18 पुराण कौन कौन से है?

18 Puranas Names In Hindi : हिंदू धर्म में पुराणों का भी अपना एक महत्व है। यदि आपको पता नहीं है कि 18 पुराण कौन कौन से है? या फिर उन 18 पुराणों का नाम क्या है?

तो आज आप हमारे इस महत्वपूर्ण लेख को शुरुआत से लेकर अंतिम तक ध्यान पूर्वक से जरूर पढ़ें और एक भी जानकारी मिस ना करें। हिंदू धर्म के सभी लोगों को लगभग पुराण के बारे में जानकारी होनी चाहिए इससे हमें बहुत कुछ जानने को मिलता है। 

18 Puranas Names In Hindi
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और इतना ही नहीं हमें अपने वास्तविक जीवन में कैसे रहना चाहिए और किस प्रकार से अपने जीवन को सुगम और सशक्त बनाना चाहिए इसके बारे में भी अलग-अलग 18 हिंदू पुराण में जानकारी को समझाया गया है।

यदि आप अठारह पुराणों के बारे में जानना चाहते हो तो आज आप इस लेख को जरूर पूरा पढ़ें और एक भी जानकारी को इग्नोर ना करें नहीं तो आपको हमारा यह लेख समझ में नहीं आएगा।

18 पुराण कौन कौन से है? | 18 Puranas Names In Hindi

पुराण किसे कहते हैं

‘पुराण’ का शाब्दिक अर्थ है – ‘प्राचीन आख्यान’ या ‘पुरानी कथा’। हमारे हिंदू धर्म में अलग-अलग प्रकार के शास्त्रों, वेदों और पुराण वह महत्वता दी जाती है। हिंदू धर्म में पुराण अट्ठारह प्रकार का होता है और यह सभी अलग-अलग प्रकार के 18 पुराण पौराणिक कथाओं के जरिए हमें कुछ न कुछ शिक्षा देते हैं।

साधारण शब्दों में अगर पुराण को समझने का प्रयास करें तो ऐसी प्राचीन कथाएं जो हमें वास्तविक जीवन में कुछ न कुछ सीख देती हो या फिर जिससे हमें आध्यात्मिक ज्ञान हो उसी को आप पुराण या फिर प्राचीन कथा कह सकते हो।

पुराण की रचना किसने की और क्यों?

आप में से बहुत ही कम लोगों को पता होगा कि पुराण के रचयिता या फिर लेखक कौन है? यदि आपको नहीं पता तो हम आपकी जानकारी के लिए बता दें कि प्राचीन काल में महर्षि वेदव्यास जी ने 18 पुराणों को लिपिबद्ध किया था यानी कि पुराण के रचयिता या फिर लेखक आप महर्षि वेदव्यास जी को मान सकते हैं।

रही बात पुराण की रचना लिखित रूप से क्यों की गई तो इसके लिए हम आपको बता दें कि महर्षि वेदव्यास जी का मानना था कि जब तक देवी देवताओं और उनके द्वारा लिए गए अवतारों के उद्देश्यों के बारे में अच्छे से एवं जीवन काल से संबंधित और उनके महत्वपूर्ण उद्देश्य से संबंधित लोगों को जानकारी नहीं दी जाएगी तब तक हिंदू धर्म और सनातन धर्म या फिर यूं कहें कि भारतीय संस्कृति के बारे में लोगों को जानकारी नहीं मिल पाएगी। 

और ना ही लोग इनकी महत्वता को समझ पाएंगे इसीलिए महर्षि वेदव्यास जी ने 18 पुराणों का लिपिबद्ध तरीके से रचना की और हम लोगों के समक्ष उन्होंने अलग-अलग अठारह पुराणों के जरिए सभी प्रकार दैवीय शक्तियों के अवतारों और मानव हित से संबंधित महत्वपूर्ण विषयों पर जानकारी प्रदान की।

18 पुराण कौन कौन से हैं?

