दोबारा धारण करना चाहिए।

यदि घर में या रिश्तेदार में किसी की मृत्यु हो जाती है तो 10 दिनों तक सूतक लग जाता है। ऐसे में रुद्राक्ष को भी धारण नहीं करना चाहिए इसे निकाल कर रख देना चाहिए।

पंचमुखी रुद्राक्ष को जब धागे में पिरोकर पहना जाता है। तो ध्यान रहे कि पंचमुखी रुद्राक्ष के मनको की संख्या विषम होनी चाहिए। विषम में कम से कम 27 मनके धारण कर सकते हैं इससे कम नहीं होना चाहिए।

पंचमुखी रुद्राक्ष धारण करने वाला व्यक्ति भगवान शिव का भक्त बन जाता है। उस व्यक्ति को कभी भी मांस मछली का सेवन नहीं करना चाहिए। यहां तक कि उसे शराब का भी सेवन नहीं करना चाहिए।

पंचमुखी रुद्राक्ष पुरुषों के सहित कई महिलाएं भी धारण करती है। ऐसे में महिलाएं ध्यान रहे कि हर महीने मासिक चक्र के दौरान पंचमुखी रुद्राक्ष को निकाल के रख दे इसे ना धारण करें।

रुद्राक्ष में धूलिया गंदगी जमा हो जाने पर इसको साफ करें। अगर धागा टूट जाता है या छतिग्रस्त हो जाता है तो धागे को बदल दिया करें।

रुद्राक्ष को साफ करने के लिए गंगाजल का प्रयोग कर सकते हैं। इसे साफ करने के बाद पवित्र जगह पर ही हमेशा रखें।

पंचमुखी रुद्राक्ष के फायदे (Panchmukhi Rudraksha ke Fayde)

  • माना जाता है पंचमुखी रुद्राक्ष को धारण करने से व्यक्ति दीर्घायु होता है उसकी अकाल मृत्यु नहीं होती।
  • पंचमुखी रुद्राक्ष पर बृहस्पति ग्रह का अधिपत्य होता है और ज्योतिषी के अनुसार माना जाता है कि जिस जातक की कुंडली में बृहस्पति ग्रह बहुत मजबूत होता है तो उसके जीवन के लगभग सभी क्षेत्रों में कई सारे लाभ मिलते हैं और उसके ज्यादातर कामों में उसे सफलता मिलती है। ऐसे में पंचमुखी रुद्राक्ष को धारण करने से बृहस्पति ग्रह को प्रसन्न किया जा सकता है। उनके नकारात्मक प्रभावों को कम किया जा सकता है।
  • पंचमुखी रुद्राक्ष भगवान शिव का प्रतीक होता है। इसे धारण करने वाले व्यक्ति पर सदा भगवान शिव की कृपा बनी रहती है। इसे धारण करने से जीवन में समृद्धि एवं सफलता आती है।
  • पंचमुखी रुद्राक्ष को स्वयं भगवान शिव के काल अग्नि रूप द्वारा शासित होता है। इसे धारण करने से आसपास के नकारात्मक ऊर्जा दूर रहती है।
  • पंचमुखी रुद्राक्ष धारण करने से स्वास्थ्य संबंधित कई सारी समस्याएं जैसे कि मानसिक रोग, विक्षिप्त, तनाव, हिदय रोग, कुसमायोजन की समस्या जैसे कई सारी समस्याएं दूर हो जाती है।
  • पंचमुखी रुद्राक्ष धारण करने से मानसिक शांति की प्राप्ति होती है। इसे पहनने से एकाग्रता और याददाश्त अच्छी होती है।
  • रक्तचाप जैसी समस्याएं भी पंचमुखी रुद्राक्ष को धारण करने से कम हो जाती हैं।
  • पंचमुखी रुद्राक्ष को धारण करने से व्यक्ति का मन संतुलित हो जाता है और उसकी विचारों में भी शुद्धता आती है।
  • पंचमुखी रुद्राक्ष धारण करने से विभिन्न विषयों का ज्ञान अर्जित करने में मदद मिलती है, बौद्धिक क्षमता भी बढ़ती है।
  • पंचमुखी रुद्राक्ष धारण करने से व्यक्ति के मन में निडरता और साहस की भावना आती है।
  • जो पंचमुखी रुद्राक्ष धारण करता है उसे नींद की समस्या से मुक्ति मिलती है।

पंचमुखी रुद्राक्ष के नुकसान

वैसे तो पंचमुखी रुद्राक्ष का कोई खास नुकसान नहीं है। इससे महिला पुरुष और बच्चे कोई भी धारण कर सकते हैं। सभी के लिए पंचमुखी रुद्राक्ष उत्तम होता है। लेकिन रुद्राक्ष को पहनने के लिए नियम निर्धारित किए गए हैं तथा रुद्राक्ष को धारण करते हैं तो उसके सारे नियमों को पालन करना होता है जिसके बारे में हमने आपको उपरोक्त बताया है।

उपरोक्त दिए गए नियमों का पालन पंचमुखी रुद्राक्ष धारण करने वाला व्यक्ति नहीं करता है तो फिर रुद्राक्ष का उसके जीवन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

पंचमुखी रुद्राक्ष गर्म प्रकृति का होता है। ऐसे में जिन लोगों को एलर्जी की समस्या होती है उन्हें रुद्राक्ष धारण करने के बजाए पूजा घर में रखकर उसकी पूजा कर सकते हैं।