हमें हिंदू धर्म में अलग-अलग अठारह पुराणों का उल्लेख मिलता है और ब्रह्म पुराण, विष्णु पुराण, वायु पुराण, मार्कंडेय पुराण, पद्म पुराण, भागवत पुराण, नारद पुराण, अग्नि पुराण, भविष्य पुराण, ब्रह्म वैवर्त पुराण, लिङ्ग पुराण, वाराह पुराण, स्कन्द पुराण, वामन पुराण, कूर्म पुराण, मत्स्य पुराण, गरुण पुराण, ब्रह्मांड पुराण यही 18 पुराण है।

यह सभी 18 अलग-अलग पुराण देवी और देवताओं के प्राचीन कथाओं का उल्लेख करते हैं और पुराणों में दी गई प्राचीन कथाओं के अनुसार ही हमें अलग-अलग पुराण के जरिए कुछ न कुछ सीख मिलती है और जीवन में आने वाले व्यक्तियों एवं समस्याओं का समाधान कैसे प्राप्त किया जाता है और इतना ही नहीं  कैसे ईश्वरीय ध्यान लगाकर के मोक्ष प्राप्ति की जाती है। 

इसके बारे में भी हमें पुराणों में उल्लेख मिल जाता है। चलिए अब हम आप सभी लोगों को आगे अपने इस लेख के माध्यम से इन सभी अठारह पुराणों के बारे में और भी विस्तार से जानकारी देते हैं और इसके लिए आप नीचे दी गई जानकारी को ध्यानपूर्वक से जरूर पढ़ें।

विष्णु पुराण

वेदव्यास जी ने विष्णु पुराण में भगवान विष्णु के द्वारा लिए गए अलग-अलग प्रकार के अवतारों और अवतारों के महत्वता एवं उद्देश्यों के बारे में विस्तार पूर्वक से जानकारी का वर्णन किया हुआ है और साथ ही साथ स्वर्ग एवं नरक के बारे में भी विष्णु पुराण में विस्तार पूर्वक से उल्लेख किया गया है।

विष्णु पुराण में लगभग 23000 श्लोक का वर्णन हमें विस्तारपूर्वक समझाया गया है और विष्णु पुराण के सारांश के बारे में भी हमें विष्णु पुराण में जानकारी पढ़ने को मिल जाती है।

ब्रह्म पुराण

ब्रह्म पुराण सभी 18 पुराणों में से प्रथम पुराण माना जाता है। हमें ब्रह्म पुराण में लगभग 10 हजार श्लोक का वर्णन विस्तार से मिल जाता है।

ब्रह्मा पुराण के अंदर वेदव्यास जी ने मुख्य रूप से देवताओं, असुरों और प्रजापतियों के उत्पत्ति की कथा, भगवान सूर्य के वंश का वर्णन , भगवान श्रीराम के अवतार की कथा, चन्द्रवंश का वर्णन और भगवान श्रीकृष्ण का चरित्र ,पृथ्वी के समस्त द्वीपों, पाताललोक और स्वर्गलोक का वर्ण , नरकों का वर्णन , पार्वती जी के जन्म तथा विवाह की कथा , दक्ष प्रजापति की कथा विस्तार पूर्वक वर्णन और इन कथाओं के महत्व के बारे में अच्छे से समझाया है।

इतना ही नहीं हमें ब्रह्म पुराण के अंदर ही यमलोक का वर्णन तथा पितरों के श्राद्ध की विधि, वर्णों तथा आश्रमों के धर्मों का निरूपण , युगों का निरूपण, प्रलय का वर्णन , योग तथा सांख्य सिद्धान्तों का प्रतिपादन के बारे में विस्तारपूर्वक से उल्लेख के जरिए जानकारी दी गई है।

पद्म पुराण

पद्मपुराण को पांच अलग-अलग खंडों में विभक्त करके उल्लेख किया गया है। हमें पद्मपुराण के अंदर 55 हजार श्लोक का वर्णन समझाया गया है।

जब तक आप पद्मपुराण में दिए गए अलग-अलग पांच खंड जोकि सृष्टि खंड, भूमि खंड, स्वर्ग खंड, पाताल खंड और उत्तर खंड जब तक हम इन अलग-अलग पांच खंडों को ध्यान से नहीं समझेंगे तब तक पद्मपुराण के बारे में जानकारी समझ में नहीं आएगी और ना ही हमें पद्मपुराण आसानी से समझ में आ पाएगा।

नारद पुराण

18 पुराण के लेखक वेदव्यास जी ने नारद पुराण के अंदर बृहत्कल्प की कथा का आश्रय लिया है। नारद पुराण के अंदर हमें 25 हजार श्लोक का वर्णन मिल जाता है।

नारद पुराण के अंदर वेदव्यास जी ने त शौनक संवाद, सृष्टि का संक्षेप वर्णन , महात्मा सनक का उपदेश , मोक्ष के उपायों का वर्णन , वेदांगों का वर्णन , शुकदेव जी की उत्पत्ति का प्रसंग, सनन्दन जी का नारद को उपदेश , सनत्कुमार मुनि का नारद जी को पशुपाशविमोक्ष का उपदेश, गणेश, सूर्य, विष्णु, शिव और शक्ति आदि के मन्त्रों का शोधन , दीक्षा, मन्त्रोद्धार, पूजन, प्रयोग, कवच, सहस्त्रनाम और स्तोत्र का वर्णन , सनातन मुनि द्वारा नारद जी को पुराणों का लक्षण, उनकी श्लोक संख्या, दान के अलग-अलग फल तथा उनके समय का उपदेश का विस्तार से उल्लेख किया है।

वायु पुराण

वायु पुराण के अंदर हमें वायु देव के कथाओं का व्याख्यान मिलता है और इतना ही नहीं हमें वायु पुराण में सबसे ज्यादा महादेव जी की कथाओं का वर्णन विस्तार से मिलता है इसीलिए वायु पुराण को शिवपुराण के नाम से भी जाना जाता है और वायु पुराण या फिर यूं कहें कि शिवपुराण के अंदर हमें लगभग 24 हजार श्लोक का वर्णन मिल जाता है।

हमें वायु पुराण के अंदर अलग अलग मन्वन्तरों में राजाओं के वंश का वर्णन , गयासुर के वध की कथा , अलग-अलग मासों (महिनों) का माहात्म्य, दानधर्म और राजधर्म का वर्णन, पृथ्वी, आकाश, पाताल में विचरने वाले जीवों का वर्णन शिवसंहिता , नर्मदाजी का माहात्म्य तथा उनके तीर्थों का विस्तार से वर्णन, भगवान शिव का चरित्र एवं लीला का उल्लेख मिल जाता है।

भागवत पुराण

भागवत पुराण में हमें श्रीमद्भागवत के 12 स्कन्धों का उल्लेख विस्तार पूर्वक से मिल जाता है। अगर आपको भागवत पुराण को समझना है और इसके सारांश को समझना है तो आपको 12 स्कन्ध को पढ़ना जरूरी है।

हम आपकी जानकारी के लिए बता दें कि इसमें मुख्य रूप से भगवान श्री कृष्ण की लीलाओं और उनके उद्देश्यों का वर्णन हमें भली-भांति समझाया गया है। भागवत पुराण में हमें 18 हजार श्लोक का उल्लेख मिलता है। 

मार्कण्डेय पुराण

मार्कंडेय पुराण में हमें 9 हजार श्लोक का वर्णन मिल जाता है। मुख्य रूप से हमें मार्कंडेय पुराण के अंदर पिता और पुत्र का उपाख्यान, दत्तात्रेय जी की कथा, हैहय चरित्र, अलर्क चरित्र , मदालसा की कथा , नौ प्रकार की सृष्टि का वर्णन , यक्ष सृष्टि निरूपण , रूद्र आदि की सृष्टि , मनुओं की कथा, दुर्गा जी की कथा , तीन वेदों के तेज से प्रणव की उत्पत्ति , सूर्यदेव के जन्म की कथा , वैवस्वत मनु के वंश का वर्णन , वत्सप्री का चरित्र , महात्मा खनित्र की कथा का उल्लेख मिल जाता है।