जो लोग रुद्राक्ष धारण करने के पश्चात उसके नियमों का पालन नहीं करते हैं तो उनका मन अस्थिर हो जाता है। उसकी एकाग्रता घटने लगती है जिस कारण उसे पढ़ाई में या किसी भी काम में मन नहीं लगता।

रुद्राक्ष धारण करने के पश्चात यदि मांस मछली या मदिरा का सेवन करने पर या रुद्राक्ष का अपमान करने पर बृहस्पति ग्रह व्यक्ति की कुंडली में कमजोर होने लगता है, जिससे उसका नकारात्मक प्रभाव उसके जीवन के हर एक क्षेत्रों पर पड़ता है।

पंचमुखी रुद्राक्ष को पहचान करने का तरीका

जैसे हमने आपको पहले ही बताया कि रुद्राक्ष एक तरह का फल का बीज होता है और उस बीज पर कई सारी धारियां बनी होती है उन्ही धारियों के आधार पर रुद्राक्ष कितने मुख का है यह निर्धारित किया जाता है।

उस बीज पर एक से लेकर 12 धारियां हो सकती है जिस पर पांच धारिया बनी होती है वह पंचमुखी रुद्राक्ष होता है। वैसे जरुरी नहीं कि बाजार में मिलने वाला रुद्राक्ष आपको असली ही मिले। ऐसे में असली और नकली रुद्राक्ष में पहचान कैसे करें? इसके लिए आप निम्नलिखित इन 2 तरीकों को अपना सकते हैं।

  • बाजार से रुद्राक्ष खरीदते हैं तो इसे घर पर पानी के साथ थोड़े समय के लिए उबाले। यदि उसके पश्चात भी इससे रंग नहीं जा रहा है तो इसका मतलब की है रुद्राक्ष असली है।
  • इसके अतिरिक्त दूसरा तरीका आप यह अपना सकते हैं कि जब आप पंचमुखी रुद्राक्ष को खरीदते हैं तो उसे सरसों के तेल में रखे। यह तो थोड़ी देर के बाद रुद्राक्ष का रंग पहले से थोड़ा गहरा हो जाता है तो यह रुद्राक्ष असली है।

FAQ

पंचमुखी रुद्राक्ष को कौन से धागे में पिरोकर पहन सकते हैं?

पंचमुखी रुद्राक्ष के मानकों को पिरोने के लिए काले धागे का प्रयोग कभी भी नहीं करना चाहिए। इसे लाल, पीले या श्वेत धागे के साथ पहन सकते हैं।

पंचमुखी रुद्राक्ष धारण करने के लिए सबसे अच्छा दिन क्या होता है?

सोमवार का दिन भगवान शिव की पूजा अर्चना करने का दिन होता है। इसलिए पंचमुखी रुद्राक्ष को धारण करने के लिए सबसे अच्छा और शुभ दिन सोमवार होता है। इस दिन भगवान शिव की पूजा अर्चना करने के पश्चात मंत्र जाप करके पंचमुखी रुद्राक्ष को धारण कर सकते हैं।

पंचमुखी रुद्राक्ष कौन पहन सकता है?

पंचमुखी रुद्राक्ष का सबसे अच्छा फायदा यह है कि इस रुद्राक्ष को किसी भी आयु का व्यक्ति पहन सकता है। इस रुद्राक्ष को बच्चे ,महिला, पुरुष कोई भी धारण कर सकता है।

पंचमुखी रुद्राक्ष कितने समय तक प्रभावी रहता है?

रुद्राक्ष के प्रभावी होने का कोई निश्चित समय नहीं होता। जब तक रुद्राक्ष संरक्षित रहे तब तक इसका प्रभाव बना रहता है। यदि रुद्राक्ष टूट जाए या क्षतिग्रस्त हो जाए तब इसका प्रभाव खत्म हो जाता है।

क्या पंचमुखी रुद्राक्ष महिलाएं पहन सकती हैं?

हां पंचमुखी रुद्राक्ष महिलाएं भी पहन सकती है बस ध्यान रहे कि हर महीने मासिक चक्र के दौरान रुद्राक्ष को निकाल के रख दें।

क्या पंचमुखी रुद्राक्ष से तनाव दूर कर सकते हैं?

बहुत बार होता है कि व्यक्ति किसी कारणवश वह तनाव में जाने लगता है और उसे बहुत ठंड महसूस होता है ऐसे हालत में पंचमुखी रुद्राक्ष के मनके को अपने दाहिनी हथेली में कस कर रख सकते हैं। इससे शरीर दोबारा गर्म होने लगता है और व्यक्ति अपने सामान्य स्थिति में आने लगता है।

निष्कर्ष

रुद्राक्ष साधु संत से लेकर भगवान शिव के भक्त धारण करते हैं। पंचमुखी रुद्राक्ष का बहुत ज्यादा महत्व होता है क्योंकि यह भगवान शिव का प्रिय रुद्राक्ष होता है।

आज के इस लेख में आपने पंचमुखी रुद्राक्ष के फायदे, धारण करने के नियम और पहचान का तरीका ( Panchmukhi Rudraksha kya hai fayde aur nuksan) के बारे में हमने आपको विस्तार पूर्वक बताया। इसके साथ ही पंचमुखी रुद्राक्ष के असली एवं नकली की पहचान करने के तरीके के बारे में भी बताया।

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