अग्नि पुराण

अग्नि पुराण को हमारे हिंदू धर्म एवं भारतीय संस्कृति का ज्ञानकोष प्रदान करने वाला ग्रंथ भी कहा जाता है।  अग्नि पुराण के अंदर हमें भगवान विष्णु के लगभग सभी प्रकार के अवतारों का विस्तृत वर्णन मिल जाता है।

जैसे मत्स्य अवतार ,कूर्म अवतार , मोहिनी अवतार तथा रामायण, और महाभारत की कथाओ का भी वर्णन मिलता है। हमें अग्नि पुराण में लगभग 15 हजार श्लोक का वर्णन मिल जाता है। 

भविष्य पुराण

भविष्य पुराण के अंदर हमें अलग-अलग आश्चर्यचकित कर देने वाली कथाओं का उल्लेख विस्तार पूर्वक से मिल जाता है।

जैसे कि ब्रह्मपर्व, वैष्णवपर्व, शैवपर्व, सौरपर्व और इतना ही नहीं हमें भविष्य पुराण के अंदर प्रतिसर्गपर्व का उल्लेख मिल जाता है और हम आपकी जानकारी के लिए बता दें कि हमें भविष्य पुराण के अंदर 14 हजार श्लोक का वर्णन मिल जाता है।

ब्रह्मवैवर्त पुराण

ब्रह्म वैवर्त पुराण को अलग-अलग चार खंडों में विभक्त करके इसका उल्लेख किया गया है। इस पुराण में देवर्षि नारद के प्रार्थना करने पर भगवान सावर्णि ने सम्पूर्ण पुराणोक्त विषय का उपदेश दिया था। इसके बारे में विस्तार से उल्लेख किया गया है।

इतना ही नहीं हमें इस पुराण में इसके पाठ और श्रवण से भगवान शिव और विष्णु में प्रीति होती है। इसके बारे में भी विस्तार पूर्वक से श्लोक के जरिए जानकारी को समझाया गया है। उन दोनों में अभेद सिद्धि के लिए इस उत्तम ब्रह्म वैवर्त पुराण का उपदेश किया गया है। इस पुराण के अंदर हमें 18 हजार श्लोक का वर्णन मिल जाता है।

लिङ्ग पुराण

इस पुराण में हमें भगवान शिव के सभी अवतार का वर्णन मिलता है। इतना ही नहीं भगवान शिव के सभी अवतार के वर्णन के साथ साथ हमें उनके अवतार के उद्देश्यों के बारे में और इतना ही नहीं मनुष्य के हित के लिए उनके त्याग और समर्पण के बारे में भी इसमें उल्लेख किया गया है। इस पुराण में हमें 11 हजार  श्लोक वर्णन मिलता है।

वाराह पुराण

वाराह पुराण में श्लोकों की संख्या कुल 24 हजार है और इस पुराण को महर्षि वेदव्यास जी ने प्राचीन काल में लिपिबद्ध करके हम लोगों के समक्ष प्रस्तुत किया था।

आज भी इस पुराण में हमें भगवान श्रीहरिके वराह अवतार की मुख्य कथा के साथ अनेक तीर्थ, व्रत, यज्ञ-यजन, श्राद्ध-तर्पण, दान और अनुष्ठान आदि का शिक्षाप्रद और आत्मकल्याणकारी वर्णन पढ़ने को और समझने को मिलता है। 

स्कन्द पुराण

स्कंद पुराण के अंदर भी हमें अनेकों प्रकार की कहानियों का वर्णन मिल जाता है और इस पुराण में श्लोकों की कुल संख्या 81 हजार के करीब है।

मुख्य रूप से स्कंद पुराण के अंदर हिंदू धर्म में लोगों को दक्ष के बलिदान, शिव के दुःख, समुद्र मंथन और अमृता के उद्भव, राक्षस तारकासुर की कहानी, देवी पार्वती के जन्म, शिव की खोज की किंवदंतियां के बारे में उल्लेख किया गया है। इतना ही नहीं इस पुराण में भगवान शिव के साथ उसका विवाह और उनके जीवन काल के बारे में सभी महत्वपूर्ण कथाओं के बारे में उल्लेख किया गया है।

वामन पुराण

वामन पुराण के अंदर भगवान विष्णु के वामन अवतार के बारे में विज्ञान किया गया है और इतना ही नहीं हमें वामन पुराण में भगवान शिव की पूजा अर्चना, गणेश -स्कन्द आख्यान, शिवपार्वती विवाह आदि विषयों  पर विस्तार पूर्वक से पुराण के जरिए कथा को समझाया गया है।

वामन पुराण में भगवान वामन, नर-नारायण, भगवती दुर्गा के उत्तम चरित्र के साथ भक्त प्रह्लाद तथा श्रीदामा आदि भक्तों के बड़े रम्य आख्यान के बारे में भी विस्तार पूर्वक से उल्लेख किया गया हैं। वामन पुराण में कुल श्लोकों की संख्या करीब 10 हजार के करीब है।

कूर्म पुराण

कूर्म पुराण के अंदर भी हमें काफी मनुष्य जीवन से संबंधित महत्वपूर्ण विषयों के बारे में जानकारी प्रदान की गई है और इतना ही नहीं हमें कूर्म पुराण में सांख्य योग के चौबीस तत्त्वों, सदाचार के नियमों, गायत्री, महिमा, गृहस्थ धर्म, श्रेष्ठ सामाजिक नियमों, विविध संस्कारों, पितृकर्मों- श्राद्ध, पिण्डदान आदि की विधियों तथा चारों आश्रमों में रहते हुए आचार-विचारों का पालन करने का विस्तार से विवेचन किया गया है।

इसके अलावा हम आपकी जानकारी के लिए बता दें कि पूर्व पुराण में कुल श्लोकों की संख्या करीब करीब 17 हजार है।

मत्स्य पुराण

मत्स्य पुराण में जल प्रलय, मत्स्य व मनु के संवाद, राजधर्म, तीर्थयात्रा, दान महात्म्य, प्रयाग महात्म्य, काशी महात्म्य, नर्मदा महात्म्य, मूर्ति निर्माण माहात्म्य एवं त्रिदेवों की महिमा आदि पर भी विशेष रूप से उल्लेख किया गया है और मत्स्य पुराण में 14 हजार श्लोकों वाला यह पुराण भी एक प्राचीन ग्रंथ है।

गरुण पुराण

गरुण पुराण भी हिंदू धर्म एवं मान्यता के अनुसार एक महत्वपूर्ण ग्रंथ माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि मृत्यु के पश्चात मोक्ष प्राप्ति हेतु इस पुराण का अपना एक महत्वपूर्ण महत्व है। इसलिये सनातन हिन्दू धर्म में मृत्यु के बाद गरुड़ पुराण के श्रवण करने का प्रावधान बताया गया है।

गरुण पुराण के अधिष्ठातृ देव भगवान विष्णु को माना जाता हैं। इसमें भक्ति, ज्ञान, वैराग्य, सदाचार, निष्काम कर्म की महिमा के साथ यज्ञ, दान, तप तीर्थ आदि शुभ कर्मों में सर्व साधारण को प्रवृत्त करने के लिये अनेक लौकिक और पारलौकिक फलों का वर्णन विस्तार पूर्वक से किया गया है। गरुण पुराण में कुल श्लोकों की संख्या करीब-करीब 19 हजार है।

ब्रह्मांड पुराण

ब्रह्मांड पुराण को 18 हिंदू धर्म के महत्वपूर्ण पुराणों में से एक और महत्वपूर्ण महापुराण माना जाता है।  मध्यकालीन समय के भारतीय साहित्य में इस पुराण को ‘वायवीय पुराण’ या ‘वायवीय ब्रह्माण्ड’ के नाम से भी जाना जाता है।

ब्रह्माण्ड का वर्णन करने वाले वायु ने वेदव्यास जी को दिये हुए इस बारह हजार श्लोकों के पुराण में विश्व का पौराणिक भूगोल, विश्व खगोल, अध्यात्मरामायण आदि विषयों का विस्तार पूर्वक से उल्लेख किया गया है।

पुराणों का महत्व

हिंदू धर्म में 18 पुराणों का अपना अलग-अलग महत्व है। फिलहाल हम आप सभी लोगों को आगे सभी पुराणों के महत्व के बारे में जानकारी देंगे और पुराणों के महत्व के बारे में जानने के लिए नीचे दी गई जानकारी को ध्यानपूर्वक से जरूर पढ़ें।

  • जिन लोगों को धार्मिक आस्था में कोई भी विश्वास नहीं होता और ना ही वह धार्मिक दृष्टिकोण से लोगों और धर्मों को देखते हैं ऐसे लोगों के लिए पुराण हिंदू धर्म और संस्कृति के बारे में एक उल्लेख के रूप में प्रस्तुत किया गया है।
  • धार्मिक आस्था न रखने वाले लोगों को एक बार सभी पुराणों को जरूर पढ़ना चाहिए। उन्हें जरूर धार्मिक आस्था की महत्वता समझ में आ जाएगी।
  • ऐतिहासिक महत्व के दृष्टिकोण से हमें पुराणों में दी गई प्राचीन घटनाओं का उल्लेख मिलता है जिससे हमें पता चलता है कि प्राचीन काल में जितनी भी ऐतिहासिक घटनाएं हुई हैं। उनका महत्व और उनका प्रमुख उद्देश्य क्या था।
  • आज से हजारों वर्षों पहले भारत के लोगों को शिक्षा के नाम पर पुराणों और वेदों का ज्ञान दिया जाता था और इन्हीं चीजों का ज्ञान प्राप्त करके लोगों को शिक्षा हासिल होती थी और वे पढ़ने लिखने और जीवन में आगे अग्रसर बढ़ने का उद्देश्य समझ पाते थे और साथ ही साथ आने वाली चुनौतियों के समाधान के बारे में भी उन्हें पुराणों और वेदों के जरिए ही ज्ञान प्राप्त हो पाता था।

FAQ

सबसे ज्यादा पढ़े जाने वाला पुराण कौन सा है?

सबसे ज्यादा पढ़े जाने वाला पुराण शिव पुराण माना जाता है।

18 पुराणों में से सबसे बड़ा पुराण कौन सा है?

18 पुराणों में से सबसे बड़ा स्कंद पुराण माना जाता है।

शिव पुराण कब पढ़ना चाहिए?

श्रावण मास भगवान शिव का मास माना जाता है और ऐसा माना जाता है कि श्रावण मास में शिव पुराण पढ़ने से अपने बहुत सारे लाभ होते हैं और श्रावण मास में ही शिवपुराण को पढ़ना सबसे उचित और सही समय माना जाता है।

पुराण का इतिहास क्या है?

वैदिक युग से ही पुराणों के बारे में उल्लेख मिलता है अर्थात हिंदू धर्म के 18 पुराणों का इतिहास काफी ज्यादा पुराना माना जाता है।

गरुड़ पुराण कब पढ़ना चाहिए?

किसी की मृत्यु हो जाने के पश्चात गरुण पुराण का पठन-पाठन करना चाहिए। इससे मृतक व्यक्ति की आत्मा को शांति मिलने के साथ-साथ उसे मृत्यु के पश्चात मिलने वाले कष्टों और कर्म कांडो के बारे में भी पता चल पाता है।

निष्कर्ष

हमने अपने आज के इस महत्वपूर्ण लेख में आप सभी लोगों को 18 पुराण कौन कौन से हैं? (18 Puranas Names In Hindi) के बारे में विस्तार पूर्वक से जानकारी प्रदान की हुई है और हमें उम्मीद है कि 18 पुराणों की संक्षिप्त जानकारी आप लोगों के लिए काफी ज्यादा उपयोगी और सहायक सिद्ध हुई होगी।

यदि आप लोगों को पुराण के ऊपर दी गई यह जानकारी पसंद आई हो या फिर आप के लिए जरा सी भी उपयोगी साबित हुई हो तो आप इसे अपने दोस्तों के साथ और अपने सभी प्रकार के सोशल मीडिया हैंडल पर शेयर करना ना भूले ताकि अन्य लोगों को भी इस महत्वपूर्ण हिंदू धर्म से संबंधित पुराणों की महत्वता के बारे में जानकारी पता चल सके। 

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